सेवाग्राम । 22 सितंबर 2021
सेवाग्राम में आयोजित युवा शिविर के तीसरे दिन “अहिंसा”, “जाति, धर्म, लिंग आधारित भेदभाव और समता का लक्ष्य” तथा “हमारी राष्ट्रीयता : हमारा कर्तव्य” विषयों पर चर्चा और व्याख्यान हुए । सर्व सेवा संघ के अध्यक्ष चंदन पाल, युवा पत्रकार जयदीप हार्डीकर और लीगल एक्टिविस्ट एडवोकेट असीम सरोदे ने व्याख्यान दिया । ज्ञात हो कि सेवाग्राम आश्रम में सर्व सेवा संघ के युवा सेल द्वारा 5 दिवसीय युवा शिविर का आयोजन किया गया है , जिसमें देश के 16 राज्यों से युवा शिरकत कर रहे हैं ।
अहिंसा पर शिविर को संबोधित करते हुए सर्व सेवा संघ के अध्यक्ष चंदन पाल ने कहा कि गांधी जी की अहिंसा को प्रेम और सेवा से साधा जा सकता है । गांधी जी ने कहा कि अहिंसा माने असीम प्रेम । जहां परस्पर प्रेम होगा वहां हिंसा की कोई जगह नही । जाति, धर्म, लिंग आधारित भेदभाव और समता का लक्ष्य विषय पर अपने संबोधन में प्रख्यात पत्रकार जयदीप हार्डीकर ने कहा कि मनुष्य का अस्तित्व सह- अस्तित्व पर निर्भर है। अगर हम इस सिद्धांत को नकार देते हैं, तो मनुष्य का अस्तित्व भी संकट में पड़ जाएगा। जिस प्रकार एक बगीचे में माली सभी पौधों को उपयुक्त पोषण और संरक्षण देकर परवरिश करता है, उसी तरह से जन-प्रतिनिधियों को देश की जवाबदेही दी जाती है।उनका दायित्व है कि वह सभी नागरिकों के लिए बिना भेदभाव और पक्षपात के व्यवहार करें।
उन्होंने कहा कि धर्म मनुष्य प्रजाति के स्वाभाविक एवं प्राकृतिक विकास-क्रम का परिणाम नहीं है, बल्कि सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, राजनैतिक, बौद्धिक प्रक्रियाओं तथा नियमन की जरूरतों से उत्पन्न हुआ है। धर्म मनुष्य का बनाया हुआ है। किसी खास धर्म की श्रेष्ठता के आग्रह से तनाव पैदा होता है और ऐसा अक्सर राजनैतिक उद्देश्यों से प्रेरित होकर किया जाता है। गांधी के विचारों को मानने वाले सहमति के सिद्धांत को मानते हैं। वे लोकतांत्रिक व्यवस्था में बहुमत वाद के सिद्धांत को नकारते हैं और सहमति सह-अस्तित्व की बुनियाद है ।
हमारी राष्ट्रीयता : हमारा कर्तव्य विषय पर लीगल एक्टिविस्ट एडवोकेट असीम सरोदे ने अपनी बात रखते हुए कहा कि देश भूगोल द्वारा खींची गई सीमाओं से बनता है जबकि राष्ट्र वहां रहने वाले लोगों के एक मन और एक प्राण से बनता है । आपने कहा कि जो देश अपने नागरिकों से जीवनयापन और अभिव्यक्ति के अवसर छीनता है, वह कभी समृद्ध नही हो सकता । राष्ट्र तब मजबूत और समृद्ध होता है, जब सरकार विकल्प देती है और नागरिक सच के पक्ष में खड़े होते हैं, बोलते हैं, लड़ते हैं । जो लोग जाति और धर्म की संकीर्ण दीवारें खड़ी करते हैं, प्रेम और विवाह और जीवन जीने की मौलिक स्वतंत्रता को छीनने का प्रयास करते हैं, दरअसल वे भारतीयता के खिलाफ हैं । हमें ऐसे लोगों को पहचानना है और उनसे सजग रहना है ।