तमिल भाषा में बनी लीना मनीमेकलाई की फिल्म ‘मदाथी : द अनफेयरी टेल’ को देखकर यह यकीन करना मुश्किल है कि भारत में एक मानव-जाति ऐसी भी है, जिसे दिन में घर से बाहर निकलना मना है। यह फिल्म इसी जाति की एक युवा होती लड़की योसाना पर केन्द्रित है […]

देश के 19 विपक्षी दलों द्वारा आगामी 20 सितंबर से 30 सितंबर के बीच किसान आंदोलन के समर्थन में विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया गया है तथा कांग्रेस ने सभी विपक्षी दलों से 2024 का चुनाव मिलकर लड़ने की अपील की है। संसद सत्र के दौरान भी संपूर्ण विपक्ष किसान […]

आज विश्व में जो मुस्लिम आतंकवाद है, उसके मूल में इस्लाम नहीं मुस्लिम शासक वर्ग का एक तबका और साम्राज्यवादी शक्तियां हैं। इस्लाम तो 1500 वर्षों से है, लेकिन आतंकवाद मॉडर्न फेनोमेना है। मूलतः राजनीति की उपज है और उसको जमीन भी राजनीतिक कारणों से ही मिलती है। अंतरराष्ट्रीय राजनीति […]

14 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अखंड भारत के विखंडित होने का दिवस मनाने की घोषणा की और 15 अगस्त को लाल किले से राष्ट्र के नाम संदेश में भी उन्होंने इसे दोहराया। मुझे आश्चर्य हुआ कि प्रधानमंत्री बनने के बाद अपने प्रथम पंद्रह अगस्त के संबोधन में 125 […]

महात्मा गांधी महिलाओं की शक्ति और उनके सामथ्र्य को अच्छी तरह समझते थे, उन्हें पता था कि स्वतंत्रता आंदोलन की संघर्ष यात्रा महिलाओं के बिना पूरी नहीं हो सकती है। 1920 में जब असहयोग आंदोलन शुरू हुआ तब जगह-जगह गांधी ने भाषण दिया था। उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद भी उनका […]

जिस तरह भारत-विभाजन की ऐतिहासिक विभीषिका इतिहास में अमिट है और इसे कोई झुठला नहीं सकता, उसी तरह इस हकीकत को भी कोई नहीं नकार सकता है कि मौजूदा सत्ताधीशों के पुरखों का भारत के स्वाधीनता संग्राम से कोई सरोकार नहीं था। यही नहीं, धर्म पर आधारित दो राष्ट्र हिंदू […]

आजादी के 74 साल बाद यह सवाल आज भी खड़ा है कि आखिर ‘भारत के विभाजन’ की साजिश में कौन लोग शामिल थे, जिसके कारण देश टूटा, लाखों लोगों की जाने गयीं और लाखों परिवार शरणार्थी हो गये। भारत विभाजन की योजना अंग्रेजों की थी, जिसे जिन्ना और सावरकर का […]

10 मई 1857, दिन रविवार को छिड़े भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में देश के हिंदुओं, मुसलमानों और सिखों ने मिलकर विश्व की सबसे बड़ी साम्राज्यवादी ताक़त को चुनौती दी थी। इस अभूतपूर्व एकता ने अंग्रेज़ शासकों को इस बात का अच्छी तरह अहसास करा दिया था कि अगर भारत […]

मशहूर फिल्म अभिनेता और संस्कृतिकर्मी बलराज साहनी, 1972 में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में आमंत्रित थे। समारोह में उपस्थित विद्यार्थियों, शोधार्थियों, शिक्षकों और शिक्षाविदों के सामने अपने संबोधन में उन्होंने जो विचार रखे, प्रस्तुत आलेख उसकी अविकल प्रस्तुति है। कला, साहित्य और संस्कृति के आइने में उन्होंने उस […]

15 अगस्त 1947 को भारत ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से मुक्त हुआ। यह स्वतंत्रता अपने 75वें वर्ष में प्रवेश कर रही है। ब्रिटिश औपनिवेशिक गुलामी से मुक्त होकर हमें तय करना था कि अब हम किसी भी प्रकार की नव-उपनिवेशिवादी व्यवस्था में नहीं फंसेंगे। हमें व्यक्ति के स्वराज्य, लोक के स्वराज्य […]

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