खादी संस्थाओं को भारत सरकार एवं राज्य सरकारों द्वारा गांधी जयन्ती के उपलक्ष्य में उत्पादन और बिक्री पर विशेष छूट दी जाती है तथा संस्थाओं के सीए, प्रमाण-पत्र, एजी, रिबेट, एमएमडीए आदि की ऑडिट की जाती है, जबकि टेक्सटाइल उद्योग में उत्पादन करने वालों की सीए ऑडिट के अलावा कोई […]
इस दुखद और कलंकित करने वाली घटना के बाद अनेक संगठनों ने इसकी निंदा की है। कुछ सामाजिक संगठनों ने उच्चाधिकारियों से मिलकर घटना में शामिल दोषियों पर कड़ी कार्यवाही करने की मांग की है। चम्पावत के जिला मुख्यालय में इस घटना के विरोध में जुलूस भी निकाला गया है। […]
1918 में गांधी जी ने जो कहा, आज उसे दुनिया के पर्यावरणविद और कई सरकारें शुद्ध हवा, साफ पानी और पर्याप्त भोजन के अधिकार और मानवाधिकार के रूप में अपने एजेंडे में शामिल कर चुके हैं। ग्लासगो सम्मेलन में अमरीकी दूत जॉन केरी ने कहा कि हम जलवायु परिवर्तन की […]
मेरा पहला ही प्रश्न था कि जब आप अनपढ़ हैं, तो फिर पत्रिका पढ़ते कैसे हैं? मैं इसे घर ले जाकर बच्चों से पढ़वाता हूं और कुछ-कुछ नक्शा जोड़कर समझ लेता हूं। नक्शा जोड़कर? और क्या, अक्षर भी तो नक्शे ही होते हैं। कितनी गहरी बात है! शिवमुनि अनोखे पाठक […]
बीते दिनों जर्मन टेलीविजन चैनलों पर एक नई डॉक्यूमेंट्री फिल्म आई है. यह फिल्म पश्चिम अफ्रीका के जंगलों में सैर कराती है. जानवरों के साम्राज्य में मनुष्य के सबसे करीबी रिश्तेदार कितने बुद्धिमान हैं? इनके पूर्वज किस प्रकार के समाजों में रहते थे? क्या इनके जीवन में हिंसा भी है? […]
आंदोलन की सफलता ने कुछ चीज़ें निश्चित कर दी हैं। जैसे, इस देश में महात्मा गांधी का विचार अभी ज़िंदा है। जनता में जान है। आंदोलन मरे नहीं हैं। आंदोलन किस तरह सफल होते हैं, उसकी राह फिर से स्पष्ट हुई है। संविधान सर्वोपरि है। जनता सरकार के लिए नहीं, […]
संविधान नाम का ग्रन्थ, ‘रिपब्लिक ऑफ इंडिया’ का कुरान, गीता, गुरुग्रन्थ और अवेस्ता है। ये एक नवनिर्मित राष्ट्र के एस्पिरेशन्स की सूची है। इसकी उद्देश्यिका कुछ लक्ष्य तय करती है, इसके नीति निर्देशक तत्व आने वाली सरकारों को उनकी पॉलिसी के लिए गाइडलाइन देते हैं और नागरिकों के लिए गारंटेड […]
जब देश में किसी को तोपों से लैस फिरंगियों से लड़ने का तरीका नहीं मालूम था, तब पूरा देश गांधी के पीछे खड़ा था. लेकिन ज्यों ही आजाद होने की सुगंध महसूस हुई, गांधी को सुनने वाला कोई नहीं बचा, गांधी पीछे छूट गये। गांधी जी को लेकर आज समाज […]
अमेरिका में पेंसिलवेनिया के निकट देहाती क्षेत्र में एक गांव है पेरेक्सीर। वहीं हमारी एक शांत-सी झोपड़ी है। 31 जनवरी 1948 का वह दिन भी सामान्य दिनों की तरह ही आरम्भ हुआ। एकाएक गृहपति कमरे में आये। उनकी मुखमुद्रा गम्भीर थी। उन्होंने कहा, “रेडियो पर अभी एक अत्यन्त भयानक समाचार […]
30 सितंबर 1933 प्रिय घनश्यामदास,आपको मालूम ही है कि आश्रमवासियों ने गत पहली अगस्त को साबरमती के सत्याग्रह-आश्रम और उसकी भूमि को त्याग दिया था। मुझे आशा थी कि सरकार मेरे पत्र के अनुसार इस त्यक्त संपत्ति पर अधिकार कर लेगी, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। ऐसी अवस्था में मेरे […]