बाबा तो कहते ही थे कि केवल पुलिस की ताकत से शांति नहीं रह सकती। हां, अशांति उससे दब जरूर सकती है, लेकिन यह फिर से धधक सकती है। जैसे गर्मी में घास सूख जाती है, बिल्कुल दिखाई नहीं देती, लेकिन वर्षा होते ही वह उग आती है। अशांति के […]

बाबा का मांगने का ढंग अद्भुत ही था. वे गरीबों के लिए भूमिदान मांगते थे, लेकिन बताते थे कि इसमें बचत श्रीमानों की भी होती है। मैं श्रीमानों के घर ठहरकर उनके घर ही आग लगाता हूं। यही उनके घर होने वाला उज्ज्वल यज्ञ है। इस यज्ञ से कोई आग […]

बाबा कहने लगे कि मैं तो वामन बन गया हूँ और लोगों से कहता हूं कि हमें तीन कदम ही जमीन दे दो, काफी है। गांव वाले समझते हैं कि जो सौ एकड़ जमीन मिली, वह भी हमारी है और जो चार सौ एकड़ जमीन बची, वह भी हमारी ही […]

गाँव की बैठकी में हरिजन भाइयों ने बाबा से कहा कि हम लोगों को खेती के लिए जमीन चाहिए। बाबा ने पूछा, कितनी? तो जबाब मिला, 80 एकड़। बाबा ने कहा कि अच्छा, एक अर्जी लिख दो, हम जरूर प्रयास करेंगे। बाबा ने सरकार से जमीन का इंतजाम करने के […]

  बाबा ने उन लोगों से कहा कि आज रामनवमी का पावन दिन आप सबके साथ बिताना अत्यंत शुभ रहा है, क्योंकि यह दिन हिंदुस्तान के लिए परम पवित्र दिन है। हां, इतना कष्ट जरूर है कि हमारे कुछ भाई, जो देश की सेवा तो करना चाहते हैं, लेकिन दूसरा ढंग […]

देहात ही हमारे आधार हैं। वहां आज भी हमारी संस्कृति का दर्शन होता है। वही हमारी रीढ़ है, हमारी आत्मा है, हमारा असली रूप है, लेकिन इन्हीं देहातों की दौलत, बुद्धि, शक्ति सब बाहर जा रही है। इसे हम सबको मिलकर रोकना होगा। गांव वालों को खेती, गौसेवा, बढ़ईगीरी, कपड़ा […]

हमारे खेत में तरह-तरह के निकम्मे झाड़ उगे हुए थे। उनको काटने का जो काम हुआ, उसी का नाम स्वराज्य था। अब स्वराज्य प्राप्ति के बाद उस साफ खेत में परिश्रम करके बीज बोना ही सर्वोदय का कार्य करना है, लेकिन बाबा की पीड़ा यह थी कि बीज बोने के […]

बाबा ने कहा कि मेरे पास मुख्य शक्ति प्रार्थना की ही है। इसलिए उस प्रार्थना की शक्ति को सबके साथ बांटना चाहता हूं, उन्होंने कहा कि प्रार्थना के बाद जब मैं थोड़ा बहुत बोलता हूं, तो उसमें प्रार्थना की शक्ति का ही अद्भुत परिणाम होता है। आठ मार्च 1951 की […]

भूदान यात्रा स्मृति दिवस पर जयपुर में विनोबा के जीवन और कार्य पर विचार गोष्ठी भूदान यात्रा स्मृति दिवस पर विनोबा विचार मंच ने जयपुर में विनोबा के जीवन और कार्य पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया। 18 अप्रैल को भूदान यात्रा स्मृति दिवस के परिप्रेक्ष्य में आयोजित यह विचार गोष्ठी बजाज नगर […]

बाबा ने कहा कि पैदल चलने का कोई व्रत नहीं लिया है, क्योंकि व्रत तो सत्य, अहिंसा आदि का लिया जाता है, फिर भी मैं पैदल ही यात्रा पर निकलूंगा। हां, मेरे मन में यह अवश्य था कि पवनार आश्रम में जो साम्ययोग का प्रयोग शुरू हुआ है, उसको कुछ […]

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