बाबा ने इसे इस बात का ईश्वरीय संकेत माना कि अभी समाज में बहुत भूमिहीन लोग हैं, जिनको जमीन की जरूरत है, इसलिए हमें और जमीन मांगने के लिए आगे बढ़ना चाहिए। बाबा का मानना था कि किसान का जीवन सबसे ज्यादा पवित्र है। वह परमेश्वर के ज्यादा नजदीक रहता […]

जब भूदान की पदयात्रा शुरू की तब बाबा की उम्र 55 वर्ष थी। आखिर में जब बाबा बिहार से पवनार लौटे तब वे 74 वर्ष के हो चुके थे। आरोहण की यह जो तपस्या हुई, वह वयोवृद्ध उम्र में हुई। बाबा विनोबा का भूदान आंदोलन ईश्वरीय प्रेरणा का ही संकेत […]

18 अप्रैल, 1951 का दिन था; जब बाबा को तेलंगाना के पोचमपल्ली गांव में पहला भूदान मिला था। यों कहें कि भूदान गंगोत्री का जन्म हुआ था। भूदान की गंगा जैसे जैसे आगे बढ़ी, जनक्रांति आकार लेती गयी. आज़ादी के बाद किसानों का शोषण करने वाली जमीदारी प्रथा समाप्त कर […]

ब्रह्मविद्या मंदिर के प्रति अपने-अपने मनोभावों की यह श्रृंखला लोकप्रिय हो रही है। विनोबा विचार प्रवाह द्वारा आयोजित विनोबा विचार संगीति में ब्रह्मविद्या मन्दिर की ऊषा दीदी ने ब्रह्मविद्या मंदिर की संकल्पना पर अपने विचार व्यक्त किए थे। उनमें से कुछ अंश हम यहां ले रहे हैं। हैंड, हार्ट और […]

14 अप्रैल 1972 को हुआ ऐतिहासिक बागी समर्पण, आज स्वर्ण जयंती दिवस के रूप में याद किया जा रहा है। इस अवसर पर दस्यु समर्पण की पूरी कहानी पवनार आश्रम की गंगा दीदी की जुबानी यहां प्रस्तुत है। हम वर्षों से अंगुलिमाल की कहानी सुनते आ रहे हैं। लेकिन इस जमाने में […]

ब्रह्मविद्या मंदिर के प्रति आज अपने मनोभाव व्यक्त कर रही हैं ज्योति पाटणकर. उनके ये विचार विनोबा विचार संगीति में व्यक्त किए गए थे। आज उसी का एक अंश यहां प्रस्तुत है। महात्मा गांधी ने हमें सर्वोदय शब्द दिया। हम सभी का उदय चाहते हैं। जिसकी तरफ कोई देखना तक […]

देश में तानाशाही ताकतें फिर सिर उठा रही हैं। ऐसे समय जरूरत इस बात की है कि हम सब मिलकर जेपी के सपनों का भारत बनायें, ताकि तानाशाही ताकतों को मुंहतोड़ जबाव दिया जा सके और देश को बचाया जा सके। यदि हम चूक गये तो आने वाली पीढियां हमें […]

विनोबा विचार प्रवाह की इस श्रृंखला में आज का मनोगत राजेश्वरी दलाई की कलम से.वे सेवा समाज, रायगढ़ ओड़िसा की सम्पादक हैं ज्ञान का संबंध हृदय के साथ, हृदय की श्रद्धा भक्ति के साथ होता है। उसे प्राप्त करने के लिए साधना की जरूरत होती है। उपनिषदकार कहते हैं कि […]

बा बापू से छह साल बड़ी थीं। उनके जीवन के संस्मरण पढ़कर पता चलता है कि वे अपने विचारों में स्वतंत्र थीं. उन्होंने हमेशा बापू की हां मे हां नहीं मिलायी, वे असहमति होने पर बापू का विरोध भी करती थी। उनमें बापू के प्रति सगुण और निर्गुण भक्ति दोनों […]

उत्तराखंड प्रदेश नशाबंदी परिषद की बैठक बालसौड में हुई, जिसमें उत्तराखंड सरकार से मांग की गई कि उत्तराखंड में पूर्ण नशाबन्दी लागू की जाय, सरकार सेर भर फायदे के लिए मन भर नुकसान कर रही है। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रदेश नशाबन्दी परिषद के अध्यक्ष एडवोकेट जगमोहन भारद्वाज ने व संचालन प्रदेश […]

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