बापू की दूसरी हत्या की साजिश के खिलाफ सड़कों पर गांधीजन

सेवाग्राम से साबरमती तक संदेश यात्रा

संकल्प : 16.अक्टूबर 2021 : दिन शनिवार

16 अक्टूबर को सेवाग्राम से साबरमती संदेश यात्रा में शामिल होने के लिए देश भर के गांधीजन सेवाग्राम पहुंचे। केंद्र सरकार द्वारा साबरमती आश्रम को टूरिस्ट पैक में पेश करने की कोशिशों से गांधीजन आहत हैं। उन्हें लग रहा है कि इस परियोजना के द्वारा गांधी के मूल्यों को मिटाने का प्रयास किया जा रहा है। जालियांवाला बाग के आधुनिकीकरण से इस आशंका को बल मिला है। अब जालियांवाला बाग दुख और क्षोभ का एहसास नहीं करा पाएगा, अब वह पर्यटक स्थल है। इसी तरह साबरमती को आधुनिक बनाने के नाम पर सादगी की प्रेरणा ही खत्म कर देने की योजना है। सरकार की इस योजना से यह ऐतिहासिक आश्रम एक सुविधासंपन्न मनोरंजन स्थल में तब्दील हो जाएगा। सत्य, अहिंसा, प्रेम, सहअस्तित्व, सादगी आदि मूल्यों से प्रेरित लोगों को सरकार का यह इरादा सख्त नापसंद है। इसलिए वे प्रतिकारस्वरूप साबरमती को बचाने की यात्रा पर निकलने से पहले बापू की अनुमति लेने के लिए सेवाग्राम में इकठ्ठा हुए.

प्रार्थना और संकल्प के साथ सेवाग्राम-साबरमती संदेश यात्रा शुरू
सेवाग्राम, 17 अक्टूबर 2021, दिन रविवार

केंद्र और गुजरात राज्य सरकार द्वारा महात्मा गांधी के विश्व प्रसिद्ध सबरमती आश्रम के स्वरूप में बदलाव की कोशिश के विरुद्ध देश भर की प्रमुख गांधीवादी संस्थाओं ने 17 अक्टूबर को सेवाग्राम आश्रम से साबरमती संदेश यात्रा शुरू की। 50 से अधिक यात्रियों द्वारा सुबह सेवाग्राम स्थित बापू कुटी में प्रार्थना की गई और इस संकल्प के साथ यात्रा शुरु की गई कि स्वतंत्रता आंदोलन की विरासत और बापू की धरोहरों के साथ खिलवाड़ नही होने देंगे। सत्ता के ऐसे किसी भी प्रयास को विफल करने के लिए गांधीजन जनता के बीच जाएंगे और लोकमत का जागरण करेंगे।

संकल्प के साथ संदेश यात्रा पर रवानगी


सेवाग्राम से साबरमती संदेश यात्रा के संयोजक संजय सिह व विश्वजीत भाई ने बताया कि गांधी जी के सेवाग्राम आश्रम से शुरू हो रही यह यात्रा अमरावती, अकोला, खामगांव, भुसावल, जलगांव, अमलनेर, धुले, नदुरबार, बारडोली, सूरत होते हुए 23 अक्टूबर को अहमदाबाद पहुंचेगी।
सेवाग्राम आश्रम में यात्रा प्रारंभ करने से पहले वक्ताओं ने कहा कि गांधीजी द्वारा स्थापित आश्रम तथा संस्थाएं सत्य और अहिंसा की प्रयोगशालाएं रही हैं। जीवन और समाज का आदर्श रूप कैसा हो, इसकी साधना उन्होंने आश्रमों में की और अपने साथ-साथ असंख्य लोगों को प्रेरित व प्रशिक्षित किया।


उनके बाद भी उनके आश्रम, उनकी विचाधारा और जीवन शैली को जानने समझने तथा प्रेरणा प्राप्त करने के पवित्रतम स्थल रहे हैं, जिनके प्रति देश और दुनिया के असंख्य नर-नारी गहरी आस्था रखते हैं। यही वजह है कि गांधी आश्रमों में दुनिया भर से लोग शांति और प्रेरणा की तलाश में खिंचे चले आते हैं। साबरमती आश्रम गांधीजी का अत्यंत महत्वपूर्ण आश्रम है। साबरमती आश्रम परिसर के स्वरूप में कोई भी तब्दीली सादगी में सौंदर्य की विचारधारा और विरासत की पवित्रता पर सीधा आघात है।


साबरमती आश्रम को आधुनिक पर्यटन स्थल बनाने की केंद्र सरकार की 1200 सौ करोड़ रुपयों की योजना अभी तक गोपनीय है। प्राप्त जानकारी के अनुसार इस योजना में नया संग्रहालय, एम्फी थिएटर, वीआईपी लाउंज, दुकानें, खाने-पीने और मनोरंजन की वृहद सुविधाएं निर्मित करने की योजना है। इसके कारण साबरमती आश्रम का मूल स्वरूप ही खत्म हो जाएगा, जो देश ही नहीं, दुनिया की ऐतिहासिक धरोहर है।
सरकार की इस कोशिश से गांधी विचार की संस्थाएं और शांतिप्रेमी नागरिक बेहद चिंतित हैं और ऐसे किसी भी प्रयास का पुरजोर विरोध करते हैं। जिस बाजार केन्द्रित भोगवादी सभ्यता से गांधी जी आजीवन लड़े, आज उसी बाजार को आश्रम में प्रवेश दिलाने के लिए विकास को आगे किया जा रहा है, जो नाकाबिले बर्दाश्त है। स्वतंत्रता के हीरक जयंती वर्ष के पवित्र और ऐतिहासिक अवसर पर गांधीजी की स्मृतियों के संरक्षण और राष्ट्रनिर्माण के लिए उनके द्वारा चलाए गए रचनात्मक कार्यक्रमों का उन्नयन करने के बजाय उनके पगचिन्ह मिटाने तथा भावी पीढ़ी से गांधी विचार परम्परा और विरासत को छीनने के लिए उनके स्मृतिस्थलों को तहस – महस करने की यह साजिश है।


जिस तरह अमृतसर के जालियांवाला बाग को पर्यटन स्थल में तब्दील कर उस स्थान की भावना और प्रेरणात्मक वातावरण खत्म किया गया है, उसी तर्ज पर साबरमती आश्रम को बर्बाद करने की दिशा में कदम बढ़ाया जा रहा है। यह इतिहास मिटाने और उसे सुविधानुसार बदलने की आशंका का ठोस आधार है। देश के लिए बलिदान करने वाले स्वातंत्र्य सेनानियों और वीरों की स्मृतियां पर्यटन स्थलों में परिवर्तित कर उन्हें व्यावसायिक स्वरूप देना उनके त्याग, तपस्या और बलिदान के साथ ही जनभावना का भी अनादर है।

यात्रा के दौरान गांधीजनों की बैठक


गांधीजन इस यात्रा के माध्यम से स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी स्मृतियों और राष्ट्रीय धरोहरों को मिटाने की केंद्र सरकार की कोशिशों के प्रति देश की जनता को सचेत कर, उनकी अंतरात्मा को जगाना चाहते हैं। हम केंद्र सरकार से यह अनुरोध भी करते हैं कि वह अपने कदम पीछे ले और राष्ट्रीय धरोहरों से छेड़छाड़ करने तथा उनका स्वरूप बदलने का प्रयास न करे।


इन संगठनों व संस्थाओं का है सहयोग


यात्रा के आयोजन में गांधी स्मारक निधि, गांधी शांति प्रतिष्ठान, सर्व सेवा संघ, सेवाग्राम आश्रम प्रतिष्ठान, सर्वोदय समाज, राष्ट्रीय गांधी संग्रहालय, नई तालीम समिति, राष्ट्रीय युवा संगठन, जल बिरादरी, महाराष्ट्र सर्वोदय मंडल तथा गुजरात की सर्वोदय संस्थाएं शामिल हैं।


50 यात्री यात्रा में शामिल


यात्रा में प्रमुख रूप से कुमार प्रशांत, रामचंद्र राही, संजय सिंह, राजेंद्र सिंह राणा, सुगन बरण्ठ, आशा बोथरा, अशोक भारत, विश्वजीत रॉय, शिवी जोसेफ, अशोक भाई, अजय श्रीवास्तव, मृत्युंजय, अविनाश काकड़े, अजमत भाई, अरविंद कुशवाहा, आबिदा बेगम, गोपाल सरन, भूपेश भूषण, मानस पटनायक, शाहरूबि सैयद, मनोज ठाकरे, जगदीश भाई, सुरेश सर्वोदयी, शिवकांत भाई, के एल शांडिल्य, गेंदालाल साहू, यशवंत, मनीष, सुमित, दीपाली, मधु, विनोद पगार, शुभा बहन, राजेश सीकर, सागर दास, राज जवाक़े, सुरेश लटारे आदि 50 गाँधीजन शामिल हैं.


पहला पड़ाव अमरावती


सेवाग्राम से प्रस्थान कर यात्रा दोपहर में अमरावती पहुंची. वहां आयोजित प्रार्थना सभा में यात्री दल के साथ भारत के कोने कोने से आए युवा शामिल हुए. युवाओं का कहना है कि साबरमती से लेकर देश भर में अहिंसा के पुजारी की जहां भी स्मृतियाँ हैं, उन धरोहरों को बचाने की जिम्मेदारी हमारी है. जो लोग हमारा इतिहास मिटाने में लगे हैं, वे जान लें कि हम गांधी की विरासत से खिलवाड़ नहीं चलने देंगे. जहां से देश की आजादी की शुरुआत हुई थी, आने वाली पीढ़ी को समझाने के लिए उसे सहेजकर रखना बहुत जरूरी है. अमरावती में बहुत बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे. यहाँ से यात्रा अगले पड़ाव के लिए अकोला निकल पड़ी. यहीं रात्रि विश्राम किया गया।


किम में आज की शुरुआत सुबह 7 बजे शुभा द्वारा सर्वधर्म प्रार्थना के साथ हुई, इसके बाद किम इंस्टीट्यूट ऑफ गांधियन स्टडीज से यात्रा आगे चली. भरूच पहुंचे तो यात्रा के स्वागत के बाद नीलकंठेश्वर मंदिर में सभा का आयोजन किया गया. सभा को सम्बोधित करते हुए संजय सिंह ने कहा कि सरकार गाँधीजी के आश्रम के मूल्यों को बदलने के कोशिश कर रही है, हम उनको बताने निकले हैं कि यह आश्रम हमारी आस्था का केंद्र है, उसके साथ हम खिलवाड़ नही होने देंगे।


अशोक भारत ने कहा कि साबरमती से हमने देश की आज़ादी की लड़ाई लड़ी, त्याग और सादगी का काम जहां से शुरू हुआ, उस साबरमती आश्रम को बिगाड़ना हमें कबूल नहीं है. 1200 करोड़ की लागत से अगर गुजरात में 12 अस्पताल खोल दें तो बेहतर होगा। मधु बहन ने कहा कि खुद सरकार जिस तरह से देश पर हमला कर रही है, हम युवाओं के लिए बहुत खतरनाक स्थिति है. देश की चीजें बेची जा रही हैं, रोजगार नहीं है, शिक्षा की व्यस्था नहीं है. इन सब का रास्ता गांधीजी के पास है, लेकिन सरकार उन्हें भी मिटाना चाहती है, इसलिए हम सरकार की सद्बुद्धि की कामना करते हुए यात्रा पर निकले हैं.


सवाई सिंह ने कहा कि यह गांधी जी का देश है, हम देश भर से इकठ्ठा होकर संदेश देने आए हैं. सरकार ने स्वालंबन के लिए 20 लाख करोड़ रुपये खर्च करने की बात कही तो अच्छा लगा था, लेकिन सच्चाई यह है कि भुखमरी ज्यादा हुई है, महंगाई बढ़ी है, यह हमारे लिए दुःखद है. उन्होंने कहा कि अब चाहे गोरे लूटें या काले, लूट तो लूट है, लेकिन वे अब इतिहास बदलने का काम करना चाहते हैं, इसीलिए अब गांधी उनके निशाने पर हैं। हम सरकार से यह कहने आये हैं कि आप देश चलाइये, जो आपका काम है, इतिहास जैसा है उसे वैसा ही रहने दीजिए। हम यह नई आज़ादी की लड़ाई लड़ने आये हैं।


सर्वोदयी सुरेश भाई ने कहा कि गांधी जी से ही प्रेरणा लेकर मैं हिंसा से बाहर निकला हूं, वही हमें रास्ता दिखाते हैं. संकल्पित होने के बाद से मैंने कभी झूठ नहीं बोला, गांधी आज भी हमें प्रेरणा देते हैं. हमारी आस्था पर सरकार अब चोट करने निकली है, हम सरकार की इस बात से सहमत नही हैं. डॉ विश्वजीत ने कहा कि हम सरकार की सदबुद्धि के लिए निकले हैं. देश भर से लोग सरकार के इस इरादे का विरोध कर रहे हैं, हम तो बस प्रतिनिधि के तौर पर यहां खड़े हैं. उन्होंने कहा कि यह आश्रम सरकार का नहीं है, गांधी जी ने इसे अपने पैसों से बनाया था. गांधी जी के बाद आश्रम जैसा है, इसे वैसा ही रहने देने की बात हुई थी.


आशा बहन ने कहा कि महात्मा गांधी कोई शरीर का पुतला नहीं, विचार है, जो हम सब को रास्ता दिखाता है. बार बार मारने पर भी गांधी मरते नहीं, इसलिए अब उनके आश्रमों पर हमला किया जा रहा है, लेकिन हम ऐसा होने नही देंगे. राजेन्द्र सिंह ने कहा कि यह सरकार सत्यमेव जयते के बजाय असत्यमेव जयते में भरोसा करती है, हम चाहते हैं कि हम अपने देश को सत्य तक लेकर जायें। गुजरात के विद्यालयों में चेतना जागरण का कार्यक्रम चलाना चाहिए और विरासत को बचाने के लिए चिंतन करना चाहिए। जगदीश भाई ने कहा कि गांधी जी हमारे दिल मे बसे हुए हैं, साबरमती में हृदयकुंज है, गांधी जी वहां वास करते हैं. इसलिए साबरमती को बचाना हम सब का काम है.


गायत्री बहन ने कहा कि मैं सिर्फ आश्रम की नहीं, देश की बात कर रही हूं. वे देश को बिगाड़ने के लिए पूरे मिशन के साथ आये हैं. गांधी जी को मिटाने के लिए पूरी ताकत के साथ खड़े हैं. वे गोडसे को पूजते हैं, उसे अलग अलग तरह से दिखाते हैं, वे गांधी को नहीं मानते, वे गांधी को खत्म करने के लिए यह कर रहे हैं, हम ऐसा होने नहीं देंगे। विकास के नाम पर जो लूट हो रही है, वह युवा पीढ़ी के लिए भयानक डरावनी हो गई है. यहां से निकलने का रास्ता गांधी के पास है, तो अब गांधी पर वार कर रहे हैं। हमें अपनी आवाज बुलंद करनी पड़ेगी, नए लोगों को जोड़ना होगा और आवाज उठाते रहना होगा। भरूच सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष योगेश भाई ने कहा कि हम सब गांधियन, जो काफी समय से अपने काम को भूल रहे थे, आप सब आये तो अब हम भी साथ में आगे बढ़ेंगे. इस गांधी अभियान में हमें लगना पड़ेगा और पूरा गुजरात लगेगा।


भरूच से चलकर सेवाग्राम साबरमती संदेश यात्रा बड़ोदरा पहुँची, जहां स्थानीय साथियों द्वारा आत्मीय स्वागत किया गया और नारों के साथ यात्रा सभास्थल तक पहुँची. सभा की शुरुआत करते हुए जगदीश भाई ने कहा कि गांधी जी की धरती पर सभी यात्रियों का स्वागत है. उन्होंने कहा कि साबरमती बापू की साक्षात् आइडियोलॉज़ी है, उसे जो लोग बिगाड़ने चले हैं, वे देश भर में यही कर रहे हैं. पुराना तोड़ो नया करो, उन्होंने कभी कुछ बनाया नहीं, तो उन्हें पता भी नहीं है कि कैसे बनाया जाता है. आप जो मिशन लेकर निकले हैं, उसमें हम आपके साथ हैं. यात्रा संयोजक संजय सिंह ने कहा कि हम 12 राज्यों से 50 साथी इस यात्रा पर निकले हैं. गांधी जी साबरमती से सेवाग्राम आये थे, हम सेवाग्राम से साबरमती जा रहे हैं, हम उल्टा जा रहे हैं, क्योंकि समय ही उल्टा है. जो हथियार बापू ने हमें दिया था, आज वही सत्याग्रह का हथियार लेकर हम उनके आश्रम को बचाने निकले हैं. वे गांधी जी के आश्रमों को बदलना चाह रहे हैं, लेकिन गांधी वालों से कभी बात भी नहीं करना चाहते। मैं सभी से आवाहन करता हूँ कि सभी गाँधीजन और सभी देशवासी इसका विरोध करें और हमारी आवाज से आवाज मिलाएं।


वरिष्ठ गांधीवादी रजनी भाई दबे ने कहां कि हम अपने अर्थ में, शिक्षा में, स्वास्थ्य में, सभी क्षेत्रों में पीछे हुए हैं, ऐसे ही साबरमती नदी का हाल भी खराब कर दिया है. अब वह नदी नहीं रही, लंबा तालाब हो गई है. देश से सभी चीजें खत्म हो रही हैं, उनका क्या, वे तो झोला उठा कर चल देंगे और विदेश में बस जाएंगे, आपके पास खोखला भारत बचेगा। इसलिए हम सब संकल्पित हैं कि सरकार को ऐसा करने नहीं देंगे. प्रो भारत मेहता ने कहा कि अगर राजा व्यापारी हुआ, तो जनता भिखारी हो जाति है, अब देश को भिखारी बनाया जा रहा है. देश को बेचने वाले ने सरदार एयरपोर्ट का नाम अडानी के नाम कर दिया. जो वर्तमान को ठीक नहीं कर सकते, भविष्य नहीं बना सकते, वे इतिहास के साथ छेड़छाड़ करते हैं। यात्रा को स्थानीय संगठनों के अलावा सुरेश भाई पटेल, नरेंद्र भाई रावत, के पी वाघेला, महेश सोलंकी, अमीरावत, दिलीप भट, सागर भट आदि का साथ मिला.

सेवाग्राम-साबरमती संदेश यात्रा का दूसरा दिन : दूसरा पड़ाव
18 अक्टूबर 2021, दिन सोमवार

सोमवार की सुबह बेहद खास थी, यात्री सबसे पहले तिलक महाराज की प्रतिमा पर माल्यार्पण व दर्शन करने के बाद बाबा साहब आंबेडकर की प्रतिमा पर पहुंचे, वहां माल्यार्पण और दर्शन के उपरांत यात्री गांधी जी की प्रतिमा पर पहुंचे। यह बेहद खास और रोमांचकारी अनुभव रहा, जब देश के तीन तीन महापुरुषों की अदृश्य उपस्थिति से प्रेरणा और शक्ति लेकर यात्रियों का संकल्प और मजबूत हुआ.


अकोला में भी भारी संख्या में लोग जुटे. उपस्थित जनसमूह को सम्बोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि 73 वर्ष पूर्व एक हत्यारे की गोली ने महात्मा गांधी की आवाज को सदा के लिए खामोश कर दिया था। उनके पार्थिव शरीर को अग्नि को समर्पित कर दिया गया था, परन्तु उस संदेश को नहीं मिटाया जा सका, जिसके लिए उन्होंने अपना जीवन जिया और शहीद हुए। आज उनकी विरासत को बचाने का हमारा सामूहिक प्रयत्न अवश्य फलीभूत होगा. उनकी प्रेरणा हमारे साथ है.

तीसरा पड़ाव
खामगांव में हुई ऐतिहासिक सभा

साबरमती सन्देश यात्रा महाराष्ट्र राज्य के अकोला से निकलकर दोपहर में खामगांव पहुंची। शहर के बाहर ही सभी यात्री बस से उतरकर हाथ में बैनर लिए पैदल मार्च करते हुए नारे और गीत के साथ तिलक चौक पहुंचे. यहाँ भी लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया व उनकी मूर्ति की सफाई की गई। इसके बाद संविधान चौक पहुंचकर गांधी बगीचा में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पुतले को बच्चों के हाथों से माल्यार्पण कराया गया। यहाँ स्थानीय साथियों व तरुणाई फाउंडेशन द्वारा यात्रियों को स्वल्पाहार कराया गया. वहां से स्वर्गीय भास्कर राव शिंगणे कॉलेज के लिए प्रस्थान हुआ। खामगांव में ऐतिहासिक सभा हुई।

स्थानीय गांधीजनों के बीच कुमार प्रशांत का संबोधन


सभा में गांधी शांति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष कुमार प्रशांत और यात्रा के संयोजक गांधी स्मारक निधि के सचिव संजय सिंह ने अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि हम सरकार को राष्ट्रीय धरोहरों को नष्ट करने का अधिकार नहीं दे सकते। साबरमती आश्रम उस ऐतिहासिक नमक आंदोलन का गवाह है, जिसने अंग्रेजी साम्राज्यवाद की चूलें हिला दी थीं। यह देश के लिए श्रद्धा और प्रेरणा का स्थान है। हम इसे सत्ताधीशों की सनक का शिकार नही बनने देंगे।


महात्मा गांधी हमेशा ही उस विश्व के लिए एक प्रेरणास्रोत बने रहेंगे, जिसमें हम रहते हैं। यही वे बातें थीं, जिन पर मार्टिन लूथर किंग का अटूट विश्वास था. मैं उन्हें उद्धृत करता हूँ : ‘गांधी अवश्यम्भावी थे, यदि मानवता को प्रगति करनी है, तो गांधी के मार्ग से बचा नहीं जा सकता। उन्होंने अपना जीवन जिया, विचार किया और उसी के हिसाब से कार्य किया, जो शांति एवं सामंजस्य के एक विश्व की दिशा में उभरती मानवता का आदर्श था। हम गांधी जी को अपने जोखिम पर ही नजरअंदाज कर सकते हैं।’


एक ऐसी विभूति, जिसने शांति और अहिंसा का उपदेश दिया, एक ऐसे विश्व में उसकी प्रासंगिकता बढ़ गयी है, जो ऐसे हथियारों से भरा हुआ है, जो हमारे इस ग्रह को 100 बार नष्ट कर सकते हैं. एक ऐसा मनुष्य, जिसने घृणा को प्रेम से जीतना चाहा, वह ऐसे विश्व में क्यों न प्रासंगिक हो, जहां आतंकवाद वैश्विक नासूर बन गया है. एक ऐसा मनुष्य, जिसने गरीबों की वेशभूषा सम्मान के प्रतीक के रूप में अपनाई, आज उसकी विरासत की रक्षा करना विश्व का आपद्धर्म हो गया है.

सेवाग्राम-साबरमती संदेश यात्रा का तीसरा दिन
साने गुरुजी की कर्मभूमि में सेवाग्राम साबरमती संदेश यात्रा का भव्य स्वागत
19 अक्टूबर 2021, दिन मंगलवार

सेवाग्राम से साबरमती संदेश यात्रा का आज यहां साने गुरुजी की कर्मभूमि में भव्य स्वागत किया गया और संगोष्ठी आयोजित की गई। इसके पूर्व जलगांव में यात्रा का नागरिकों ने उत्साहपूर्वक स्वागत किया। इस अवसर पर हरिजन सेवक संघ द्वारा एक सभा का आयोजन किया गया, जिसमें नगर के प्रबुद्ध नागरिक, सर्वोदय कार्यकर्ता और युवा शामिल हुए। सभा को कुमार प्रशांत, संजय सिंह, राजेंद्र सिंह, आशा बोथरा और अशोक भारत आदि ने संबोधित किया।


गांधी पीस फाउंडेशन के अध्यक्ष कुमार प्रशांत ने कहा कि आजादी की लड़ाई में गांधी जी ने लोगों को निर्भय बनाया, लेकिन आज लोग अपनी ही चुनी हुई सरकार से बोलने में डरते हैं। यह यात्रा चाहती है कि लोग सच बोलें। हम सरकार से भी कहना चाहते हैं कि वह रास्ता बदले।
संजय सिंह, सचिव, गांधी स्मारक निधि, दिल्ली ने कहा कि सरकार आधुनिकीकरण के नाम पर गुपचुप तरीके से आश्रम के स्टेटस में बदलाव करना चाहती है, जो गलत है। इस संबंध में कोई जानकारी नहीं दी जा रही है, यहां तक कि साबरमती में रहने वाले लोगों को भी अंधेरे में रखा गया है। सरकार के इस एजेंडे से साबरमती आश्रम की बुनियादी विशेषताएं समाप्त हो जाएंगी, जो चिंताजनक है ।गांधी ने जिन मूल्यों पर आदर्श समाज रचना की कल्पना की थी, उसे सरकार को समझना चाहिए।

यात्रा बैनर के साथ संदेश यात्री


राजेंद्र सिंह ने कहा कि गांधी के आंखों में गरीबों के लिए पानी था। सरकार उस पानी को सुखाना चाहती है। गांधी की सरलता और सादगी दुनिया भर के लोगों को आकर्षित करती है। लोग उनके विचारों और आश्रमों से प्रेरणा लेने आते हैं। सरकार उस विरासत को नष्ट करना चाहती है। अशोक भारत ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की धरोहर साबरमती आश्रम जो असंख्य लोगों के लिए प्रेरणा स्थल है, को केंद्र सरकार बदलना चाहती है। इससे दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति क्या होगी कि आज साबरमती आश्रम को बचाने के लिए हमें यात्रा पर निकलना पड़ रहा है। इस यात्रा के माध्यम से हम लोगों से अपील करते हैं कि विरासत को बचाने और देश को एक बार फिर खड़ा करने के लिए मिलजुल कर आगे बढ़ें। इस कार्यक्रम में गांधी रिसर्च फाउंडेशन के उदय महाजन, अश्विनी झाला, गीता धर्मपाल आदि ने अपने विचार रखे श्री शंभू पाटिल ने प्रारंभ में कार्यक्रम की प्रस्तावना रखी।


आज यात्रा की शुरुआत सर्वधर्म प्रार्थना से हुई। सुबह जलगांव रेलवे स्टेशन पर बाबासाहेब अंबेडकर की मूर्ति के सामने श्रद्धांजलि अर्पण के पश्चात प्रभात फेरी करते हुए यात्रा जवाहरलाल नेहरू की मूर्ति तक पहुंची और उन्हें माल्यार्पण करने के बाद प्रभात फेरी गांधी उद्यान, जलगांव पहुंची, जहां जलगांव गांधी रिसर्च फाउंडेशन के उदय महाजन, हरिजन सेवक संघ के शम्भू पाटिल एवं स्थानीय सर्वोदय के कार्यकर्ताओं ने यात्रा का हार्दिक स्वागत किया। चर्चा के बाद नारे लगाते हुए यात्रा आगे बढ़ी और पालदी पहुंची। पालदी में एक बैठक का आयोजन किया गया। यहां सर्वोदय के स्थानीय कार्यकर्ता बीडी पाटिल तथा नागरिकों ने यात्रा का भव्य स्वागत किया एवं पालदी में एक जनसभा का आयोजन किया गया ।
साने गुरुजी कर्मभूमि स्मारक प्रतिष्ठान अमलनेर में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया, संगोष्ठी में सर्व सेवा संघ के मंत्री अरविंद कुशवाहा, राष्ट्रीय युवा संगठन के भूपेश भूषण, कुमार प्रशांत एवं राजेंद्र सिंह राणा ने अपनी बात रखी। कार्यक्रम का संचालन दर्शना पवार ने किया। अमलनेर का यह केंद्र साने गुरुजी की कर्मस्थली है। साबरमती आश्रम में सरकार द्वारा परिवर्तन का जो प्रयास किया जा रहा है, उसके विरुद्ध अमलनेर की जनता ने संकल्प पारित किया तथा यहां से एक युवा टोली 24 अक्टूबर को अहमदाबाद के साबरमती आश्रम पहुंचकर अपना संकल्प दोहराएंगी। दर्शना पवार, जितेंद्र सुनार ,अरविंद सराफ, रमेश दाने आदि ने अमलनेर में कार्यक्रम का संयोजन किया।

सेवाग्राम-साबरमती संदेश यात्रा का चौथा दिन
साबरमती आश्रम की किस्मत सरकार को तय नहीं करने देंगे : कुमार प्रशांत
20 अक्टूबर, 2021, दिन बुधवार

आज यात्रा की शुरुआत सुबह 7 बजे सर्वप्रथम बाबा साहब अम्बेडकर की मूर्ति पर माल्यार्पण से हुई। धुले में विनोबा जी को जिस जेल में रखा गया था, उसको देखते हुए गांधी प्रतिमा पर पहुँचकर माल्यार्पण करते हुए यात्रा दोंडाइचा पहुंची, जहां स्थानीय साथियों ने यात्रा का स्वागत किया। इसके बाद यात्रा व्यारा के लिए रवाना हुई। नंदूरबार पहुँच कर यात्रा का स्वागत मदर टेरेसा कॉलेज में किया गया। स्वागत के उपरांत सभा का आयोजन किया गया, जहां आबिदा जी ने अपनी बात रखते हुए कहा कि साबरमती आश्रम बापू ने तब बनाया, जब बापू भारत आये और अपने रहने के लिए जगह ढूंढ रहे थे, तब साबरमती आश्रम का निर्माण हुआ। यह आश्रम किसी सरकार का नहीं है, वह भारत का हृदय है, जहां से हम प्रेरणा लेते हैं। उसे सरकार बदलकर पर्यटन स्थल बनाना चाहती है, जो देश के लिए घातक है। उसे हमें बनने नहीं देना है। इसलिए इस गौरव को हम बचाने निकले हैं। आप भो साथ आइये और हमारे साथ कंधे से कंधे मिलाकर चलिए।

संदेश यात्रियों का सम्मान


डॉ. विश्वजीत ने कहा कि गांधी जी ने हमें आज़ादी दिलाई, गांधी जी अंतिम आदमी के लिए हमेशा आवाज उठाते रहे। उनकी कुटिया को सरकार पर्यटन स्थल बनाने में लगी हुई है। देश भुखमरी की ओर जा रहा है। गांधी अगर होते तो यही सोचते कि सबसे कम लागत में घर कैसे बनाया जा सके, ऐसे में उनकी झोपड़ी को 1200 करोड़ रुपये खर्च कर पर्यटन स्थल बनाना गांधी का काम नहीं है। उन्होंने कहा कि जनता के पैसे से होगा। आज भी हम यही कहते हैं कि सरकार का पैसा नहीं चाहिए, जनता के पैसे से हम इसे देखेंगे और बनाएंगे भी। जलपुरुष राजेन्द्र सिंह ने कहा कि दुनिया के लोग बापू के आश्रम को वैसे ही देखना चाहते हैं, तब इस सरकार को इतना पैसा लगा कर आश्रम को बदलने की क्या जरूरत है? सत्ता सत्य से डर रही है, इसलिए वह झूठ की दुनिया खड़ा करना चाहती है।


कुमार प्रशांत ने कहा कि सरकार सभी जगह नई नई बिल्डिंग का निर्माण कर रही है, लेकिन इस कोरोना में जो लोग सांस की कमी से मरे, वे उनकी प्राथमिकता में नहीं थे। अब तो वे यह भी कहते हैं कि हम जो चाहेंगे वह करेंगे तो यह तो लोकतंत्र की बात नहीं है, और इस देश में राजतंत्र नहीं है। ऐसा ही काम अब वे गांधी के साबरमती आश्रम में करने जा रहे हैं। इतना पैसा लगाने से आश्रम की गरिमा खत्म होगी, इसलिए मैं इस सरकार से कहता हूं कि आप सरकार में है, इससे हमें दिक्कत नहीं है, पर गलत करेंगे तो हम गाँधी वाले तो कम से कम आपके साथ नही आएंगे, यह जान लीजिए। हम उनकी सद्बुद्धि के लिए 24 तारीख को प्रार्थना करेंगे। आप सब भी आइये, साथ जुड़िये तो आप भी, अपने आप सत्य के सिपाही बन जायेंगे।


अंत में उन्होंने कहा कि हमने अनेक सभाएं देखी हैं, लेकिन यह सभा एक प्रार्थना व आवाहन सभा है। गांधी जी के जीवन में सच्चे और अच्छे को समझने की जरूरत है। गांधी जी ऐसे थे कि स्कूल में शिक्षक के कहने पर भी नकल नहीं किया। सारी दुनिया यह मानती है कि आने वाले समय मे गांधी का रास्ता ही एकमात्र रास्ता है हमारे लिए। आपने यात्रियों का आभार व्यक्त किया और कहा कि साबरमती आश्रम को सरकार जो बनाना चाह रही है, उसके हम सब खिलाफ हैं और हम सब आवाज भी उठाएंगे।


सेवाग्राम साबरमती संदेश यात्रा गुजरात में प्रवेश कर चुकी है, यहां पर यात्रा का पुरजोर स्वागत किया गया। स्वागत करने वालों में अमर सिंह चौधरी पूर्व सांसद, ग्राम सेवा समिति व्यारा के अध्यक्ष गणपत भाई, आनंद भाई विधायक, अशोक भाई चौधरी, लाल भाई, सत्यकामी, मनीष भाई, लाल सिंह, रवि भाई सहित सभी साथियों ने नवागड़, व्यारा में ग्राम सेवा समिति द्वारा यात्रा का पुरजोर स्वागत करते हुए कहा कि अब समय आ गया है दूसरी क्रांति का। हम इस क्रांति के साथ हैं, साबरमती आश्रम के अस्तित्व को मिटने नहीं देंगे, हम तन मन धन से आप सभी के साथ हैं।

सेवाग्राम-साबरमती संदेश यात्रा का पांचवा दिन
साबरमती का प्रॉजेक्ट वापस ले सरकार – राजेन्द्र सिंह
21 अक्टूबर 2021, दिन, वृहस्पतिवार

आज सुबह की पहली सभा का आयोजन सुरुचि कृषि केंद्र बारडोली में किया गया, जिसमें सर्व प्रथम रमा बहन ने सभी यात्रियों का सूत के माला से आत्मीय स्वागत किया. तत्पश्चात राजेन्द्र सिंह ने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि खेती-किसानी के काम का संबंध सीधे पानी से है. दुनिया में खेती और औजारों को लेकर गांधी की जो सोच है, उसी को बचाने हम निकले हैं. साबरमती का आश्रम हो या हमारी जमीन, जंगल और पानी. यह सब सभी लोगों का है. सरकार ये सब बरबाद करने में लगी हुई है. हम बस सरकार को यह कहने निकले हैं कि यह गाँधीजी का रास्ता नहीं है, इसलिए आप अपना साबरमती का प्रॉजेक्ट वापस लें।


कुमार प्रशांत ने कहा कि औंजार, जिससे मनुष्य के हाथ में अपनी ताकत आती है, इसके प्रति हमेशा ही गाँधीजी बहुत स्पष्ट रहे हैं. उनके अनुसार, औंजार मनुष्य की मदद करने के लिए होने चाहिए, न कि उस पर नियंत्रण करने के लिए. यंत्र ऐसे होने चाहिए कि अगर खराब हो जायें तो उनको खुद ही ठीक कर लिया जाए, न कि बाहर लेकर जाना पड़े, इसलिए स्वराज का मतलब है कि हमारे ये मॉडल बचे रहें, चाहे वह हथियार हो या आश्रम. यह आश्रम ही हैं, जो चुनौती बनकर विरोधियों के सामने खड़े हैं।


इस सभा के बाद यात्रा स्वराज भवन के लिए रवाना हुई, जहां संचालक योगनी चौहान ने यात्रा का स्वागत किया. स्वागत के बाद सभी यात्रियों ने सरदार वल्लभ भाई पटेल के निवास स्थान का दर्शन किया और उनके तथा गांधी जी के चित्र पर माल्यार्पण किया. यहाँ भी एक सभा का आयोजन किया गया। सर्वप्रथम सर्व सेवा संघ की आशा बोथरा ने सभा को सम्बोधित किया. उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी जब साबरमती से निकले, तो यह कहते हुए निकले कि अब साबरमती वापस तभी आऊंगा, जब आज़ादी मिल जाएगी, लेकिन वे गुजरात आये, जब सरदार ने उनको बुलाया और कहा कि आप साबरमती नहीं आएंगे, लेकिन यहां तो आ सकते हैं, तब गांधी जी स्वराज भवन आये थे. गांधी जी कभी साबरमती नहीं लौट सके, इतिहास के इन पन्नों के साथ सरकार खेलना चाहती है. हम इस सरकार से यह कहने निकले हैं कि अपनी दुर्बुद्धि से वह साबरमती की मर्यादा बिगाड़ने की कोशिश न करे, सद्बुद्धि का उपयोग करते हुए 1200 करोड़ रुपये कहीं और उपयोग करे, जो गांधी के अंतिम आदमी के लिए हो तो बेहतर होगा।


पांचवे दिन: किम में रात्रिसभा


बारडोली से आगे चलकर यात्रा किम पहुंची तो रात हो गयी थी. वहां उपस्थित लोगों की भारी संख्या की मांग पर सभा जुड़ी तो शुरुआत राष्ट्रीय युवा संगठन के साथियों द्वारा गाये गीत “रुके न जो, झुके न जो, दबे न जो, मिटे न जो, हम वो इंकलाब हैं, जुर्म का जवाब हैं…’ से हुई, जिसके बाद उत्तम भाई ने उपस्थित लोगों से यात्रियों का परिचय कराया। उन्होंने कहा कि सरकार गांधी जी की विरासत को खत्म करने का काम कर रही है, जिसके विरोध में यह यात्रा लोगों से संवाद करने निकली है. यहां हम यात्रा का स्वागत करते हैं. मैं आनंद और गर्व महसूस कर रहा हूँ कि गुजरात के सभी गाँधीजन इस यात्रा के साथ हैं। गांधी के आश्रम की सादगी हर हाल में बनी रहनी चाहिए। गांधी जी के जीवन के अनुरूप हमें उनकी विरासत के लिए काम करना चाहिए।

सरदार पटेल के घर पर यात्री दल


किम एजूकेशन सोसाइटी में यात्रा संयोजक संजय सिंह ने अपनी बात रखते हुए कहा कि सेवाग्राम से साबरमती संदेश यात्रा लेकर हम गुजरात की धरती पर पहुँच गए है, गाँधीजी सेवाग्राम जाने से पहले साबरमती में थे. जब नमक सत्याग्रह की शुरुआत हुई, तब उन्होंने कहा कि जब तक स्वराज नही मिल जाएगा, मैं वापस नही आऊंगा. स्वराज तो मिला, लेकिन हमने उनको वापस नहीं आने दिया। दुनिया में जिसको भी आज़ादी प्रिय होगी, उसे आश्रम की जरूरत रहेगी. नदी को अगर प्रवाह के साथ बहना है, शिक्षा का अधिकार यदि चाहिए, भूख मिटाना यदि जरूरी लगे, पर्यावरण का संरक्षण यदि जीवन के लिए जरूरी है, तो तय मानिए कि हमें गाँधीजी की जरूरत है। महात्मा गांधी के विचारों के साथ खिलवाड़ पहली बार नहीं हो रहा है. हम गाँधीजन यह मांग करते हैं कि गाँधीजी के आश्रमों से कोई छेड़छाड़ मत करिए, अगर आपको कुछ करना ही है और आपके पास जमीन न हो, तो हमसे बात करें. हम जमीन उपलब्ध कराएंगे. विनोबा ने हमें जमीन मांगना भी सिखाया है। हम गांधी के आश्रम को उजाड़ने नही देंगे।


कुमार प्रशांत ने कहा कि हवा ऐसी बनी है कि देश मे डर छाया हुआ है, लेकिन आप देख रहे हैं कि यहाँ महिलाएं भी हैं, युवा भी हैं और बुजुर्ग भी हैं. इसका मतलब है कि हम डरे नहीं हैं. हम थोड़ा चुप थे कि सरकार कुछ काम कर ले, लेकिन वे देश बनाने के जगह अपने को बनाने में लग गए हैं. देश में इतना कुछ देखने को है, लेकिन लोग फिर भी गाँधीजी के आश्रम देखने आते हैं, क्योंकि वहां लोगों को सुकून मिलता है, इस आश्रम में जो लोग पैसा लगा रहे हैं, उससे उन्हें अपने दिमाग का इलाज कराना चाहिए, क्योंकि वह दूसरी तरफ चल रहा है, वह देश में सबकुछ नष्ट कर देना चाहते हैं. आप दिल्ली में ही देखिए, हमारी संसद के सामने एक बड़ी बिल्डिंग खड़ी कर दी गई है. इंडिया गेट, जहां लोग अपने आपसे मिलने जाते हैं, वह जगह ही खत्म कर दी गई है. यह इसलिए कि वे स्मृतियों को ही बिगड़ना चाह रहे हैं, क्योंकि इनके पास अपना कोई इतिहास नही है, तो इतिहास को विकृत करके इतिहास बनाने की कोशिश कर रहे हैं. साबरमती को भी वे इसीलिए भव्य बनाने की कोशिश में है ताकि कल जो उसको देखे और पूछे कि इसको किसने बनाया तो मोदी जी ने बनाया. गाँधी जी के शरीर को इन्होंने मारा, अब स्मृतियों को मारने की कोशिश कर रहे हैं। वे नहीं जानते कि दुनिया में जब तक बेहतर इंसान बनने की इच्छा बची रहेगी, तब तक गांधी नहीं मरेगा।

यात्रियों का किम में रात्रि सभा


आशा बोथरा ने इस सभा में कहा कि साबरमती की गरिमा को लेकर हम चिंतित हैं कि सरकार क्यों इसमें पैसे लगाना चाहती है. यह पैसे गांधी के आश्रम में लगाने से बेहतर है कि गांधी के कामों में लगायें। हम गांधी और सरदार की धरती पर हैं और उनको याद करते हुए उनके रास्तों पर चलकर उनकी स्मृतियों को बचाने का काम करेंगे। राजेन्द्र सिंह ने कहा कि यह सरकार बीमार सरकार है, लेकिन हम बीमार नहीं हैं. 1200 करोड़ में कितने हॉस्पिटल, कितने स्कूल खोले जा सकते हैं, लेकिन उनको लोगों के लिए दवाई और पढ़ाई की चिंता नहीं है, उनको अपना इतिहास लिखने की जल्दी मची हुई है, लेकिन उनको पता नहीं है कि इतिहास बनाने पड़ते हैं, किसी के बनाये इतिहास पर परत चढ़ाने से इतिहास नहीं बन जाते. अंत में उत्तम भाई ने कार्यक्रम में शामिल सभी साथियों का आभार व्यक्त किया.

सेवाग्राम-साबरमती संदेश यात्रा का छठवां दिन
वे इतिहास बदलना चाहते हैं, इसीलिए गांधी उनके निशाने पर हैं- सवाई सिंह
22 अक्टूबर 2021, दिन शुक्रवार

केंद्र और गुजरात राज्य सरकार द्वारा महात्मा गांधी के विश्व प्रसिद्ध सबरमती आश्रम के स्वरूप में बदलाव की कोशिश के विरुद्ध देश भर की प्रमुख गांधीवादी संस्थाओं ने 17 अक्टूबर को सेवाग्राम आश्रम से साबरमती संदेश यात्रा शुरू की। 50 से अधिक यात्रियों द्वारा सुबह सेवाग्राम स्थित बापू कुटी में प्रार्थना की गई और इस संकल्प के साथ यात्रा शुरु की गई कि स्वतंत्रता आंदोलन की विरासत और बापू की धरोहरों के साथ खिलवाड़ नही होने देंगे। सत्ता के ऐसे किसी भी प्रयास को विफल करने के लिए गांधीजन जनता के बीच जाएंगे और लोकमत का जागरण करेंगे।


सेवाग्राम से साबरमती संदेश यात्रा के संयोजक संजय सिह व विश्वजीत भाई ने बताया कि गांधी जी के सेवाग्राम आश्रम से शुरू हो रही यह यात्रा अमरावती, अकोला, खामगांव, भुसावल, जलगांव, अमलनेर, धुले, नदुरबार, बारडोली, सूरत होते हुए 23 अक्टूबर को अहमदाबाद पहुंचेगी।
सेवाग्राम आश्रम में यात्रा प्रारंभ करने से पहले वक्ताओं ने कहा कि गांधीजी द्वारा स्थापित आश्रम तथा संस्थाएं सत्य और अहिंसा की प्रयोगशालाएं रही हैं। जीवन और समाज का आदर्श रूप कैसा हो, इसकी साधना उन्होंने आश्रमों में की और अपने साथ-साथ असंख्य लोगों को प्रेरित व प्रशिक्षित किया।

यात्रियों का किम में रात्रि सभा


उनके बाद भी उनके आश्रम, उनकी विचाधारा और जीवन शैली को जानने समझने तथा प्रेरणा प्राप्त करने के पवित्रतम स्थल रहे हैं, जिनके प्रति देश और दुनिया के असंख्य नर-नारी गहरी आस्था रखते हैं। यही वजह है कि गांधी आश्रमों में दुनिया भर से लोग शांति और प्रेरणा की तलाश में खिंचे चले आते हैं। साबरमती आश्रम गांधीजी का अत्यंत महत्वपूर्ण आश्रम है। साबरमती आश्रम परिसर के स्वरूप में कोई भी तब्दीली सादगी में सौंदर्य की विचारधारा और विरासत की पवित्रता पर सीधा आघात है।


साबरमती आश्रम को आधुनिक पर्यटन स्थल बनाने की केंद्र सरकार की 1200 सौ करोड़ रुपयों की योजना अभी तक गोपनीय है। प्राप्त जानकारी के अनुसार इस योजना में नया संग्रहालय, एम्फी थिएटर, वीआईपी लाउंज, दुकानें, खाने-पीने और मनोरंजन की वृहद सुविधाएं निर्मित करने की योजना है। इसके कारण साबरमती आश्रम का मूल स्वरूप ही खत्म हो जाएगा, जो देश ही नहीं, दुनिया की ऐतिहासिक धरोहर है।
सरकार की इस कोशिश से गांधी विचार की संस्थाएं और शांतिप्रेमी नागरिक बेहद चिंतित हैं और ऐसे किसी भी प्रयास का पुरजोर विरोध करते हैं। जिस बाजार केन्द्रित भोगवादी सभ्यता से गांधी जी आजीवन लड़े, आज उसी बाजार को आश्रम में प्रवेश दिलाने के लिए विकास को आगे किया जा रहा है, जो नाकाबिले बर्दाश्त है। स्वतंत्रता के हीरक जयंती वर्ष के पवित्र और ऐतिहासिक अवसर पर गांधीजी की स्मृतियों के संरक्षण और राष्ट्रनिर्माण के लिए उनके द्वारा चलाए गए रचनात्मक कार्यक्रमों का उन्नयन करने के बजाय उनके पगचिन्ह मिटाने तथा भावी पीढ़ी से गांधी विचार परम्परा और विरासत को छीनने के लिए उनके स्मृतिस्थलों को तहस – महस करने की यह साजिश है।

रुके न जो, झुके न जो… हम वो इनकलाब


जिस तरह अमृतसर के जालियांवाला बाग को पर्यटन स्थल में तब्दील कर उस स्थान की भावना और प्रेरणात्मक वातावरण खत्म किया गया है, उसी तर्ज पर साबरमती आश्रम को बर्बाद करने की दिशा में कदम बढ़ाया जा रहा है। यह इतिहास मिटाने और उसे सुविधानुसार बदलने की आशंका का ठोस आधार है। देश के लिए बलिदान करने वाले स्वातंत्र्य सेनानियों और वीरों की स्मृतियां पर्यटन स्थलों में परिवर्तित कर उन्हें व्यावसायिक स्वरूप देना उनके त्याग, तपस्या और बलिदान के साथ ही जनभावना का भी अनादर है।


गांधीजन इस यात्रा के माध्यम से स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी स्मृतियों और राष्ट्रीय धरोहरों को मिटाने की केंद्र सरकार की कोशिशों के प्रति देश की जनता को सचेत कर, उनकी अंतरात्मा को जगाना चाहते हैं। हम केंद्र सरकार से यह अनुरोध भी करते हैं कि वह अपने कदम पीछे ले और राष्ट्रीय धरोहरों से छेड़छाड़ करने तथा उनका स्वरूप बदलने का प्रयास न करे।


सेवाग्राम-साबरमती संदेश यात्रा का सातवां दिन
अहमदाबाद की सभा में सरकारी ट्रस्ट को अस्वीकार करने की घोषणा
23 अक्टूबर 2021, दिन शनिवार

आज सुबह यात्रा दल बड़ोदरा से रवाना हुआ और नाडियाड पहुंचा. यहाँ उत्तम भाई और साथियों ने यात्रा दल का स्वागत किया, यहाँ से यात्रा पर्चा वितरण करते हुए सरदार पटेल की जन्मस्थली पहुंची, जहां गांधी और पटेल की स्मृति में नारे लगाये गये. उसके बाद यात्रा नाडियाड के एक अनाथालय पहुंची, जहाँ एक सभा का आयोजन था. सभा का संचालन और स्वागत भाषण उत्तम भाई पटेल ने किया. उन्होंने कहा कि यदि सरकार साबरमती आश्रम के साथ छेड़खानी का प्रयास करेगी तो हम सत्याग्रह पर उतर आएंगे. यह अचूक अस्त्र गांधी ने ही हमें सिखाया था.
राजेन्द्र सिंह ने कहा कि अगर गुजरात सरकार गोलियां चलाएगी तो हम सीने पर गोली खाने को तैयार हैं. हिंदू अनाथालय के ट्रस्टी दिनशा पटेल ने कहा कि ऐतिहासिक शहर नाडियाड में ही सरदार पटेल का जन्म हुआ था. उनका बचपन यही बीता है. गांधी जी 1916 में पहली बार नाडियाड आए, दूसरी बार 1917 में एक दिन के लिए आए, तीसरी बार नमक सत्याग्रह के समय यहां रुके और चौथी बार सरदार पटेल के बड़े भाई की मौत पर 1934 में यहां आए थे.

मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में बनने वाले सरकारी ट्रस्ट को हाथ उठाकर अस्वीकार करते हुए अहमदाबाद के लोग


सवाई सिंह ने कहा कि हम गांधी के मूल्यों को मानने वाले लोग गांधी के साबरमती आश्रम के साथ सरकार का किसी भी तरह के हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं करेंगे. अभी हम भले मुट्ठी भर लोग दिखते हैं, पर यह कारवां है, अपने आप बड़ा होता जाएगा. वक्ताओं के सम्बोधन के बाद सभा का समापन हुआ और यहां से यात्री दल गुजरात विद्यापीठ, अहमदाबाद के लिए रवाना हुआ। विद्यापीठ में भी सभा का आयोजन था। यात्रा के संयोजक संजय सिंह ने यहां कहा कि हमारा संकल्प अडिग है, हम पीठ नहीं दिखाएंगे. आशा बोथरा ने कहा कि गांधी जी के प्रतीकों के नाम पर अपना इतिहास बनाने की कोशिश करने वालों के सपने हम साकार नहीं होने देंगे.


चिन्मय मिश्र ने कहा कि गांधी पर इतना रिसर्च होता है कि एक किताब रोज़ आज भी छपती है. जलियांवाला बाग की स्थिति सरकार ने ऐसी कर दी है कि अब वहां अपना इतिहास कुछ नहीं दिखता। गांधी संस्थाओं को भी आत्मचिंतन की सलाह देते हुए उन्होंने कहा कि जब कोई बीमार होता था, तो बापू उसके पास पहुंचते थे. हम सब भी सबके काम आयें, सबके लिए अपना दरवाजा खुला रखें,यह हम गाँधीजनों को सोचना चाहिए। डॉ विश्वजीत ने कहा कि साबरमती आश्रम के निर्माण में जिनकी ताकत लगी है, वे सब अहमदाबाद के लोग रहे हैं. ऐसे में अब सरकार उसमें घुसपैठ क्यों कर रही है? यह आश्रम दुनिया भर के लोगों का है, अगर सरकार ने अपने कदम वापस नहीं लिए तो हम देश भर में जाएंगे और 77 का आंदोलन याद दिलाएंगे।

साबरमती आश्रम पहुंचने से पहले


कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रकाश शाह ने कहा कि साबरमती गांधी की भूमि है, उसको आप गांधीविहीन बनाना चाहोगे तो नहीं होने देंगे. यह केवल आश्रम ट्रस्टी और सरकार के बीच का मामला नहीं है. इसमें सिविल सोसाइटी भी जुड़ेगी। सरकार ने एक वीडियो जारी किया है. उसमें वे कहते हैं कि एक नया सरकारी ट्रस्ट बनेगा, उसको मुख्यमंत्री देखेंगे. मतलब कि ये लोग आश्रम के ट्रस्ट को बदलना चाहते हैं. यह नया ट्रस्ट जो आ रहा है, उसके ऊपर हम भरोसा नहीं कर सकते। सभा में उपस्थित सभी ने हाथ उठाकर मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में बनने वाले सरकारी ट्रस्ट को अस्वीकार किया. इसके बाद वैष्णव जन तो तेने कहिए जे पीर पराई जाने रे. भजन के साथ इस सभा का समापन किया गया।

टिप्पणियां

यह विरासत मिटाने की कोशिश है

डॉ. सुगन बरंठ

हमारे प्रेरणा स्थल को पर्यटन स्थल में बदलने की कोशिश हो रही है, यह हमें मंजूर नहीं। इसीलिए यह सेवाग्राम साबरमती संदेश यात्रा है। महात्मा गांधी ने सादगी, सेवा और त्याग के मूल्यों पर राष्ट्र निर्माण का कार्य प्रारंभ किया था, जिसका प्रतीक है साबरमती आश्रम। उसे मिटाने की कोशिश हो रही है, हमारी विरासत को मिटाने की कोशिश काे देश की जनता कभी स्वीकार नहीं करेगी। इतिहास को बदलने की कोशिश का इस देश की जनता जवाब देगी।

हृदयकुंज देश का हृदय है

संजय सिंह

हम सरकार को यह अधिकार नहीं दे सकते कि वह देश की विरासत को मिटाए, साबरमती आश्रम से देश के गरीब जनता को शक्ति मिलती है, गांधी ने नमक सत्याग्रह के जरिये देश की जनता के लिए जो लड़ाई लड़ी, वह इसी साबरमती आश्रम की विरासत है, साबरमती का हृदयकुंज देश का हृदय है. हम सरकार को अपना हृदय नहीं दे सकते, हम यह नहीं चलने देंगे.

हम समर्थन करते हैं

साबरमती आश्रम के रूप में बापू की विरासत की रक्षा के लिए आयोजित सेवाग्राम साबरमती संदेश यात्रा का हम समर्थन करते हैं. यात्रा में शामिल सभी यात्रियों को उनकी सफल यात्रा के लिए हम अपनी शुभकामनाएं प्रेषित करते हैं. -जी वी सुब्बाराव

यह राजदंभ का अश्लील प्रदर्शन है

अरविन्द अंजुम

महात्मा गांधी ने अहिंसा के मूल्य को व्यक्तिगत आचरण की कसौटी से विकसित कर सामाजिक रूपांतरण का माध्यम बनाया, जो दुनिया भर में सत्याग्रह के नाम से प्रचलित हुआ। इसी सत्याग्रह के प्रयोगभूमि है – साबरमती आश्रम, जिसे सत्ता मद में आकर विरूपित/विकृत करने का प्रयास किया जा रहा है।
साबरमती आश्रम संपूर्ण मानवता की धरोहर है। यह कोई मनोरंजन कक्ष या एक्युजमेंट पार्क नहीं है और न ही यह स्थान किसी चकाचौंध या भव्यता का मोहताज है। इसकी एक गरिमा है, एक विशेष संदेश है। राजदंभ के अश्लील प्रदर्शन की कोशिश से ऐसा प्रतीत होता है कि गांधी हत्या की तरह ही गांधीवादी मूल्यों की हत्या की कवायद हो रही है।

मुझे अपने सवालों के जवाब मिल रहे हैं

शिवकांत त्रिपाठी

साबरमती संदेश यात्रा की तारीख सुनिश्चित होने के बाद मध्य प्रदेश राष्ट्रीय संगठन की ओर से इस यात्रा में शामिल होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ मन में कई तरह के सवाल और विचारों के उहापोह के बीच इस यात्रा के लिए उत्सुकता के साथ 16 तारीख को बापू कुटी, सेवाग्राम पहुंचने के बाद सभी सर्वोदय जनों के साथ 17 तारीख को बापू कुटी प्रार्थना स्थल में प्रार्थना कर यात्रा का शुभारंभ हुआ। यात्रा में मुझे बैनर लेकर सामने चलने की लिए वरिष्ठ साथियों का निर्देश प्राप्त हुआ यह मेरा किसी बड़े यात्रा में शामिल होने का पहला अनुभव था। पूरे देश भर से आए 10 राज्यों के साथियों के साथ इस यात्रा में शामिल होना अलग ही अनुभव था। अलग भाषा, अलग बोली, अलग-अलग तरह के पहनावे और खानपान के लोगों के साथ मिलने का जो सौभाग्य प्राप्त हुआ, यह मेरे जीवन के लिए एक अद्भुत, अकल्पनीय और अविस्मरणीय समय है जैसे-जैसे यात्रा आगे बढ़ रही है, मेरे मन में जो दुविधा बनी हुई थी, वह उतना ही मेरे मन को मजबूत करती जा रही है। मैं अपने सवालों के जवाब इस यात्रा में शामिल हुए वरिष्ठ गांधीजनों द्वारा अलग अलग जगहों की सभाओं में उद्बोधनों और संवादों से आत्मसात कर रहा हूं, उससे मुझमें एक अद्भुत ऊर्जा का संचार और स्फूर्ति महसूस हो रही है, मन को तसल्ली मिल रही है। मेरा भटकाव धीरे धीरे स्थिरता और ठहराव की ओर बढ़ता जा रहा है।

प्रेरणा का मूल स्रोत सादगी, सत्य और अहिंसा है

रामधीरज

दुनिया भर में सभी सरकारें अपने राष्ट्रीय स्मारकों की रक्षा करती हैं। गांधी जी इस देश के जीवंत और अद्यतन स्वतंत्रता संग्राम के पुरोधा हैं। उनके आश्रम की स्थापना हुए 100 साल से ज्यादा हो गया है और वह केवल देश ही नहीं दुनिया भर के लोगों को प्रेरित कर रहा है। प्रेरणा का मूल स्रोत सादगी, सत्य और अहिंसा है। सरकार को ऐसी धरोहरों को उसके मूल स्वरूप में संरक्षित रखना चाहिए। उसके साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ इतिहास और गांधी विचार के प्रति नाइंसाफी होगी। संयुक्त राष्ट्र संघ ने गांधी जयंती को विश्व अहिंसा दिवस के रूप में माना है, ऐसे में भारत सरकार को चाहिए कि इस जन भावना का मान रखे और न केवल साबरमती बल्कि देश की दूसरी धरोहरों को भी जस का तस सुरक्षित रखे।

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