बातचीत देश में बेरोजगारी लगातार बढ़ रही है। कहा जा रहा है कि पिछले 45 वर्षों में देश में बेरोजगारों की संख्या इस समय सर्वाधिक है। पांच राज्यों में चुनाव हो रहे हैं, लेकिन बेरोजगारी को कहीं भी मुद्दा नहीं बनाया जा रहा है। आखिर ऐसा क्यों है? इन सवालों […]

आर्थिक बदलाव बिना सामाजिक बदलाव के संभव नहीं है। पक्ष और विपक्ष दोनों की बहसें इस पर हैं कि असंगठित क्षेत्र में रोज़गार कैसे पैदा किए जाएं। ज़रूरत इस बात पर विचार करने की भी है कि संगठित क्षेत्र में रोज़गार कैसे पैदा करें। स्वरोज़गार और आत्मनिर्भरता पर ज़ोर देने […]

सरकारी एवं गैर सरकारी रोजगार में तेजी से कमी आयी है। बेरोजगारी पिछले 45 सालों के इतिहास में चरम पर है। गरीबों की आबादी बढ़ती जा रही है। जनता की क्रय शक्ति आनुपातिक रूप से घटती जा रही है। ऑक्सफैम की एक रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना काल में जहां मुट्ठी […]

नीति आयोग ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि बिहार भारत का सर्वाधिक पिछड़ा और ग़रीब राज्य है। यह वही बिहार है, जिसे एक समय जॉन वार्दले हॉल्टन ने अपनी किताब बिहार; द हर्ट ऑफ़ इंडिया, 1949 में बिहार को “हर्ट ऑफ़ इंडिया(ऐन एपीटोम ऑफ़ द एंडलेस डाइवर्सिटी ऑफ़ […]

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