साबरमती आश्रम को बचाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाईकोर्ट को आदेश दिया है कि वह इस मामले में महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी द्वारा दाखिल जनहित याचिका की सुनवाई करे और सभी संबंधित पक्षों को नोटिस जारी करे। इससे […]
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गांधी और उनके विचारों को गाली देना समाज में स्वीकार्य होता जा रहा है, बल्कि गांधी को खुलेआम गाली देकर ऊंचा पद और बहुत कुछ पाया जा सकता है। यह स्थिति स्पष्ट रूप से गांधी विचार की स्वीकार्यता में आयी कमी को दिखाती है, जो चिंता का सबसे बड़ा कारण […]
साबरमती आश्रम अहमदाबाद के बाद अब सरकार का चाबुक सेवाग्राम आश्रम, वर्धा की ख़ादी पर है। सरकार ने अपने नए मनमाने क़ानून से सेवाग्राम आश्रम में तैयार होने वाले शुद्ध ख़ादी वस्त्रों को ग़ैर क़ानूनी घोषित कर प्रतिबंधित करने की धमकी दी है। पढ़िए अशोक शरण का विचारोत्तेजक लेख। गांधी […]
अमरीकी संसद को संबोधित करते हुए भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने कहा था, ‘दुनिया के किसी कोने में यदि मानवता पर हमला होगा, न्याय का गला घोंटा जाएगा, तो हम तटस्थ नहीं रह सकते। हर अन्याय, हर जोर-जुल्म के खिलाफ, मानवता के पक्ष में हम अपनी आवाज बुलंद […]
यूक्रेन गेहूं और खाद्य तेलों, विशेषकर सूरजमुखी तेल के बड़े निर्यातकों में से एक है। भारत वहां से तकरीबन 1.5 बिलियन डॉलर का सूरजमुखी तेल हर साल मंगाता है। ऐसे में, इन वस्तुओं का आयात प्रभावित होने से हमारे यहां खाद्य उत्पादों पर असर पड़ेगा। यानी यह युद्ध ऊर्जा, धातु […]
गांवों में चरागाह या अभयारण्य जैसी कोई व्यवस्था शेष नहीं बची है. ऐसे में इन छुट्टा जानवरों के पास अपना जीवन बचाने के लिए किसानों की फसल चरने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है. छुट्टा गोवंश की समस्या का स्थायी समाधान सरकार और समाज को ही निकालना होगा. कुछ […]
गाय के बारे में आजकल जो विवाद चल रहे हैं, वह दरअसल केवल गाय के विवाद नहीं हैं। प्रश्न यह है कि पतन और विदेशी शासन के हजार वर्षों में जो विकृत, कुंठित व्यक्तित्व हमारा बना है, क्या उसे ही हम अपनी विरासत मानते हैं? हम इतने दिनों से लकवाग्रस्त […]
एक गोरक्षा प्रचारक और स्वामी विवेकानंद के बीच हुआ था यह दिलचस्प संवाद फरवरी 1897 की बात है. तत्कालीन कलकत्ते के बाग़ बाज़ार इलाके में स्वामी विवेकानंद स्वामी रामकृष्ण परमहंस के एक भक्त प्रियनाथ के घर पर बैठे थे. कई भक्त और अनुयायी उनसे मिलने वहां पहुंचे थे. तरह-तरह के […]
सावरकर कहते हैं कि मुझे ऐसा लगता है कि गाय का गोबर खाना और गोमूत्र पीना कभी किसी समय समाज में किसी निन्दनीय कार्य के लिए सजा की तरह उपयोग में लाया जाता रहा होगा। प्रायश्चित के तौर पर गोमय और गोमूत्र का सेवन भी यही दर्शाता है। आगे चलकर […]
प्रकृति का चिरंतन चक्र घूमता रहता है, इसलिए लाभ हानि में संतुलन बना रहता है। प्रकृति के इस नियम को खंडित किया गया। अंग्रेजों की मिलिटरी के भोजन के लिए बछड़े और जवान गायें डेढ़ सौ साल कटती रहीं। डेयरी के लिए शहरों में गया गोवंश गांव में वापस नहीं […]