गांधी जी ने गोसेवा और गोरक्षा का अंतर स्पष्ट करते हुए कहा था कि गोशाला से गोसेवा होगी और चर्मालय से, अर्थात मरे हुए गाय-बैलों की खाल निकालने से गोरक्षण होगा। अगर हम मरे हुए गाय-बैलों की खाल नहीं निकालते हैं, तो चमड़े के लिए गाय-बैलों का कत्ल करना नहीं […]
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अगर इसी तरह दुनिया में मानव मूल्यों का ह्रास होता रहा, प्रकृति में असंतुलन पैदा होता रहा और वातावरण प्रदूषित होता रहा तो दुनिया में मनुष्य का अस्तित्व बचाना कठिन हो जायेगा, क्योंकि यह दुनिया आदमी के रहने लायक नहीं रह जायेगी। वैसी परिस्थिति में मानव-पशुश्रम आधारित अर्थव्यवस्था, मानव-जीवन का […]
शक हो, सवाल हो, किसी भी दशा में हों, दिलो दिमाग कुछ और कहता हो, लेकिन आपके पास नो सर, हाई सर कहने के अलावा और कुछ कहने का ऑप्शन ही नहीं है। वह आदेश लाखों देशवासियों को धर्म के नाम पर गैस चेम्बर में झोंक देने का हो या […]
प्रदूषण अभी तक आम लोगों का मुद्दा नहीं बन पाया है। अभी तक यह मुद्दा सिर्फ पढ़े-लिखे वर्ग का ही मुद्दा है। अगर हम वास्तविक रूप से धरातल पर देखें और आम लोगों से उनकी शीर्ष पांच समस्याओं के बारे में पूछें तो पाएंगे कि प्रदूषण का मुद्दा उनमें शामिल […]
गोरक्षा जैसा वैज्ञानिक और आध्यात्मिक प्रश्न राजनीति के भंवर में घिर गया है। आज स्थिति यह है कि गोरक्षा का प्रश्न हाशिये पर चल गया है। पूरी कृषि संस्कृति बाजार के हवाले हो गयी है। सरकार की नीतियों, बाजार की ताकत और सामाजिक उपेक्षा ने संपूर्ण गोवंश को कृषि से […]
स्वातंत्र्योत्तर भारत की मजबूती गांव, कृषि और कुटीर उद्योगों को सुदृढ़ करने से ही हो सकती थी और आज भी हो सकती है। गाय और बैल इस सबके केन्द्र में थे। गाय के दूध, दही और घी से पोषण, बैलों से अत्याचार रहित जुताई और ढुलाई, उनके गोबर से गैस, […]
मैं खुद गाय को पूजता हूं, यानी मान देता हूं। गाय तो हिन्दुस्तान की रक्षा करने वाली है, क्योंकि उसकी संतान पर हिन्दुस्तान का, जो खेती-प्रधान देश है, आधार है। गाय कई तरह से उपयोगी जानवर है। वह उपयोगी जानवर है, यह तो मुसलमान भाई भी कबूल करेंगे, लेकिन जैसे […]
वर्तमान भारत में पारम्परिक स्थितियों के अलावा आर्थिक स्तर पर भी नये वर्गों का उदय हुआ है। दुर्योग यह है कि देश की स्वास्थ्य नीति इन नये वर्गों के अनुसार ही तय की जाती है। स्वास्थ्य बजट का सर्वाधिक हिस्सा इन पर ही केन्द्रित होता है। यही कारण है कि […]
कोरोना वायरस संक्रमण ने दुनिया को स्वास्थ्य के साथ-साथ आर्थिक संकट की तरफ भी धकेला है। इसकी वजह से वैश्विक मंदी स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है। दुनिया भर में करोड़ों लोग अपने रोजगार से हाथ धो चुके हैं और करोड़ों के ऊपर रोजगार छिन जाने का संकट खड़ा […]
‘आईआईटी खडगपुर’ ने नववर्ष का कैलेण्डर जारी किया है। किसी उत्कृष्ट तकनीकी संस्थान से उम्मीद की जाती है कि वह वैज्ञानिक दृष्टिकोण, परंपरागत ज्ञान, नवाचार, मौलिक सृजन और स्थापित जड़ता को झकझोरने वाला वातावरण बनाये। मगर विगत दिनों हुक्मरानों ने हर संस्था पर अपनी संकुचित सोच थोपने का काम किया […]