माता आनन्दमयी और महात्मा गांधी उस दिन हम सब माताजी के साथ बापूजी से मिलने सेवाग्राम के लिए चले। बापूजी पहली ही बार माताजी से मिल रहे थे। मुझे ऐसा लग रहा था कि सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर स्वराज हासिल करने की अपनी तीव्रता में मग्न गांधीजी, […]

आयुष चतुर्वेदी अभी अभी 18 वर्ष के हुए हैं. दो वर्ष पहले, जब वे केवल 16 वर्ष के थे, तब सोशल मीडिया पर उनका एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें वे अपने स्कूल के एक कार्यक्रम में गांधी जी पर बोलते दिखाई दिए थे. वीडियो में कही गयी आयुष की […]

परमहंस योगानंद और महात्मा गांधी के बीच अकसर इस बात पर चर्चा होती थी कि सत्य और अहिंसा जैसे आध्यात्मिक आदर्शों को लोगों के व्यावहारिक जीवन में कैसे उतारा जाय। भारत के इन दो संतों ने दुनिया में हर जगह एक दूसरे के प्रति हमेशा सम्मान प्रकट किया। 1925 में […]

बिरला-भवन, नयी दिल्ली,30.01.1948 यदि जीवित रहा तो… बापू और सरदार दादा बातचीत कर रहे थे।…काठियावाड़ के बारे में भी चर्चा हुई। इसी बीच काठियावाड़ के नेता रसिक भाई पारीख और ढेबर भाई भी आ गये। उन्हें बापू से मिलना था। लेकिन आज तो एक क्षण खाली नहीं है। फिर भी […]

गांधी की जितनी आलोचना करनी हो, कीजिए पर यह बात कान खोलकर सुन और समझ लीजिये, गाली नही देने देंगे अब हम आपको। शरीर को मार डाला आपने, आत्मा छेदने की इजाजत नहीं होगी। देश किसी की आलोचना पर सहिष्णु हो सकता है, हत्या पर नहीं। हर गोडसे को सलाखों […]

गांधी नोआखली से दिल्ली तक आग बुझाने में लगे थे और उनके हत्यारे उनकी हत्या का षड्यन्त्र रचने में। 20 जनवरी को गांधी जी का आख़िरी दिन तय किया था हत्यारों ने। गोपाल को वे इस योजना में शामिल नहीं करना चाहते थे। वे उससे केवल वह रिवाल्वर लेना चाहते […]

द मर्डरर, द मोनार्क एंड द फकीर सावरकर का नाम, गांधी जी की हत्या के साजिशकर्ताओं मे शामिल था, पर वह अदालत में साबित नहीं हो सका। सावरकर उस समय तो अदालत से छूट गए, पर बाद में जब उनकी संलिप्तता के अनेक सबूत मिलने लगे, तो जस्टिस कपूर की […]

जिन लोगों ने समकालीन भारतीय इतिहास को बनाने में रंचमात्र योगदान नहीं दिया, उनमें इतिहास को फिर से लिखने और स्थापित तथ्यों के साथ काल्पनिक प्रसंग जोड़कर इतिहास को अपने पक्ष में मोड़ने की प्रवृत्ति तीव्र होती जा रही है। उन्होंने बापू को लगी तीन गोलियों के बाद अब चौथी […]

नवाबों के शासन के बाद ब्रिटिश शासन में इन प्रसिद्ध शिल्पकारों को संरक्षण से वंचित कर दिया गया; जीविका पर आये संकट के कारण इनका जीवित रहना मुश्किल हो गया। किसी प्राकृतिक आपदा में उनका गांव बालूचर भागीरथी नदी में बह गया। उसके बाद ये बुनकर जियागंज और मुर्शिदाबाद जिलों […]

यदि एकता का महत्व हमारी समझ में आता है, तो खादी हमारे बीच एक कॉमन सूत्र बन सकती है, जो भावनात्मक रूप से हमें हमारी जड़ों से जोड़ती है। बांग्लादेश और असम भौगोलिक रूप से एक दूसरे से सटे हुए हैं, दक्षिण पूर्व एशिया के इस हिस्से में रहने वाले […]

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