दोनों का स्वभाव अलग था। जवाहर नर्म, शांतचित्त, ओपन माइंड और सुभाष जरा गर्म, लेकिन जहीन, वाद विवाद पसन्द करने वाले। मगर समानताएँ भी थीं। दोनों बड़े परिवारों से थे, दोनों अंग्रेजीदां, दोनों कैम्ब्रिज में पढ़े, दोनों ने अच्छे कैरियर ऑप्शन त्यागकर आंदोलन ज्वाइन किया था। दोनों दुनिया में चल […]
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गांधी और नेहरू का यह राष्ट्रवाद टैगोर की वैश्विक दृष्टि का अनुपूरक था, प्रतिपक्षी नहीं। पर राष्ट्रवाद का एक दूसरा रूप भी है, जिसमें अपनी लकीर बड़ी दिखाने के लिए दूसरों की लकीर छोटी करनी पड़ती है, भले ही लाक्षणिक रीति से ही सही, इसमें मैजिनी और हिटलर के ‘नेशनलिज्म’ […]
“मैं आपका प्रधानमंत्री हूँ, पर इसका मतलब ये कभी नहीं है कि मैं आपका राजा या शासक हूँ। वास्तव में मैं आपका एक सेवक हूँ और जब आप मुझे मेरे कर्तव्य में असफल होते देखते हैं, तो यह आपका कर्तव्य होगा कि आप मेरा कान पकड़ें और मुझे कुर्सी से […]
हिन्दुस्तान वह सब कुछ है, जिसे उन्होंने समझ रखा है, लेकिन वह इससे भी बहुत ज्यादा है। हिन्दुस्तान के नदी और पहाड़, जंगल और खेत, जो हमें अन्न देते हैं, ये सभी हमें अजीज हैं, लेकिन आखिरकार जिनकी गिनती है, वे हैं हिन्दुस्तान के लोग, उनके और मेरे जैसे लोग, […]
चांडिल बांध झारखंड के कोल्हान प्रमंडल में सुवर्ण रेखा नदी के ऊपर बनाया गया है। यह बांध 1993 में बनकर तैयार हुआ और तब से 116 गांवों के 15 हज़ार परिवार विस्थापन का दंश झेल रहे हैं। बेरोजगार युवा विस्थापित संगठन की ओर से रोजगार की मांग अब जोर पकड़ने […]
उस दिन पटना में होते हुए भी मैं कितना विवश था कि जेपी के पास नहीं पहुंच सकता था। मैं जेल में बंद था। एक साथी कैदी के पास ट्रांजिस्टर था, उस पर सभी खबरें सुना करते थे। ट्रांजिस्टर की खबर से ही पता चला कि भारत के इतिहास में […]
जेपी गाँधी मैदान पहुंचकर सभा को सम्बोधित करने ही जा रहे थे कि भारी संख्या में सीआरपी आ गयी। एक तरफ छात्र, दूसरी तरफ सीआरपी की फौज। निहत्थों की यह लड़ाई देखते बन रही थी। प्रशासन ने चेतावनी दी। आंसू गैस के गोले गिरने लगे। जेपी आंसू गैस का सामना […]
बापू ने सुब्रह्मण्यम भारती में क्या देखा १९१९ के मार्च महीने में गांधी जी मद्रास में थे। चक्रवर्ती राज-गोपालाचारी के घर पर उनका डेरा था। एक सुबह गांधी जी के कमरे में उनके साथ राजाजी, तमिल भाषा में धुआंधार भाषण के लिए ख्यात एस. सत्यमूर्ति, सालेम के प्रतिष्ठित वकील अधिनारायण चेट्टियार, […]
सन बयालीस के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान बलिया के स्वतंत्रता सेनानियों और उनकी क़ुर्बानियों ने इतिहास के पन्नों पर बलिया का नाम हमेशा के लिए अंकित कर दिया। भारत छोड़ो आंदोलन में अहम भूमिका निभाने वाले चित्तू पांडे, महानंद मिश्र और विश्वनाथ चौबे जैसे बलिया के सेनानी महात्मा गांधी […]
कॉलेज के दौर में गांधी विचार को जाना, कुछ साहित्य पढ़ा और उसके नज़दीक आया फिर कुछ कुछ बातें गांधी की मानने लगा, जिसमें खादी अपनाना भी शामिल रहा। अस्सी के दशक में स्कूल और कॉलेज के जीवन में हिंदी आंदोलन के बाद मैं खादी के उत्पादन से तो नहीं, […]