जोशीमठ गंगा कैम्पेन का फैसला
अभियान के तहत एक लाख लोगों से पोस्टकार्ड लिखवाकर प्रधानमंत्री कार्यालय भेजे जाएंगे, एक लाख लोगों से प्रधानमंत्री कार्यालय को ईमेल भिजवाए जाएंगे। इसके अलावा रैली, प्रदर्शन, जनहित याचिका, मीडिया कैम्पेन आदि के जरिये जन जागरण अभियान चलाया जाएगा।
बार-बार चेताने के बावजूद जोशीमठ भूधंसान का शिकार हुआ। इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए सरकार पर प्रभावी तरीके से दबाव बनाना होगा। यह बात गंगा मिशन के तत्वावधान में भूधंसान प्रकरण पर जोशीमठ गंगा कैम्पेन की 14 जनवरी को आयोजित ऑनलाइन मीटिंग में वक्ताओं ने कही। बैठक में अभियान के तहत पिछले सप्ताह हुई गतिविधियों पर बिंदुवार चर्चा की गई।
बैठक का संचालन करते हुए गंगा मिशन के प्रमुख प्रह्लादराय गोयनका ने कहा कि अभियान प्रभावी और चाक चौबंद होना चाहिए। अभियान के तहत एक लाख लोगों से पोस्टकार्ड लिखवाकर प्रधानमंत्री कार्यालय भेजे जाएंगे, एक लाख लोगों से प्रधानमंत्री कार्यालय को ईमेल भिजवाए जाएंगे। इसके अलावा रैली, प्रदर्शन, जनहित याचिका, मीडिया कैम्पेन आदि के जरिये जन जागरण अभियान चलाया जाएगा।
बैठक में पीएस शारदा ने कहा कि हमारी रूपरेखा ऐसी हो, जिसमें इस बात को शामिल किया जाए कि सरकार को पहले भी चेताया गया था और उसने उदासीनता बरती, जिससे जोशीमठ भूधंसान की घटना हुई। अब और अन्य स्थानों पर ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इसपर जोर दिया जाना चाहिए। हमने सरकार को पूर्व में जिन खतरों के बारे में बताया था, वे अब सामने आने लगे हैं।
पर्यावरणविद भरत झुनझुनवाला ने कहा कि गंगा की अविरलता के मुद्दे को लेकर एक बार दिल्ली में इण्डिया गेट से जंतर मंतर तक पैदल यात्रा की गई थी, वैसी ही गतिविधि हमें फिर से करनी चाहिए। साथ ही इस अभियान में प्रभावशाली लोगों को जोड़ा जाना चाहिए, जिससे यह मुद्दा प्रभावी तरीके से हाइलाइट हो। कुछ चुनिंदा सांसदों व अन्य प्रमुख लोगों को जोड़ा जा सकता है। यात्रा के बाद मीडिया प्रेस ब्रीफिंग कर मुद्दे का भलि भांति प्रचार किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सबसे जरूरी यह है कि सरकार को पॉलिसी बनाने के लिए मजबूर किया जाए, ताकि अन्य स्थानों पर ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। सरकार काम न करे तो हम अपनी तरफ से भी पॉलिसी बनाकर दे सकते हैं। उन्होंने दिल्ली में ऑफिस खोलने का भी सुझाव दिया।
झुनझुनवाला ने कहा कि अगले दस दिन में जनहित याचिका लगा दी जाएगी। याचिका के मसौदे को अंतिम रूप दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अभियान की सफलता तभी है, जब मुद्दे पर फोकस रखा जाए। वक्ताओं ने कहा कि अभी जोशीमठ पर ही फोकस रखा जाना चाहिए। वहां के लोगों का पुनर्वास ढंग से हो रहा है या नहीं, उन्हें सहायता राशि मिली या नहीं। जोशीमठ के लोगों को प्राथमिकता में रखा जाए। उनकी मानसिक स्थिति के लिए मनोवैज्ञानिकों की सेवाएं भी ली जानी चाहिए।
तापसदास ने कहा कि अभियान को प्रभावी बनाने के लिए गंगा किनारे प्रदर्शनी लगाई जा सकती है। इसके लिए एकेडमी ऑफ फाइन आर्ट्स से जुड़े लोगों की मदद ली जा सकती है। साथ ही सड़क पर प्रदर्शन करना भी जरूरी है। कोलकाता में धर्मतल्ला या रवीन्द्र सदन के पास भी गतिविधि की जा सकती है। तापसदास ने कहा कि पिछले दिनों किसान आंदोलन हुआ। उसमें काफी प्रभावशाली लोग जुड़े थे। इसी प्रकार हमारे अभियान में भी हन्नान मौला, संदीप पांडे आदि को जोड़ा जा सकता है। बैठक में राजीव हर्ष ने कहा कि पानी पर आंदोलन करने वालों को भी अभियान से जोड़ा जाना चाहिए। उन्हें पत्र लिखें, मामले की गम्भीरता से अवगत करवाएं और उनसे साथ देने का आग्रह करें। बैठक में साइकिल रैली निकालने, वेबसाइट का संचालन करने और अधिकतम लोगों तक जनजागृति फैलाने पर भी चर्चा हुई। गोयनका ने बैठक का समापन करते हुए कहा कि सभी लोग जिम्मेदारी से काम करें और पूरी तैयारी से काम करें तो ही परिणाम आएगा। बैठक में सागर राजवंशी, डॉ आनंद प्रकाश समेत अनेक लोगों ने विचार रखे।