लगभग 50 साल तक बजाज ग्रुप के चेयरमैन रहे, देश के बड़े कारोबारी राहुल बजाज नहीं रहे। वे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पांचवे पुत्र कहे जाने वाले जमनालाल बजाज के पुत्र कमलनयन बजाज के पुत्र थे। उनका ‘राहुल’ नाम जवाहर लाल नेहरू ने खुद चुना था। इसे लेकर इंदिरा गांधी नाराज हो गई थीं, क्योंकि उनकी इच्छा थी कि वे अपने बेटे का नाम राहुल रखें। राहुल नाम से इंदिरा गांधी को बड़ा लगाव था। यही वजह है कि बाद में इंदिरा गाँधी ने अपने पोते का नाम राहुल रखा। दिलचस्प बात यह है कि दूसरी तरफ राहुल बजाज ने अपनी पहली संतान का नाम राजीव रखा। मूलतः राजस्थान के सीकर जिले के काशी का वास गांव के निवासी जमनालाल बजाज को वर्धा, महाराष्ट्र के सेठ बच्छराज ने गोद लिया था। 12 फरवरी 2022 को 83 साल की उम्र में पुणे में राहुल बजाज का निधन हो गया। भारतीय ऑटो जगत तथा देश के सामाजिक क्षेत्र में उनका अविस्मरणीय योगदान था। उनका जन्म 10 जून 1938 को हुआ था। वे कैंसर से पीड़ित थे। वे 2006 से 2010 तक राज्यसभा सांसद भी रहे। 2001 में उन्हें पदम् भूषण सम्मान से सम्मानित किया गया था। यह खबर मिलते ही, उद्योग जगत के अलावा गांधी परिवार और सर्वोदय जमात में भी शोक की लहर फैल गई। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने उन्हें समाजसेवी बताते हुए कहा कि पद्म भूषण से सम्मानित राहुल जी से उनके व्यक्तिगत संबंध रहे हैं। आमतौर पर उद्योग जगत की हस्तियां खुद को इंडस्ट्री से जुड़े मुद्दों के दायरे में ही रखती हैं, लेकिन राहुल बजाज उनमें से नहीं थे। वे देश के राजनीतिक मसलों पर भी खुलकर अपनी राय रखते थे। मंच भले ही बिजनस से जुड़ा हो, राहुल बजाज अपने सरल और सधे अंदाज में बेबाक तरीके से अपनी बात रख देते थे।
30 नवम्बर 2019 का दिन था, जब ईटी अवॉर्ड समारोह के टीवी शो में राहुल बजाज ने ऑडियंस में खड़े होकर गृहमंत्री अमित शाह से कुछ ज्वलंत सवाल पूछ डाले थे और अगले दिन के अखबारों में अपने उन साहसिक सवालों के साथ सुर्खियों में आ गए थे। उन्होंने शुरुआत ही यहीं से की थी कि मेरे उद्योगपति मित्र इन सवालों पर नहीं बोलेंगे, पर मेरे लिए किसी की तारीफ करना काफी मुश्किल होता है। मैं गरीबों और वंचित तबकों की मदद के लिए काम करता रहा हूं। मेरे दादा महात्मा गांधी के दत्तक पुत्र थे, मेरा नाम ‘राहुल’ जवाहर लाल नेहरू ने रखा था। मैं जन्म से ही एंटी-एस्टैबलिस्टमेंट रहा हूं। यूपीए या कोई भी हो, मेरी चिंता बहुत ही साधारण है। मालेगांव केस की अभियुक्त और भोपाल की सांसद प्रज्ञा द्वारा नाथोराम गोडसे की प्रशंसा से आहत राहुल बजाज ने अमित शाह से कहा था कि आप जानते हैं, जिन्होंने गांधी जी को शूट किया… या तो कोई डाउट है उसमें, मैं जानता नहीं हूं। पहले से बोले थे, टिकट भी दिया, जीत गईं वो तो ठीक है। आपके सपोर्ट से ही जीती हैं, उनको तो कोई जानता नहीं था। उसके बाद आप संसदीय समिति में ले आए…प्रधानमंत्री ने कहा था कि ऐसे किसी को भी माफ करने में बड़ी मुश्किल होगी। उसके बाद भी कमेटी में ले आए… ठीक है आपने हटा दिया। लेकिन यह एक उदाहरण है। भागवत जी बोलते हैं कि लिंचिंग एक विदेशी शब्द है, वेस्टर्न में लिंचिंग होती थी…मामूली मुद्दा हो सकता है लेकिन यह एक हवा पैदा करती है। हवा होती है जैसे असहिष्णुता की हवा है, हम डरते हैं…. देखते हैं कि कोई दोषी नहीं ठहराया गया अभी तक। रेप नहीं, ट्रीजन नहीं, मर्डर नहीं। हजारों करोड़ की बात गलत है, कन्विक्ट किए बिना वो 100-100 दिन तक जेल में रहते हैं। राहुल बजाज ने कहा कि ये जो माहौल है, ये जरूर हमारे मन में है। कोई बोलेगा नहीं, कोई बोलेगा नहीं इंडस्ट्री से, मैं खुलेआम कहता हूं, पर मैं एक अच्छा जवाब चाहता हूं केवल इनकार नहीं सुनना चाहता। उस समय मंच पर अमित शाह, निर्मला सीतारमण और पीयूष गोयल बैठे थे और उद्योग जगत के कई बड़े कारोबारी बैठे हुए थे।
राहुल बजाज ने कहा कि एक वातावरण पैदा करना पड़ेगा जिसमें…. यूपीए-2 में तो हम किसी की भी आलोचना सकते थे। आप अच्छा काम कर रहे हैं उसके बाद भी हम आपकी खुलेआम आलोचना करें, यह कॉन्फिडेंस नहीं है कि आपकी तरफ से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिलेगी। मैं गलत हो सकता हूं लेकिन हम सबको लगता है कि ये बातें मुझे बोलनी नहीं चाहिए।
अमित शाह ने उनका जवाब देते हुए इतना ही कहा था कि बजाज साहब, यह सब हौव्वा बनाया गया है। आपके इतना बोलने के बाद कौन मानेगा कि डर का माहौल है।