संबोधित करते हुए गुरुनाम सिंह चढूनी
संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा खेती बचाओ, गांव बचाओ, देश बचाओ किसान महापंचायत बिहार के मेला मैदान राजगीर में संविधान दिवस पर 26 नवंबर 2022 को सम्पन्न हुई। महापंचायत में इस बात पर विचार किया गया की जाति से ऊपर उठकर गांव-गांव में किसान संगठन मजबूत किया जाए। किसान पक्षधर आर्थिक नीतियों कै लिए केन्द्र और राज्य सरकार से हमारी लड़ाई जारी रहेगी।
कुछ लोगों के पास धन का केन्द्रीकरण और गांव-गांव में किसान को फटेहाल रखने वाली राजनीति का विरोध जारी रहेगा। महापंचायत में विमर्श के बाद जो मुख्य मांगें सामने आयीं, उनमे प्रमुख ये थीं।
न्यूनतम समर्थन मूल्य कानून बनाना, आंदोलन में शहीद 785 किसानों को मुआवजा, किसानों के ऊपर हुए मुकदमों की वापसी, अग्निपथ योजना की वापसी, बिहार में बाजार समिति की पुनर्स्थापना, हर खेत को पानी एवं बिजली की सुलभ हो, अंचल कार्यालय भ्रष्टाचार मुक्त हो, मनरेगा को कृषि कार्यों से जोड़ा जाए, राजगीर मे बंद कृषि कालेज को खोला जाय तथा किसानों के कृषि ऋण माफ हों।
इस सम्मेलन में मगध, नालंदा और पटना क्षेत्र के किसान बड़ी संख्या में आए। उत्तर बिहार से प्रातिनिधिक तौर पर किसान शामिल हुए। सम्मेलन का संचालन जेपी आंदोलन के साथी उमराव निर्मल ने किया।
मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश से आये मुख्य वक्ता ने किसान और देश को बचाने के लिए एकजुट होने को कहा। मुख्य अतिथि के तौर पर हरियाणा से आए किसान मोर्चे के राष्ट्रीय नेता गुरुनाम सिंह चढूनी ने कहा कि अब समय आ गया है कि पूरे देश के किसान एकजुट हों। राज्य और केन्द्र सरकार की किसान विरोधी नीतियों के कारण देश में आक्रोश है। बिहार के किसान काफी मेहनती हैं। किसानों को पर्याप्त बिजली पानी उपलब्ध नहीं है, लेकिन सरकार को यह समस्या नहीं दिखती। इनके विरुद्ध भी एकजुटता की आवश्यकता है। देश का रीढ़ देश का 80 % किसान है। 2006 में यहां मंडी व्यवस्था समाप्त कर दी गयी। बिहार के किसान गरीब है, उसे संगठित होने की जरूरत है.
-प्रभात कुमार