संयुक्त किसान मोर्चा, सीतामढ़ी द्वारा केन्द्रीय नेतृत्व के निर्णय केआलोक में किसान विजय दिवस पर स्थानीय गांधी मैदान शहीद स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित कर विजय जूलूस निकाला गया और आन्दोलन स्थगन के निर्णय का स्वागत किया गया। संयुक्त किसान मोर्चा, सीतामढ़ी के घटक संगठन संयुक्त किसान संघर्ष मोर्चा,अभा किसान सभा, […]

वर्धा जिला सर्वोदय मंडल व मित्र मंडली द्वारा किसान अधिकार अभियान के वर्धा कार्यालय में पुणे के युवा गांधी विचारक संकेत मुनोत के साथ स्थानीय गांधीजनों का मुक्त संवाद हुआ. हाल के दिनों में संकेत मुनोत सोशल मीडिया पर एक बहुचर्चित उपक्रम Knowing Gandhi चलाने के लिए जाने गये. इस […]

नीतीश सरकार ने की उपेक्षा, दिल्ली के वृद्धाश्रम में ली आखिरी सांस बिहार के जाने-माने पत्रकार जुगनू शारदेय का 14 दिसम्बर को  दिल्ली के एक वृद्धाश्रम में निधन हो गया. बताया जा रहा है कि आखिरी समय में वे न्यूमोनिया से ग्रस्त हो गए थे और उन्हें वृद्धाश्रम की गढ़मुक्तेश्वर स्थित […]

मेरा पहला ही प्रश्न था कि जब आप अनपढ़ हैं, तो फिर पत्रिका पढ़ते कैसे हैं? मैं इसे घर ले जाकर बच्चों से पढ़वाता हूं और कुछ-कुछ नक्शा जोड़कर समझ लेता हूं। नक्शा जोड़कर? और क्या, अक्षर भी तो नक्शे ही होते हैं। कितनी गहरी बात है! शिवमुनि अनोखे पाठक […]

बीते दिनों जर्मन टेलीविजन चैनलों पर एक नई डॉक्यूमेंट्री फिल्म आई है. यह फिल्म पश्चिम अफ्रीका के जंगलों में सैर कराती है. जानवरों के साम्राज्य में मनुष्य के सबसे करीबी रिश्तेदार कितने बुद्धिमान हैं? इनके पूर्वज किस प्रकार के समाजों में रहते थे? क्या इनके जीवन में हिंसा भी है? […]

आंदोलन की सफलता ने कुछ चीज़ें निश्चित कर दी हैं। जैसे, इस देश में महात्मा गांधी का विचार अभी ज़िंदा है। जनता में जान है। आंदोलन मरे नहीं हैं। आंदोलन किस तरह सफल होते हैं, उसकी राह फिर से स्पष्ट हुई है। संविधान सर्वोपरि है। जनता सरकार के लिए नहीं, […]

संविधान नाम का ग्रन्थ, ‘रिपब्लिक ऑफ इंडिया’ का कुरान, गीता, गुरुग्रन्थ और अवेस्ता है। ये एक नवनिर्मित राष्ट्र के एस्पिरेशन्स की सूची है। इसकी उद्देश्यिका कुछ लक्ष्य तय करती है, इसके नीति निर्देशक तत्व आने वाली सरकारों को उनकी पॉलिसी के लिए गाइडलाइन देते हैं और नागरिकों के लिए गारंटेड […]

जब देश में किसी को तोपों से लैस फिरंगियों से लड़ने का तरीका नहीं मालूम था, तब पूरा देश गांधी के पीछे खड़ा था. लेकिन ज्यों ही आजाद होने की सुगंध महसूस हुई, गांधी को सुनने वाला कोई नहीं बचा, गांधी पीछे छूट गये। गांधी जी को लेकर आज समाज […]

अमेरिका में पेंसिलवेनिया के निकट देहाती क्षेत्र में एक गांव है पेरेक्सीर। वहीं हमारी एक शांत-सी झोपड़ी है। 31 जनवरी 1948 का वह दिन भी सामान्य दिनों की तरह ही आरम्भ हुआ। एकाएक गृहपति कमरे में आये। उनकी मुखमुद्रा गम्भीर थी। उन्होंने कहा, “रेडियो पर अभी एक अत्यन्त भयानक समाचार […]

30 सितंबर 1933 प्रिय घनश्यामदास,आपको मालूम ही है कि आश्रमवासियों ने गत पहली अगस्त को साबरमती के सत्याग्रह-आश्रम और उसकी भूमि को त्याग दिया था। मुझे आशा थी कि सरकार मेरे पत्र के अनुसार इस त्यक्त संपत्ति पर अधिकार कर लेगी, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। ऐसी अवस्था में मेरे […]

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