यह मेरा प्रजासूय यज्ञ है। इसमें प्रजा का अभिषेक होना है। ऐसा राज जहां मजदूर, किसान, बाल्मीकि आदि सभी समझें कि हमारे लिए भी कुछ हुआ है। ऐसे समाज का ही नाम सर्वोदय है। बाबा जमीन के बंटवारे में गणित वाली समानता भले नहीं चाहते थे, लेकिन भगवान की बनाई […]

समाज के लोगों को लेना तो आता है, लेकिन देना नहीं आता, वही सिखाना है।   बाबा ने केवल भूदान नहीं कहा, बल्कि भूदान यज्ञ नाम रखा, क्योंकि भूदान तो कोई धनिक ही करेगा, लेकिन यज्ञ में तो छोटा बड़ा हर कोई भी भाग ले सकेगा। बाबा का कहना था कि हमें […]

बाबा ने कहा कि रास्ते में एक काम प्रमुख रूप से मेरी नजर के सामने रहेगा। मुझे गरीबों को जमीन दिलवानी है। जो लोग जमीन पर मेहनत कर सकते हैं, उनके पास आज जमीन नहीं है, यह अच्छी बात नहीं। बाबा को तेलंगाना में पोचमपल्ली गांव में 100 एकड़ का […]

हम सभी को हाथ में कुदाली, झाड़ू, खपरा और फावड़ा उठा लेना चाहिए। जब हम इन दिव्य आयुधों से सजेंगे तो हमें अच्छा कार्य करने की प्रेरणा होगी।  बाबा विनोबा का आवाहन था कि हम सभी को हाथ में कुदाली, झाड़ू, खपरा और फावड़ा उठा लेना चाहिए। जब हम इन […]

आपराधिक प्रक्रिया पहचान विधेयक-2022 हम भारत के लोग लोकतांत्रिक गणराज्य में भरोसा करते हैं. जनता अपना प्रतिनिधित्व करने के लिए लोकसभा और विधान सभा में अपना प्रतिनिधि भेजती है, ताकि भारत की जनता के हित में सम्मानपूर्वक जीवन जीने के कानून बनाये जा सकें, किन्तु हम इसका उल्टा होता हुआ […]

गांव से युक्ति और खादी आयोग से मुक्ति आजादी के आंदोलन में जो खादी स्वतंत्रता का प्रतीक थी, वह आज गुलामी के शिकंजे में है। जब खादी ग्रामोद्योग आयोग अस्तित्व में नहीं था, तब से खादी संस्थाएं देश में काम कर रही हैं। आजादी के बाद खादी संस्थाएं जब खादी […]

अनासक्ति आश्रम कौसानी नेहरू जी ने गांधी जी से जुड़े हर स्थल को तीर्थ की संज्ञा दी थी, उन्होंने कहा था कि यह तीर्थ ईंट और गारे से नहीं बने हैं, यह साधना की ईंट और विचार के गारे से बने तीर्थ हैं। अहंकार और आसक्ति से रहित, दृढ़ता और […]

माना जाता है कि सिर्फ खेती में ही 30-35 प्रतिशत बेरोजगारी कम करने की क्षमता है, खासकर बिहार जैसे प्रदेश में, जहां कृषि आधारित अर्थव्यवस्था ही एकलौता विकल्प है। रोजगार के संबंध में धान, चावल और कुल मिलाकर खेती की जटिलताएं क्या हैं, कैसे हाड़तोड़ परिश्रम करने वाले किसान की […]

पुलस्तेय की ‘कोरोना काल कथा’ देश विदेश में होने वाली परिघटनाओं का जहां जीवंत दस्तावेज प्रस्तुत करती है, वहीं अपने समय और समाज को ज्ञान की विभिन्न अनुशासनों के माध्यम से व्याख्या करने का भी काम करती है। पुलस्तेय की कथा का कैनवास इतना विस्तृत है कि उसमें राजनीति, दर्शन, […]

बुलडोजर कानून का प्रतीक नहीं है। यह विधिक शासन के ध्वस्त हो जाने और सिस्टम की विफलता से उपजे फ्रस्ट्रेशन का प्रतीक है। सरकार विधिसम्मत राज्य की स्थापना के लिए गठित तंत्र है, न कि आतंकित करके राज करने के लिए बनी कोई व्यवस्था। कानून की स्थापना, कानूनी तरीके से […]

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