मिथक हर संस्कृति में पाये जाते हैं, पर भारतीय मिथक-साहित्य और लोक-संस्कृति इतनी व्यापक और वृहत्तर है कि उससे प्रकृति से संबंधित हर सवाल के जबाव की अपेक्षा होती है। ये घटनाएं भले ही कभी घटी हों या न घटी हों, पर लगता है कि आज भी घट रही हैं, […]

जलवायु परिवर्तन की काली छाया सिर्फ भारत में ही नहीं मंडरा रही है, यह समस्या वैश्विक समस्या बन चुकी है। वैश्विक सम्मेलनों में भी यह मुद्दा छाया रहता है. वर्ष 2011 के नवम्बर माह में डरबन में सम्पन हुए अंतराष्ट्रीय वैश्विक सम्मेलन में भी जमकर मंथन हुआ था। वर्ष 2015 […]

हिमालय एक भूकंप-प्रवण क्षेत्र है। यहां तक कि कम क्रम वाला भूकंप भी इस क्षेत्र के कई हिस्सों में भीषण आपदा को जन्म दे सकता है। भारत, नेपाल और भूटान में हिमालय की 273 जलविद्युत परियोजनाओं में से लगभग एक चौथाई में भूकंप और भूस्खलन से गंभीर क्षति होने की […]

भारत को एक-दो नहीं, लाखों सोनू चाहिए, जो जहां अवसर मिले, जन प्रतिनिधियों का कुर्ता खींचकर उनका ध्यान असली मुद्दों पर ले जायें, जो ब्यूरोक्रेसी को भी कह सकें कि योजनाओं का ईमानदारी से ज़मीन पर क्रियान्वयन सुनिश्चित करें और जनता की शिकायतों की पेटी खुद अपने हाथ से खोलें […]

बाबा विनोबा भूदान के काम को राष्ट्रीय आंदोलन नहीं, बल्कि जागतिक आंदोलन मानते थे। आंदोलन से भी आगे बढ़कर इसे आरोहण मानते थे. आरोहण में हम एक एक शिखर चढ़ने की कोशिश करते हैं। वही इसमें भी हो रहा है। बाबा विनोबा का मानना था कि मुझे भय नहीं, निर्भयता […]

सर्व सेवा संघ और तेलंगाना सर्वोदय मंडल की तरफ से 18 अप्रैल को 71 वां भूक्रांति दिवस मनाया गया। स्मरणीय है कि 18 अप्रैल 1951 को ही विनोबा को पहला भूदान मिला था। पोचमपल्ली के तत्कालीन जमींदार वेदरे रामचंद्र रेड्डी ने 100 एकड़ भूमि दान करके इस महान यज्ञ का […]

मौजूदा दौर : औरतों की आजादी की कठिन होती राह विषयक गोष्ठी संपन्न सात मई को रांची के रामदयाल मुंडा आदिवासी शोध संस्थान में समाजकर्मी कनक की स्मृति में एक संगोष्ठी संपन्न हुई. विषय था- मौजूदा दौर : औरतों की आजादी की कठिन होती राह. उल्लेखनीय है कि बीते वर्ष […]

आइए, इस यात्रा के बहाने बापू के पास चलें, भगत, अशफाक, बिस्मिल और अनेकानेक शहीदों के पास चलें। उस हिंदुस्तान में चलें, जो अंबेडकर के ख्वाब में पल रहा था, जो विवेकानंद और रवींद्रनाथ टैगोर के उद्दात मानवतावादी आदर्शों में व्यक्त हो रहा था।   आजादी के 75 साल के […]

सत्य का प्रयोग रवीन्द्र सिंह चौहान की लिखी यह कहानी एक वास्तविक घटना है, जब रेलवे के जिम्मेदार कर्मचारियों/अधिकारियों ने उनसे नाजायज़ तौर पर दस रूपये का जुरमाना वसूला था. इस अन्याय के खिलाफ चली लंबी लड़ाई में अंततः उनकी जीत हुई और रेल विभाग के नई दिल्ली स्थित धन […]

प्राकृतिक चिकित्सा लीवर हमारे शरीर का बहुत ही अहम अंग है, जो शरीर की अनेक क्रियाओं पर नियंत्रण रखता है। लीवर की कार्यक्षमता कम होने से व्यक्ति को शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। जब लीवर काम करना कम कर देता है, तो शरीर में कमजोरी आ जाती […]

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