बाबा कहने लगे कि मैं तो वामन बन गया हूँ और लोगों से कहता हूं कि हमें तीन कदम ही जमीन दे दो, काफी है। गांव वाले समझते हैं कि जो सौ एकड़ जमीन मिली, वह भी हमारी है और जो चार सौ एकड़ जमीन बची, वह भी हमारी ही […]

गाँव की बैठकी में हरिजन भाइयों ने बाबा से कहा कि हम लोगों को खेती के लिए जमीन चाहिए। बाबा ने पूछा, कितनी? तो जबाब मिला, 80 एकड़। बाबा ने कहा कि अच्छा, एक अर्जी लिख दो, हम जरूर प्रयास करेंगे। बाबा ने सरकार से जमीन का इंतजाम करने के […]

  बाबा ने उन लोगों से कहा कि आज रामनवमी का पावन दिन आप सबके साथ बिताना अत्यंत शुभ रहा है, क्योंकि यह दिन हिंदुस्तान के लिए परम पवित्र दिन है। हां, इतना कष्ट जरूर है कि हमारे कुछ भाई, जो देश की सेवा तो करना चाहते हैं, लेकिन दूसरा ढंग […]

देहात ही हमारे आधार हैं। वहां आज भी हमारी संस्कृति का दर्शन होता है। वही हमारी रीढ़ है, हमारी आत्मा है, हमारा असली रूप है, लेकिन इन्हीं देहातों की दौलत, बुद्धि, शक्ति सब बाहर जा रही है। इसे हम सबको मिलकर रोकना होगा। गांव वालों को खेती, गौसेवा, बढ़ईगीरी, कपड़ा […]

ज़रूरी है कि हम अपने पड़ोस, गांव और मोहल्ले में विभिन्न धर्मों और समुदायों के बीच शांतिपूर्ण सहअस्तित्व का महत्व समझायें और इसके अनुकूल माहौल बनायें, निगरानी समितियां बनायें और जो लोग भारत को पाकिस्तान की राह पर ले जाना चाहते हैं, उनके इरादों को जड़मूल से नष्ट करें. सुख […]

मैं सर्वोदय आंदोलन से सांगठनिक तौर पर कभी जुड़ा नहीं रहा। मैं सम्पूर्ण क्रांति धारा और सर्वोदय धारा में फर्क करता हूँ। ज्यादा से ज्यादा इन्हें एक दिशा की चाह रखने वाली दो उपधाराओं के रूप में देख पाता हूँ। इस कारण यह एक पड़ोसी, एक मित्र की कोशिश है, […]

सर्व सेवा संघ और सर्वोदय समाज की स्थापना का 75 वां वर्ष सर्व सेवा संघ की स्थापना डॉ.राजेन्द्र प्रसाद की अध्यक्षता में 13 से 15 मार्च 1948 को सेवाग्राम में सम्मेलन हुआ. इसी सम्मेलन में ‘सर्वोदय समाज’ और ‘सर्व सेवा संघ’ की स्थापना हुई थी. रचनात्मक संघों का एकीकरण गांधी […]

कल्प जीवन को अभिनव दिशा देते हैं। उनकी उपज अंतरात्मा से होती हैं। अस्तु, वो आत्म-संकल्प में परिणत हो जाते हैं। आत्म-संकल्प, दृढ़ आत्म-विश्वास की बुनियाद है। आत्म संकल्पित व्यक्ति ही अपने अच्छे कार्यों से कालांतर में बड़े व्यक्तित्त्व बनते हैं। आत्म संकल्प से जुड़ी ये सारी बातें स्व. डॉक्टर […]

बीहड़ों में पगडंडियां उगाकर जिन्दगी की इबारत लिख रहा है जौरा आश्रम चंबल के बीहड़ों में अब न तो सन साठ के दशक जैसी डकैतों की दहशत है और न ही हिंसक प्रतिशोध के वैसे भयावह किस्से ही अब कहीं सुनने को मिलते हैं। चंबल की वादियों में आयी इस […]

‘एंड दे गेव अप डेकोइटी’ : श्रीकृष्ण दत्त भट्ट   बयरु न कर काहू सन कोई / राम प्रताप बिषमता खोई।। रामराज्य का वर्णन करते हुए गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं कि कोई किसी से शत्रुता नहीं करता था, राम जी के प्रताप से सबने विषमता खो दी थी। चंबल […]

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