राम के इस देश में रामराज्य की अक्सर चर्चा होती है; धार्मिक ही नहीं, सामाजिक तौर पर भी और अब तो राजनीतिक तौर पर भी। दुनिया में सबसे बड़े लोकतंत्र का तमगा पाने वाले देश में रामराज्य लाने के दावे अब राजनीतिक मंचों से भी होने लगे हैं, जबकि जमीनी […]
Month: January 2023
जयप्रभा स्मृति भवन, लोकनायक जयप्रकाश नारायण की पुरानी जीप, दो सौ साल पुराने पीपल व बरगद के पास चबूतरा और पार्क बनाने तथा दो सौ साल पुराने वाल्टेयर कुएं को पुनर्जीवित करने की योजना है. सर्व सेवा संघ का वाराणसी कैंपस आजादी के बाद से गाँधी विचार एवं सर्वोदय विचार […]
पुस्तक ‘ओपेन वेन्स ऑफ लैटिन अमेरिका’ उन दस करोड़ लातिन अमेरिकियों का गुस्सा है, जो इतिहास की शापित कब्रों में दफन हैं। ‘ओपेन वेन्स ऑफ लैटिन अमेरिका’, पूंजीवादी जुल्म का वह खूनी दस्तावेज है, जिसे पढ़कर धर्म, व्यापार और सत्ता के कॉकटेल का असली रूप सामने आता है। क्या कोई […]
सोशल मीडिया के जरिये देश भर में यह अफवाह फैलाई जाती है कि नेहरू ने न केवल पटेल, बल्कि उनके पूरे खानदान के साथ दुश्मनी निभाई, जबकि सच यह है कि सरदार पटेल के निधन के बाद उनकी बेटी मणिबेन पटेल, नेहरू के नेतृत्व में लड़े गए पहले और दूसरे […]
भारत के एकीकरण और पुनर्निर्माण की प्रक्रिया में सरदार वल्लभभाई पटेल की भूमिका और उनके योगदान को देशवासी सैकड़ों-हजारों वर्षों तक याद रखेंगे। वे सदैव इतिहास के पृष्ठों पर जीवित रहेंगे, भारतीयों को सरदार पटेल पर सदैव गर्व होगा। सरदार वल्लभभाई पटेल भारत की ऐसी अभूतपूर्व राजनीतिक और भौगोलिक एकता […]
हज़ारों भारतीय ग़रीब सिर्फ इसलिए जेलों में जीवन गुजारने को विवश हैं, क्योंकि वे न संविधान की मूल भावना से परिचित हैं और न ही अपने संवैधानिक अधिकार व कर्तव्यों से। वे इतने ग़रीब हैं कि जमानत कराने में उनके परिजनों के घर के बर्तन बिक जायेंगे। जबकि जुर्म बहुत […]
मैं इशारा कर रही हूँ, समझना आपको है! कहते हैं कि किसी देश की जेलों में समय बिताए बिना उन्हें पूरी तरह समझ पाना नामुमकिन है. किसी देश को इस बिनाह पर नहीं जाँचा जाना चाहिए कि वह अपने सबसे ऊँचे नागरिकों के साथ कैसा बर्ताव करता है, बल्कि यह […]
यीशु का अपने प्राथमिक शिष्यों को उपदेश विनोबा ने गीता, भागवत, धम्मपद, जपुजी, कुरआन आदि अनेक धर्मग्रंथों के नवनीत लिखे हैं। इसके पीछे उनका मन्तव्य दिलों को जोड़ने का रहा है। ख्रिस्त धर्म सार इसी योजना की अगली कड़ी है. इसमें विनोबा ने न्यू टेस्टामेंट का सार सर्वस्व लिखा है। […]
मौंग माओ से नामरूप, असम पहुंचने में चुकाफा़ को तेरह साल लगे। आज गोहाटी से थाइलैंड का रास्ता सड़क मार्ग से केवल पैंतालीस घंटे में तय किया जा सकता है. असम तब आज का असम तो नहीं था, पर बिना जन जीवन का निरा जंगल भी नहीं था। पढ़ें, असम […]