देवरिया, संयुक्त किसान मोर्चा के 27 सितंबर को भारत बंद के अपील को सफल बनाने के लिए देवरिया के विभिन्न संगठनों ने आज कलेक्ट्रेट कचहरी, दीवानी कचहरी एवं तहसील देवरिया तथा स्टेशन रोड, बजाजी रोड,तहसील रोड पर सामूहिक रूप पर्चा वितरण किया और बंद को सफल बनाने की अपील की।
इस दौरान देवरिया बार एसोसिएशन के अध्यक्ष सिंहासन गिरी एवं तहसील अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष सच्चिदानंद श्रीवास्तव एवं भारतीय स्टेट बैंक के एंप्लाइज यूनियन के अध्यक्ष को संगठन के तरफ से पत्र देकर समर्थन मांगा गया।
संयुक्त किसान मोर्चा ने संगठनों को किए अपने अपील में इस बात को स्मरण दिलाया कि 10 माह से देश के किसान देश की खेती किसानी और बाजार को बड़े कारपोरेट और बहुराष्ट्रीय कंपनियों का गुलाम बनाने वाले तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली के बॉर्डर पर देशभर में संघर्ष के मैदान में डटे हैं ।
यह आंदोलन सरकार द्वारा अपने चहेते कारपोरेट के साथ देश के संसाधनों प्राकृतिक संसाधनों की नीलामी एवं उन्हें लंबे समय के लिए किराए पर चढ़ाए जाने के खिलाफ भी है। इस सरकार ने 155 वर्षों के संघर्ष के बाद प्राप्त अधिकारों को खत्म कर मजदूरों की नई गुलामी के चार श्रम कोड बिल पास कर दिए हैं।
उन्होंने याद दिलाया कि इस सरकार ने खुदरा बाजार में 100% एफडीआई के जरिए देश के खुदरा बाजार पर कारपोरेट हमला तेज कर दिया है पेट्रोल डीजल गैस की कीमतों में भारी लूट महंगाई देश में खत्म होते रोजगार व शिक्षा स्वास्थ्य के निजीकरण के कारण उनका आम आदमी की पहुंच से दूर होना। “भारत बंद” देश के सम्मुख खड़े सभी सवालों को संबोधित कर रहा है।
यह कि 27 सितंबर के भारत बंद को देशभर में केंद्रीय ट्रेड यूनियनों व्यापार मंडलों ट्रांसपोर्ट यूनियनों छात्र युवा महिला संगठनों बार एसोसिएशन सहित सभी सामाजिक समूह द्वारा समर्थन दिया जा रहा है। पत्र और परिचय के माध्यम से संगठन सब से अपील करता है कि 27 सितंबर के भारत बंद को पूर्ण समर्थन दिया जाए और उसे सफल बनाकर देश और लोकतंत्र को बचाने में अपनी सक्रिय भूमिका निभाए।
किसान आंदोलन के आव्हान पर राघवेंद्र शाही के नेतृत्व में चल रहे आज के अभियान में डॉ मधुसूदन उपाध्याय, बृजेंद्र मणि त्रिपाठी, रामकिशोर वर्मा, विजय जुआठा, डॉ कृष्ण जायसवाल, विनय कुमार सिंह ,सुदामा चौरसिया, सुरेंद्र चौहान, सदानंद यादव, शंभू नाथ तिवारी, चंद्रदेव सिंह, विनोद गुप्ता, राणा प्रताप सिंह, मुन्ना सिंह, डॉक्टर चतुरानन ओझा, राजेश्वर त्रिपाठी ,आरपी सिंह , कृष्ण बिहारी दुबे आदि ने मुख्य रूप से सहभागिता की।
चतुरानन ओझा
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