एक मूल्यांकन के अनुसार बुजुर्गों को भोजन छोड़ना पड़ रहा है, आधे से अधिक बुजुर्ग प्रतिदिन केवल एक समय भोजन खा रहे हैं और 82 प्रतिशत प्रति सप्ताह कम से कम एक रात भूखे सो रहे हैं। 2 में से केवल 1 बुजुर्ग के पास पीने का सुरक्षित पानी है।
एक अनुमान के मुताबिक, हॉर्न ऑफ अफ्रीका में अक्टूबर से दिसम्बर- 2022 तक कम से कम 36.1 मिलियन लोग गंभीर सूखे से प्रभावित होंगे, जिसमें इथियोपिया के 24.1 मिलियन, सोमालिया के 7.8 मिलियन और केन्या के 4.2 मिलियन लोग शामिल हैं। यह जुलाई 2022 (जब लगभग 19.4 मिलियन लोग प्रभावित हुए थे) के बाद से बढ़ोत्तरी दर्शाता है। मौसम विशेषज्ञों के पूर्वानुमानों में अक्टूबर-दिसंबर-2022 में खराब बारिश की आशंका व्यक्त की गयी थी, जो सच साबित होती नजर आ रही है। केन्या और दक्षिणी सोमालिया में अक्टूबर-दिसंबर में खराब बारिश की शुरुआत हुई। 1 अक्टूबर से 15 नवंबर-2022 तक, इन क्षेत्रों में औसत से 60 प्रतिशत से भी कम बारिश हुई. इथियोपिया, केन्या और सोमालिया के कुछ हिस्सों में लगातार पांचवीं बार कम बारिश दर्ज की गयी है। अक्टूबर-दिसंबर 2020, मार्च-मई 2021, अक्टूबर-दिसंबर 2021 और मार्च-मई 2022 के बारिश वाले मौसम में औसत से कम बारिश हुई थी, जिसके चलते सोमालिया, दक्षिणी और दक्षिण-पूर्वी इथियोपिया तथा उत्तरी और पूर्वी केन्या के एक बड़े भाग को सूखे का सामना करना पड़ा था। हाल के इतिहास में (पिछले 70 वर्षों में) यह सबसे लंबा सूखा माना जा रहा है। 2020-2022 का सूखा, वर्ष 2010-2011 और 2016-2017 में भीषण सूखे की गंभीरता को पार कर गया है और अनुमान है कि आने वाले महीनों में भयंकर परिणामों के साथ गहराता रहेगा। इस क्षेत्र के अधिकांश लोग आजीविका, भुखमरी, कुपोषण, महामारी और पलायन के खतरे का सामना कर रहे हैं। अक्टूबर और दिसंबर 2022 के बीच इथियोपिया, केन्या और सोमालिया में सूखे के कारण कम से कम 21 मिलियन लोगों को तीव्र खाद्य असुरक्षा का सामना करने का अनुमान है।
सोमालिया, हॉर्न ऑफ़ अफ्रीका के सबसे बुरी तरह प्रभावित देशों में से है। सोमालिया के दो जिलों बैदोया (Baidoa) और बुर्हकाबा (Burhakaba) में अकाल का खतरा आसन्न है।
सूखा इस क्षेत्र के लिए नया नहीं है, लेकिन अब यह तीव्र और ज्यादा भयंकर हो रहा है। वैज्ञानिक विश्लेषण से पता चलता है कि यह जलवायु परिवर्तन के कारण हो रहा है। यूँ तो पूरा अफ्रीका ही जलवायु परिवर्तन के सबसे विनाशकारी प्रभावों को झेल रहा है, जबकि, यह महाद्वीप 4% से कम ग्रीनहाउस गैस का उत्सर्जन करता है।
यूनिसेफ के अनुसार अत्यधिक तापमान के चलते पानी की कमी हो रही है। हॉर्न ऑफ़ अफ्रीका में करीब 16.2 मिलियन से अधिक लोगों को पीने, खाना पकाने और सफाई के लिए पर्याप्त पानी नहीं है, जिसमें इथियोपिया में 8.2 मिलियन, सोमालिया में 3.9 मिलियन और केन्या में 4.1 मिलियन लोग शामिल हैं। इलाके के कई जल स्रोत सूख गए हैं या उनकी गुणवत्ता में कमी हुई है, जिससे जल जनित बीमारियों तथा त्वचा और आंखों के संक्रमण का खतरा बढ़ गया है, क्योंकि परिवार अपने पानी के उपयोग को कम करने और पीने सहित खाना पकाने को प्राथमिकता देने के लिए मजबूर हैं। महिलाओं और लड़कियों को पानी तक पहुंचने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ रही है। कई मामलों में उन्हें पहले से दोगुना या तीनगुना चल कर पानी लाना पड़ रहा है। ऐसे में उनके प्रति यौन हिंसा और पानी की कमी के कारण पैदा होने वाले जोखिमों की संभावना ज्यादा हो गयी है। पानी की कमी स्वास्थ्य सुविधाओं और स्कूलों में बीमारियों के संक्रमण की रोकथाम और नियंत्रण को भी प्रभावित कर रही है। इथियोपिया और केन्या में, पानी की सीमित उपलब्धता के कारण घरों और अस्पतालों, दोनों जगह प्रसव के बाद गर्भवती महिलाओं के संक्रमित होने और उनकी मृत्यु में वृद्धि की खबरें आ रहीं हैं।
13 लाख से अधिक लोगों ने भोजन, चरागाह, पानी और वैकल्पिक आजीविका की तलाश में अपने घरों को छोड़ दिया है, जिससे जातीय और सांप्रदायिक संघर्ष का खतरा बढ़ गया है, साथ ही पहले से ही सीमित संसाधनों और बुनियादी सेवाओं पर दबाव बढ़ रहा है। केन्या के असाल (ASAL) क्षेत्र में, पशुपालक अपने पशुधन के लिए पानी और चरागाह की तलाश में लंबी दूरियां तय कर रहे हैं।
हेल्प एज द्वारा किये गये एक मूल्यांकन के अनुसार बुजुर्गों को भोजन छोड़ना पड़ रहा है, आधे से अधिक बुजुर्ग प्रतिदिन केवल एक समय भोजन खा रहे हैं और 82 प्रतिशत प्रति सप्ताह कम से कम एक रात भूखे सो रहे हैं। 2 में से केवल 1 बुजुर्ग के पास पीने का सुरक्षित पानी है।
इससे पहले, इनमें से कई समुदाय 2019 की अत्यधिक बारिश और बाढ़ की चपेट में आ गए थे, ऐतिहासिक रेगिस्तानी टिड्डों का प्रकोप भी इस क्षेत्र के लोगों ने झेला, कोविड-19 के प्रभावों का सामना भी इसी दौरान करन पड़ा। इसके अलावा, इथियोपिया और सोमालिया में लाखों लोग आंतरिक जातीय संघर्षों से प्रभावित हैं। इन हालत ने परिवारों को इस स्थिति से उबरना और कठिन बना दिया है। फिलहाल पूरे क्षेत्र में सूखे और अकाल से निपटने के प्रयास किये जा रहे हैं।
-पानी पत्रक डेस्क