मौंग माओ से नामरूप, असम पहुंचने में चुकाफा़ को तेरह साल लगे। आज गोहाटी से थाइलैंड का रास्ता सड़क मार्ग से केवल पैंतालीस घंटे में तय किया जा सकता है. असम तब आज का असम तो नहीं था, पर बिना जन जीवन का निरा जंगल भी नहीं था। पढ़ें, असम […]
स्वास्थ्य डायबिटीज, जिसे सामान्यतः मधुमेह कहा जाता है, चयापचय संबंधी बीमारियों का एक समूह है, जिसमें लंबे समय तक रक्त में शर्करा का स्तर उच्च बना रहता है। उच्च रक्त शर्करा के लक्षणों में अक्सर पेशाब आना तथा प्यास और भूख में वृद्धि होती है। यदि अनुपचारित छोड़ दिया जाय, […]
एक मूल्यांकन के अनुसार बुजुर्गों को भोजन छोड़ना पड़ रहा है, आधे से अधिक बुजुर्ग प्रतिदिन केवल एक समय भोजन खा रहे हैं और 82 प्रतिशत प्रति सप्ताह कम से कम एक रात भूखे सो रहे हैं। 2 में से केवल 1 बुजुर्ग के पास पीने का सुरक्षित पानी है। […]
मशीनों के शोर ने पक्षियों को यहां से जाने पर मजबूर कर दिया है। रात्रिचर जीव भी पलायन कर गए हैं। खनन के चलते यमुना मरने की कगार पर पहुंच गई है। हमारे यहां सारस, लाल सुर्खाब, सफेद सुर्खाब, नीलसर, जलकाग जैसे प्रवासी पक्षी हज़ारों की संख्या में आया करते […]
सर्वोदय समाज के स्थापना के 75 वर्ष हो रहे हैं अमृत महोत्सव वर्ष में सर्वोदय समाज का 48 वाॅ सम्मेलन 14 से 16 मार्च , 2023 को सेवाग्राम वर्धा में होने जा रहा है। सर्वोदय समाज की स्थापना 15 मार्च , 1948 को सेवाग्राम, वर्धा, महाराष्ट्र में रचनात्मक कार्यकर्ताओं के […]
विभिन्न रिपोर्टें इस तथ्य को उजागर करती हैं कि जलवायु परिवर्तन अमीर देशों के कारण हुआ है, गरीब देशों ने जलवायु परिवर्तन के लिए मुआवजे की मांग करना शुरू कर दिया है, जिसने उन पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। नवंबर में मिस्र में सम्पन्न हुई संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता, जलवायु […]
साक्षात्कार क्लाइमेट चेंज; इन दो शब्दों ने दुनिया को डिस्टर्ब कर रखा है. हम दो तरह की बातें अक्सर सुनते हैं. एक तो ये कि इससे दुनिया को क्या क्या और कैसे कैसे खतरे हैं और दूसरा ये कि इन खतरों से निपटने के लिए दुनिया भर के राजनीतिज्ञ क्या […]
जलवायु परिवर्तन और अंतर्राष्ट्रीय वार्ता हमारे वातावरण में ग्रीनहाउस गैसें बेतहाशा बढ़ रही हैं, जिससे धरती का तापमान बढ़ रहा है. इससे ग्लेशियर पिघल रहे हैं. समुद्र का स्तर बढ़ रहा है. रेगिस्तान बढ़ रहे हैं, घने जंगल कम होते जा रहे हैं और इस तरह विकास हावी होकर सभ्यता […]
कंपनियों को वैसे भी लोकतंत्र पसंद नहीं, क्योंकि लोकतंत्र में संसद, अदालत या मीडिया कोई भी सवाल पूछ सकता है, जिसका जवाब सरकार को देना पड़ जाता है। यह सर्वमान्य तथ्य है कि पांच तत्व—मिट्टी, जल, अग्नि, आकाश और वायु हमारे जीवन की रचना और उसकी पुष्टि करते हैं। इसलिए […]
लोहिया विचार मंच की तरफ़ से हैदराबाद में 4 नवंबर को भारतीय संस्कृति के प्रतीकों पर डॉ लोहिया के लेखों के तेलुगू संस्करण का लोकार्पण संवाद संपन्न हुआ. इस संकलन में राम, कृष्ण और शिव, सावित्री या द्रौपदी; वशिष्ठ या वाल्मीकि और रामायण मेला आदि लेख शामिल हैं. लोहिया की […]