जनतंत्र समाज (सीएफडी) के राष्ट्रीय सम्मेलन की रिपोर्ट जनतंत्र समाज का मुख्य काम लोक शिक्षण का था, उसे फिर से शुरू करना होगा। प्रतिरोध के लिए संगठन एक बुनियादी जरूरत है। हमें अहिंसात्मक सत्याग्रह के रास्ते चलने का निश्चय करना होगा। लोकनायक जय प्रकाश नारायण द्वारा स्थापित सिटीजेन्स फार डेमोक्रेसी […]

बोधगया आंदोलन में भूमिहीन दलित परिवारों में महिलाओं के बराबरी के सवाल हर घर में प्रवेश पाते चले गए तो इसके पीछे उनकी नेतृत्व दृष्टि थी। बोधगया आंदोलन में जिन एक दर्जन महिला नेत्रियों ने हिस्सा लेकर उसे गढ़ा था; कनक उनमें सतत और प्रखर भागीदार थीं। समाज में बुनियादी […]

अंबेडकर की आर्थिक दूरदृष्टि का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि एमएस स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिश सामने आने के दशकों पहले उन्होंने सुझाव दिया था कि कृषि उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) लागत से कम से कम 50 फीसदी ज्यादा होना चाहिए. कृषि क्षेत्र के […]

साबरमती आश्रम की अपनी यात्रा के दौरान बापू के जीवन में गहरी दिलचस्पी लेने वाले ब्रिटिश प्रधानमन्त्री ने जब बापू के दांडी मार्च के बारे में जाना तो एकबारगी संकोच में पड़ गये और चकित रह गये. उन्होंने शर्मिंदा होते हुए अपने साथ आये ब्रिटिश उच्चायुक्त एलेक्स एलिस से पूछा […]

भारतीयों में सुसंस्कारों को कूट-कूटकर भरने, उन्हें सदाचारों से परिपूर्ण करने तथा इस महान देश के गौरव एवं सम्मान में वृद्धि करने के काम में केवल कथित उच्च कुलोत्पन्न महापुरुषों, महात्माओं, ऋषिओं और समाज सुधारकों का ही नहीं, अपितु महर्षि वाल्मीकि व कथित निम्न कुलोत्पन्न सन्त रविदास, महात्मा कबीर, भक्त […]

जन-वितरण प्रणाली, खाद्य सुरक्षा अधिनियम, मुफ्त अनाज का अधिकार आदि से जो सफर शुरू हुआ था, वह आज सरकार एवं सत्ताधारी दल के उपकार और अहसान में बदल गया है। इस तरह से किसी भी जीवंत लोकतंत्र में नागरिक बोध का हरण हो जाना एक खतरनाक मोड़ है और इस […]

बिजनेस की शब्दावली में इसे चावल की खुद्दी का वैल्यू एडीशन कहेंगे. लेकिन इसका लाभ उद्योग को मिल रहा है, न कि खेती किसानी को। किसान तो अपना धान राइस मिल को बेचकर गंगा नहा चुका है। अब धान का छिलका, खुद्दी, ब्रॉन सब कुछ मिल का है। अब मसला […]

देश के मध्यवर्ग, कर्मचारी वर्ग और अन्य उच्च मध्यवर्ग या संपन्न लोगों के खातों में जमा राशि का आंकड़ा निकाला जाये तो एक अनुमान के मुताबिक वह लगभग 4-5 लाख करोड़ रुपये के आसपास होगा। यानी देश के गरीब और मध्यवर्ग की बैंकों में जमा पूंजी प्रत्यक्ष विदेशी पूंजी से […]

इंटरनेट के जानकारों के लिए पासपोर्ट और ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना वास्तव में सरल हो गया है, लेकिन यह उन लोगों के लिए इतना आसान नहीं है जो नेट और कंप्यूटर के जानकार नहीं हैं। इंटरनेट के माध्यम से स्वचालन और इलेक्ट्रॉनिक प्रसंस्करण सर्वव्यापी होता जा रहा है। ई-बैंकिंग और ई-कॉमर्स […]

हमारा चरखा पुराना चरखा नहीं है, जो मिलों के अभाव में नग्नता ढकने के लिए अनिवार्य रूप से चलता था। हमारा चरखा मिलों का पूरक भी नहीं है, जो मिलों का स्थान स्वीकार करके उनके कारण पैदा हुई बेकारी की समस्या को हल करने का ढोंग करता है। वह नवयुग […]

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