लगभग 50 साल तक बजाज ग्रुप के चेयरमैन रहे, देश के बड़े कारोबारी ने राहुल बजाज नहीं रहे। वे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पांचवे पुत्र कहे जाने वाले जमनालाल बजाज के पुत्र कमलनयन बजाज के पुत्र थे। उनका ‘राहुल’ नाम जवाहर लाल नेहरू ने रखा था। इसे लेकर इंदिरा गांधी […]
वर्तमान भारत में पारम्परिक स्थितियों के अलावा आर्थिक स्तर पर भी नये वर्गों का उदय हुआ है। दुर्योग यह है कि देश की स्वास्थ्य नीति इन नये वर्गों के अनुसार ही तय की जाती है। स्वास्थ्य बजट का सर्वाधिक हिस्सा इन पर ही केन्द्रित होता है। यही कारण है कि […]
कोरोना वायरस संक्रमण ने दुनिया को स्वास्थ्य के साथ-साथ आर्थिक संकट की तरफ भी धकेला है। इसकी वजह से वैश्विक मंदी स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है। दुनिया भर में करोड़ों लोग अपने रोजगार से हाथ धो चुके हैं और करोड़ों के ऊपर रोजगार छिन जाने का संकट खड़ा […]
‘आईआईटी खडगपुर’ ने नववर्ष का कैलेण्डर जारी किया है। किसी उत्कृष्ट तकनीकी संस्थान से उम्मीद की जाती है कि वह वैज्ञानिक दृष्टिकोण, परंपरागत ज्ञान, नवाचार, मौलिक सृजन और स्थापित जड़ता को झकझोरने वाला वातावरण बनाये। मगर विगत दिनों हुक्मरानों ने हर संस्था पर अपनी संकुचित सोच थोपने का काम किया […]
आजादी के 75 साल बीतने के बावजूद हम सभी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने में सफल नही हो सके हैं. अमेरिका, इंग्लैंड आदि दुनिया के अमीर देशों में सरकारी स्कूल ही बेहतरीन शिक्षा व्यवस्था की नींव माने जाते हैं. वहां की शिक्षा व्यवस्था पर आम जनता का नियंत्रण होता है. […]
महात्मा गांधी शिक्षा को व्यक्तित्व के चहुंमुखी विकास का माध्यम स्वीकार करते थे। वे शिक्षा को जीवन भर निरन्तर चलने वाली प्रक्रिया मानते थे। उन्होंने शिक्षा के उद्देश्य को व्यक्तित्व के उच्चतम विकास के साथ ही उसे मुक्ति-द्वार तक ले जाने वाला घोषित किया। इसी परिप्रेक्ष्य में 31 जुलाई, 1937 […]
गांधी-विचार को आजीवन जीने वाले जयवंत गंगाराम मठकर जी का कल दिनांक 14 मार्च 2022 की रात 9 बजे निधन हो गया। आप अपने जीवनकाल में सद्भावना संघ, मुम्बई के शुभचिन्तक, सेवाग्राम आश्रम प्रतिष्ठान के अध्यक्ष, राष्ट्र सेवा दल के सेवक, सर्व सेवा संघ के लोकसेवक, नशाबंदी मंडल के उपाध्यक्ष […]
यदि हमारी शिक्षा हमें अपने समाज के योग्य नागरिक नहीं बना रही है, तो निस्संदेह शिक्षा नीति में आमूलचूल बदलाव की जरूरत है. एक तरफ जहां बाज़ार में आधुनिक और उच्च शिक्षा तथा तकनीकी सूचनाओं, जानकारियों से लैस प्रोफेशनल्स की संख्या बढ़ रही है, वहीं दूसरी ओर समाज में गुणवत्तापूर्ण […]
मैकाले की शिक्षा पद्धति के नाम से चर्चित इस शिक्षण प्रणाली के लिए अपनाए गए तौर तरीकों से शिक्षा किताबी और सैद्धांतिक ज्ञान तक सीमित रही। आम जन के जीवन-व्यवहार और सरोकारों से सर्वथा पृथक औपनिवेशिक शासन-प्रशासन के संचालन के लिए उपयोगी क्लर्कों के रूप में हिंदुस्तानी सेवकों की एक […]
आप जानते है कि विश्व में क्या हो रहा है? युद्ध हो रहे हैं, विद्रोह हो रहे हैं, राष्ट्रों के बीच फूट पड़ रही है। इस देश में भी फूट है, विभाजन है, लोगों की संख्या बढ़ रही है, निर्धनता है, गन्दगी है और उसके साथ है बड़ी क्रूरता। मनुष्य […]