सरकारी बुलडोजर साबरमती आश्रम में गांधी की विरासत को ध्वस्त करने का काम शुरू कर चुके हैं। चंपारण से गांधी की प्रतिमाओं को तोड़ने की खबरें आ रही हैं। देश की हर अदालत में न्याय अधिष्ठान के पीछे गांधी की फोटो लगती है, लेकिन साबरमती आश्रम का ध्वंस रोकने के […]

सरकारी और संगठित क्षेत्र में बहुत सीमित रोज़गार है, इसलिए ज़रूरी है कि जो जहां पैदा हुआ, जहां उसका घर है,उसे वहीं उसके दर पर कोई सम्माजनक रोज़गार मिले। यह सम्भव है अगर हम अपनी राजनीतिक और आर्थिक व्यवस्था का विकेंद्रीकरण करें। अलग अलग भौगोलिक,आर्थिक, सांस्कृतिक क्षेत्र के अनुसार स्वायत्तशासी […]

गंगा को निर्मल ही नहीं करना है, उससे जुड़े सभी का अधिकार ही नहीं संरक्षित करना है, बल्कि उसकी अविरल धारा को भी बनाये रखने की जरूरत है। विकास के नाम पर गंगा पर बने 900 से अधिक बांध एवं बैराज गंगा के प्रवाह को बाधित कर रहे हैं। बिना […]

गांधी की हत्या आज भी जारी है, क्योंकि वे सर्वधर्म समभाव को खत्म करना चाहते हैं (मुस्लिम विरोध), आरक्षण खत्म करना चाहते हैं (दलित व पिछड़ा वर्ग का विरोध) एवं वैश्विक पूंजीवादी नव साम्राज्यवाद (यानी कारपोरेटी उपनिवेशवाद) का समर्थन करना चाहते हैं। और, यह तभी संभव है, जब गांधी विचार […]

गांधी जी प्रणीत अहिंसक क्रांति के रचनात्मक कार्यक्रमों की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि आप आज से, अभी से अपना स्वराज्य स्थापित करना शुरू कर सकते हैं। राज-सत्ता के परिवर्तन का इंतजार करने की जरूरत नहीं होती। गांधीजी प्रणीत अहिंसक क्रांति का एक महत्त्वपूर्ण पक्ष था वैकल्पिक रचना का। […]

संवैधानिक एवं लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के बजाय सशस्त्र बलों पर अधिकाधिक निर्भरता को मजबूत नेतृत्व का परिचायक बताना लोकतंत्र को कमजोर करने वाला है। लोकतांत्रिक प्रक्रिया को ठंडे बस्ते में डाल कर, इन क्षेत्र के लोगों को हम कैसे विश्वास दिला पायेंगे कि यह देश तुम्हारा है और फौज व पुलिस […]

हिन्दू चेतना का विकास रामकृष्ण परमहंस, विवेकानन्द, अरविन्द, गांधी एवं विनोबा जैसों के माध्यम से हो रहा था, जो सर्वसमावेशी था और पूंजीवादी साम्राज्यवाद की सभ्यता का निषेध करने वाला था। इसी प्रकार मौलाना आजाद, अशफाकउल्ला जैसों का इस्लाम भी पूंजीवादी साम्राज्यवाद का विरोधी था। राष्ट्र की चेतना सभी प्रकार […]

प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में, नेहरू ने अपने मंत्रिमंडल में सभी धाराओं के प्रतिनिधियों को रखा था। इस रूप में वह एक राष्ट्रीय सर्व-सहमति की सरकार थी। नेहरू के प्रधानमंत्रित्व काल में भारत का संविधान बना, जो एक सर्व-सहमति का दस्तावेज है। आज भी संविधान की उद्देश्यिका (Preamble), नागरिकों को […]

सेवाग्राम-साबरमती संदेश यात्रा एक शुरुआत है। गांधीजी की कर्मस्थली को पर्यटक स्थल में बदलने की कुटिल योजना के पीछे छिपी मंशा का पर्दाफाश करने के लिए यह जन-जागरण अभियान है। अहिंसक क्रांतिकारी, गांधी के सच्चे क्रांतिकारी स्वरूप को लोक स्मृति से मिटाने की साजिश को बेनकाब करने की शुरूआत है। […]

गांधी जी ने अहिंसक क्रांति के कई आयामों को विकसित किया। उसमें एक महत्त्वपूर्ण आयाम क्रांति के तरीके में क्रांति का आयाम है। गांधी जी ने क्रांति के तरीकों में क्रांति लाने की जो पद्धति विकसित की, उसमें माध्यम में ही लक्ष्य पूर्ति की संभावना थी। अहिंसक क्रांति के लिए […]

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