ब्रह्मविद्या मंदिर के पीछे विनोबा की भव्य कल्पना थी। वे मानते थे कि वह उनकी सर्वोत्तम कल्पनाओं में से एक है। वे चाहते थे कि वहां मन को समाप्त करने की साधना हो। 1938 में स्वास्थ्य लाभ के लिए विनोबा पवनार आये और फिर वहीं स्थिर हुए। स्वाभाविक रूप से […]

6 अप्रैल को 8:30 बजे बापू समुद्र में उतरे,डुबकी लगाई,किनारे आए और एक गड्ढे से नमक का ढेला हाथ में जैसे ही उठाया, सरोजिनी नायडू ने उद्घोष किया, उद्धारकर्ता की जय! स्वयं बापू ने समुद्र गर्जना की, इस ढेले से मैंने ब्रिटिश साम्राज्य की नीव हिला दी है। अनंत काल […]

मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने मई 1958 में एक किताब लिखी ‘Stride Towards Freedom’ जो हिंदी में ‘आजादी की मंज़िलें’ नाम से उपलब्ध है. अनुवाद किया है सतीश कुमार ने. भारत में यह किताब 1966 में प्रकाशित हुई. इसमें किंग ने एक बड़े सत्याग्रह की कहानी लिखी, जो गोरों और […]

साधना केन्द्र : राजघाट, वाराणसी कलकत्ते से अमृतसर और उससे भी आगे पेशावर, पाकिस्तान तक जाने वाला देश के सबसे बड़े राजमार्ग, शेरशाह सूरी मार्ग या पुराने जीटी रोड पर चलते हुए जब आप चन्दौली जिले की सीमा 2 मिलती है दक्षिण से उत्तरवाहिनी होती हुई गंगा। काशी की नगर […]

सीताराम शास्त्री जी का आज पुण्यतिथि है। उन्हें मैं श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके संदर्भ में कुछ बातें साझा कर रहा हूं।सीताराम शास्त्री झारखंड आंदोलन के बौद्धिक विचारक थे।सीताराम शास्त्री का परिवार आंध्र प्रदेश के विजयनगरम का मूल निवासी था। इनके पिता का नाम सतनारायण था, जो टाटा स्टील के […]

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-डॉ. विनय कुमार सिंह इतिहास की दृष्टि से चार-पाँच शताब्दी पूर्व के तथ्यों का अवलोकन करें तो ‘अकबरनामा’ के अनुसार, 1582 ई. में चंपारण तीन भागों में विभक्त था—मझौआ, सिमरौन और मेहसी। उस समय यहाँ की जनसंख्या विरल थी। गोपाल सिंह ‘नेपाली’ के अनुज बम बहादुर सिंह ‘नेपाली’ की पुस्तक […]

सन बयालीस के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान बलिया के स्वतंत्रता सेनानियों और उनकी क़ुर्बानियों ने इतिहास के पन्नों पर बलिया का नाम हमेशा के लिए अंकित कर दिया। भारत छोड़ो आंदोलन में अहम भूमिका निभाने वाले चित्तू पांडे, महानंद मिश्र और विश्वनाथ चौबे जैसे बलिया के सेनानी महाओत्मा गांधी […]

राष्ट्रपिता महत्मा गांधी बीसवीं शताब्दी के एक मात्र ऐसे नेता हैं, जिनकी तुलना उनके काल के सभी बड़े नेताओं के साथ करने का प्रयत्न उन नेताओं के अनुयायी करते हुए दिखते हैं। ऐसा वे इसलिए करते हैं क्योंकि भारत के अलग-अलग महापुरुषों की तुलना गांधी जी से किए बिना उनकी […]

महात्मा गांधी 15 अप्रैल 1917 को चंपारण आए थे। सात दिन बाद ही जिले के कलक्टर ने अपने उच्चाधिकारियों को चिट्ठी लिखी। उसमें यह उल्लेख सबसे पहले आता है कि आज गांधी की चर्चा जिले में हर किसी की जुबान पर है। गांधी ने चम्पारण के एक सक्रिय किसान राजकुमार […]

पद्मविभूषण स्व. ईश्वर भाई पटेल एक ऐसी दिव्य विभूति थे, जिन्होंने अपने जीवन एवं दर्शन से समूचे रचना जगत को प्रेरणा दी। गांधी-विनोबा के अनन्य भक्त व सेवक तथा निर्मला देशपांडे के एक सहयोगी तथा साथी के रूप में पूरे देश भर में उनकी ख्याति रही। बापू के प्रिय कार्य […]

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