राजनीतिक दलों को धन दान करने का यह एक गुमनाम तरीका है। इसमें दाता की पहचान का खुलासा नहीं किया जाता है। राजनीतिक दलों को कथित रूप से वैध धन प्रदान करने के लिए ये बांड चुनावों के समय के आसपास उपलब्ध हो जाते हैं। आंकड़े बताते हैं कि ज्यादातर […]
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राजनीति की प्रक्रिया ऊपर से नीचे जाने की है, जबकि लोकनीति की प्रक्रिया नीचे से ऊपर जाने की है। राजनीति में सारी सत्ता केंद्र में होती है, लोकनीति में वही सत्ता गांव-गांव में होती है। वैसे तो सर्वोदय सर्वव्यापी है, वह राजनीति से अलग नहीं है, लेकिन सर्वोदय की अपनी […]
न्याय का नैसर्गिक आदर्श कहता है कि कोई दोषी छूटना नहीं चाहिए और किसी निर्दोष को सजा नहीं मिलनी चाहिए. किसी का किसी पीड़ित की मदद करना किसी मामले को खींचना किस प्रकार हुआ, यह सवाल देश में ही नहीं, दुनिया के अनेक सामाजिक मोर्चों पर जेरे बहस है 27 […]
जलपुरुष और पानी बाबा के लोकप्रिय नामों से जाने जाने वाले राजेन्द्र सिंह 1 जनवरी को बनारस में थे। काशी विश्वनाथ कॉरीडोर के नाम पर राजनीतिक हलकों में मचे शोर के पीछे का सच जानने और गंगा की धारा में बड़े पैमाने पर चल रहे निर्माणों का जायजा लेने वे […]
-डॉ स्नेहवीर पुण्डीर नैतिकता का शाब्दिक अर्थ है, नीति के अनुरूप आचरण। राजनीति में नैतिकता का अर्थ भी राज्य को नीति के अनुरूप संचालित करना है, परन्तु आज राजनीति में नीति की परिभाषा बदल चुकी है। बेशर्मी के साथ येन केन प्रकारेण सत्ता हथियाना और अपने व अपनी भावी पीढ़ियों […]
-प्रेम प्रकाश साल 2014 को कौन भूल सकता है भला! राजनीतिक तौर पर भारी उथल पुथल का साल! कहने को तो यह लोकसभा चुनाव के बाद मात्र सरकार बदलने का साल था, लेकिन इतिहास में दर्ज हुआ कि कालान्तर में सरकार बदलने की यह घटना लोकतांत्रिक संस्थाओं, लोकतांत्रिक मन और […]
साठ के दशक की बात है। रूस-अमेरिका शीत युद्ध चरम पर था और दोनों महाशक्तियां एटमी हथियारों की अंधाधुंध दौड़ में शामिल थीं। निकट भविष्य में ही क्यूबा संकट के कारण दुनिया एकदम से महाविनाश के कगार पर पहुंच जाने वाली थी।ऐसे में दो सर्वोदयी मित्रों- सतीश कुमार और प्रभाकर […]
देश के 19 विपक्षी दलों द्वारा आगामी 20 सितंबर से 30 सितंबर के बीच किसान आंदोलन के समर्थन में विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया गया है तथा कांग्रेस ने सभी विपक्षी दलों से 2024 का चुनाव मिलकर लड़ने की अपील की है। संसद सत्र के दौरान भी संपूर्ण विपक्ष किसान […]
आज विश्व में जो मुस्लिम आतंकवाद है, उसके मूल में इस्लाम नहीं मुस्लिम शासक वर्ग का एक तबका और साम्राज्यवादी शक्तियां हैं। इस्लाम तो 1500 वर्षों से है, लेकिन आतंकवाद मॉडर्न फेनोमेना है। मूलतः राजनीति की उपज है और उसको जमीन भी राजनीतिक कारणों से ही मिलती है। अंतरराष्ट्रीय राजनीति […]
भारत में मौतों की मनहूसियत का मौसम बड़ी तेज़ी से जासूसी के मौसम में बदलता हुआ दिखाई दे रहा है। कोरोना वायरस की दूसरी लहर उतर गई है, और अपने पीछे छोड़ गई है अंदाज़न ४० लाख भारतीयों की मौतें। मौतों का आधिकारिक सरकारी आंकड़ा इसका दसवां हिस्सा है– चार […]