31 अक्टूबर से ग्लासगो (ग्रेट ब्रिटेन) मे COP26 विश्व पर्यावरण सम्मेलन हो रहा है। इसमें चीन को छोड़कर दुनिया के अधिकांश राजप्रमुख शामिल हो रहे हैं। इसे दुनिया को बचाने का आखरी मौका माना जा रहा है। दुनिया मे बढते प्रदूषण को लेकर यह छब्बीसवां अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन है, पर इतने […]

झारखंड जनाधिकार महासभा का तीन दिवसीय सम्मेलन 2000 में बिहार से अलग होकर झारखंड  राज्य की स्थापना हुई. खानों और खदानों से भरपूर झारखंड को अलग राज्य बनाने के सपने के पीछे यहाँ की बहुसंख्यक परंतु उपेक्षित आदिवासी आबादी को विकास की प्रक्रिया में बराबर की भागीदारी देना और उनकी […]

आज भी विश्व के अनेक देश भारत को ‘बापू’ के परिचय से ही पहचानते हैं। भारत से गया व्यक्ति अपना परिचय देते हुए जब यह बताता है कि वह उस देश से आ रहा है, जिस देश में गांधी जी ने जन्म लिया था तो उनमें से बहुतेरे उस व्यक्ति […]

यह गांधी की प्रभावशाली जीत थी सत्तर के दशक की एक मशहूर मूवी थी। एक अमीर मिल मालिक का बेटा अपने दोस्त को, मजदूरों के बीच लीडर बनाकर बैठा देता है। दोस्त मजदूरों की बस्ती में रहता है। जब मजदूरों का दर्द समझता है, तो अपने ही दोस्त, यानी मिल […]

कॉलेज के दौर में गांधी विचार को जाना, कुछ साहित्य पढ़ा और उसके नज़दीक आया फिर कुछ कुछ बातें गांधी की मानने लगा, जिसमें खादी अपनाना भी शामिल रहा। अस्सी के दशक में स्कूल और कॉलेज के जीवन में हिंदी आंदोलन के बाद मैं खादी के उत्पादन से तो नहीं, […]

बापू ने सुब्रह्मण्यम भारती में क्या देखा 1919 के मार्च महीने में गांधी जी मद्रास में थे।   चक्रवर्ती राज-गोपालाचारी के घर पर उनका डेरा था। एक सुबह गांधी जी के कमरे में उनके साथ राजाजी, तमिल भाषा में धुआंधार भाषण के लिए ख्यात एस. सत्यमूर्ति, सालेम के प्रतिष्ठित वकील अधिनारायण […]

हिन्दी कथाकार राजेन्द्र यादव ने एक बार लिखा था कि यदि कोई व्यक्ति हावड़ा पुल पर खड़ा होकर जोर-जोर से कहने लगे कि यह पुल उसके दादा ने बनवाया था, तो कुछ लोग ऐसे भी होंगे, जो यह सिद्ध करने में लग जायेंगे कि सच में यह पुल उसके दादा […]

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी आए दिन मंचों पर, फिल्मों और नाटकों में, किताबों, चित्रों और नोटों में खूब दिखाई पड़ते हैं, लेकिन वास्तविक जीवन में उनके विचारों को व्यवहार में लाने की कोशिश नहीं के बराबर ही दिखती है। हमने उनको प्रतिमा और पूजा पाठ तक सीमित कर दिया है। राजनेता […]

गांधीजी ने उच्चतम आदर्शों को व्यवहार में लाने के लिए जिन अभियानों/आंदोलनों को चलाया, उन्हें लोकस्मृति में एवं लोकजीवन में निरंतर स्थापित करने की जरूरत है। किसी एक दिन गांधी दिवस मनाने की औपचारिकता वे निभाते हैं, जिनका गांधी विचार से कुछ लेना-देना नहीं है। गांधीजी ने योरोप में पैदा […]

दुनिया के लोगों के मन आज भय से व्याकुल हैं। दुनिया भर की राज काज की व्यवस्थाओं, समाजों और मनुष्यों के मन में जो चिन्ता और भय अपने जीवन की सुरक्षा और जनजीवन की गतिशीलता के बारे व्याप्त हो गया है, उससे आज की दुनिया कैसे उबरे? यह वह सवाल […]

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