सर्वोदय नेता नरेंद्र दुबे के पुत्र प्रो. पुष्पेंद्र दुबे भी उसी भावना से सर्वोदय परिवार से जुड़े हैं। एक अच्छे लेखक और सर्वोदय विचारक के रूप में उनका नाम है। इंदौर शहर के प्रख्यात कालेज महाराजा रणजीत सिंह पीजी कालेज के वे प्राध्यापक हैं। उनके ब्रम्हविद्या मंदिर के बारे में जो सुंदर विचार हैं, वे यहां आज विनोबा विचार प्रवाह में प्रस्तुत हैं।
भारत सदियों से ऋषि-मुनियों की तपःस्थली रहा है। यहां पर अध्यात्म के क्षेत्र में जितनी ऊंची उड़ानें भरी गयी हैं, उतनी शायद और कहीं नहीं। जीवन का तत्व शब्द से परे होते हैं और उस तत्व को खोजने के लिए मनुष्य जीवन को आश्रम व्यवस्था में ढालना दुनिया को हमारे ऋषियों की विशेष देन है। ब्रह्मचर्य आश्रम, गृहस्थ आश्रम, वानप्रस्थ आश्रम और संन्यास आश्रम परम तत्व को जानने के माध्यम रहे हैं। आधुनिक काल में महात्मा गांधी ने भारत के परंपरागत आश्रमों से भिन्न वैज्ञानिक जमाने के अनुकूल आश्रमों की स्थापना की।
महात्मा गांधी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी संत विनोबा भावे ने अभिनव प्रयोग की दृष्टि से ब्रह्मविद्या मंदिर की स्थापना की। यह आगामी युग की समाज रचना का प्रस्थान बिंदु है।
यहां आध्यात्मिक संशोधनों के साथ नवीन समाज रचना के अनेक प्रयोग किए गए। महात्मा गांधी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी संत विनोबा भावे ने अभिनव प्रयोग की दृष्टि से ब्रह्मविद्या मंदिर की स्थापना की। यह आगामी युग की समाज रचना का प्रस्थान बिंदु है। यहां साम्ययोगी समाज रचना के लिए मजदूरी के क्षेत्र में आज भी ब्रह्मविद्या के प्रयोग किए जा रहे हैं। श्रम के आधार से समाज में सुख, शांति और समृद्धि हासिल की जा सकती है। इसके लिए नेतृत्व की आवश्यकता नहीं है, बल्कि सामूहिक भावना का होना जरूरी है। ब्रह्मविद्या मंदिर में सामूहिक साधना का जो प्रयोग चल रहा है, वह वास्तव में अहंकार को विगलित कर स्वयं को समुद्र में समाहित कर देने का है। यहां का वातावरण मनुष्य के भीतर रहने वाले ईर्ष्या, द्वेष, मत्सर आदि दोषों का परिमार्जन कर मन से ऊपर उठने की प्रेरणा प्रदान करता है।
ब्रह्मविद्या मंदिर में सामूहिक साधना का जो प्रयोग चल रहा है, वह वास्तव में अहंकार को विगलित कर स्वयं को समुद्र में समाहित कर देने का है।
ऋषि विनोबा ने ब्रह्मविद्या मंदिर की स्थापना के प्रारंभिक वर्षों में भूदान ग्रामदान यात्रा के दौरान पत्रों के द्वारा देश के विभिन्न प्रदेशों से ब्रह्मविद्या मंदिर में रहने वाली ब्रह्मचारिणी स्त्रियों का मार्गदर्शन किया, ऐसा उदाहरण भारतीय संस्कृति की ऋषि परंपरा में और कहीं दिखायी नहीं देता। यह आश्रम प्रबंधक रहित प्रबंधन का नायाब नमूना है। विगत साठ से अधिक वर्षों से ब्रह्मविद्या मंदिर विनोबा जी की वैचारिक निष्ठा पर संचालित हो रहा है। यह पूरी दुनिया के लिए लाइट हाउस भी है और पॉवर हाउस भी।
प्रो.पुष्पेंद्र दुबे