पवनार डायरी; विनोबा विचार प्रवाह: ब्रह्मविद्या मंदिर; यह परम धाम है

ब्रह्मविद्या मंदिर के प्रति अपने मनोभाव व्यक्त करने वाली इस श्रृंखला के प्रति लोगों का आकर्षण बढ़ रहा है. मालेगांव, नासिक के पास स्थित गांव नामपुर में एक समूह है, जो बाबा का गीता प्रवचन पढ़कर विनोबामय हो रहा है। इसके सूत्रधार हैं नाथू भाई, जो भक्त हृदय व्यक्ति हैं

 

ब्रह्मविद्या मंदिर का दर्शन और वहाँ अमृतवाणी सुनने का लाभ सातत्यपूर्ण ले रहा हूंl मुझे इस पावन भूमि पर हमेशा केवल प्यार ही प्यार मिलाl यह एक शुद्ध आध्यात्मिक प्रयोग हैl मैं इस आश्रम को वंदन करता हूं l
ब्रह्मविद्या मंदिर पांचवा धाम हैl यह परम धाम हैl यह स्थान स्वयंभू हैl यहाँ राम-भरत का आगमन हुआ थाl परम पावन तीर्थ हैl विनोबा जी के चरण और हस्त कमलों से इस स्थान का कण-कण पावन हुआ हैl
श्रमनिष्ठा, ब्रह्मचर्य, सामूहिक साधना और भक्ति, ब्रह्मविद्या मंदिर के ये चार स्तंभ हैंl सत्य, प्रेम और करुणा की  दृष्टि से इस आश्रम में हर काम उपासना बन गया हैl ब्रह्मविद्या का यह आरंभिक विचार विश्व को देने के लिए बाबा ने सामूहिक चित्तनिर्माण की एक आध्यात्मिक प्रयोगशाला बनाई हुई हैl
संचालक विरहित, शासन मुक्त, स्वाधीन ब्रह्म कन्या प्रसन्न चित्त से 60 साल से ब्रह्मविद्या की अज्ञात यात्रा पर चल रही हैl श्रुति पद पंथ का अनुसरण करते-करते आर्ष पुरुषों के शब्द और विचारों के नख, चंद्र प्रकाश पथ पर विश्वकल्याण के लिए अविरल चलने वाला बहनों का यह सदा धन्या समूह हैl

संचालक विरहित, शासन मुक्त, स्वाधीन ब्रह्म कन्या प्रसन्न चित्त से 60 साल से ब्रह्मविद्या की अज्ञात यात्रा पर चल रही हैl

इस आश्रम में समूह की तरफ से व्यक्ति को पूरी स्वतंत्रता है और व्यक्ति की ओर से समूह को पूरा समर्पण है. मैं मानता हूं कि ब्रह्मविद्या मंदिर में स्वान्तः सुखाय बहनों की आंतरिक तड़पन ही विश्वांतरात्मा को जाकर छूती है l
इसके परिणाम स्वरूप इस प्रयोग से एक दिन ज्ञानोबा माऊली का पसायदान विनोबा के इस पावन
ब्रह्मविद्या मंदिर द्वारा विश्व को प्राप्त होगाl

-नाथू भाई

Co Editor Sarvodaya Jagat

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