जब सत्ता धरोहरों का पुनरुद्धार करती है, तो वह किसी भद्दे प्लास्टर की तरह हो जाता है

सेवाग्राम से साबरमती संदेश यात्रा के समापन के अवसर पर पूरे देश भर में एकजुटता दिखी और उसके समर्थन में कार्यक्रम आयोजित किए गए। इसी क्रम में सर्व सेवा संघ की ओर से राजघाट परिसर में गांधी प्रतिमा के समक्ष साबरमती एवं साधना केंद्र को बचाने के लिए सर्व धर्म प्रार्थना सभा एवं संगोष्ठी का कार्यक्रम संपन्न हुआ।

इस संगोष्ठी में बोलते हुए प्रोफेसर मुकेश शुक्ल ने कहा कि जब भी कोई सत्ता प्रकृति या किसी धरोहर का पुनरुद्धार करती है, तो वह एक भद्दे प्लास्टर की तरह हो जाता है। एक युवा साथी ने कहा कि मानवीय विचारों का विस्तार ही मूल काम है और आज उसपर ध्यान देने की जरूरत है। आधुनिकीकरण की सरकारी परियोजनाएं धरोहरों व प्रतीकों को विकृत करने के उद्देश्य से प्रेरित हैं।

संगोष्ठी में आरिफ मोहम्मद, मुनीज़ा खान, शक्ति कुमार, प्रेम प्रकाश, वीरेन, राजेश, श्री प्रकाश और अरविंद अंजुम के अतिरिक्त प्रकाशन के कार्यकर्ता सुशील कुमार सिंह, अनूप आचार्य, आलोक सहाय, अतुल आचार्य आदि शामिल हुए। कार्यक्रम का समापन तारकेश्वर सिंह के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।

                                                              -अनूप आचार्य

Co Editor Sarvodaya Jagat

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