चम्पारण प्रवास के दौरान गांधी जी को वहां की जनता का को जो प्यार, श्रद्धा एवं सम्मान प्राप्त हुआ, वह वहां की भाषा भोजपुरी में आज भी विद्यमान है। अब न अंग्रेज़ हैं, न शोषक जमींदारी प्रथा, न नील की खेती, न डरे, दबे कुचले लोग, पर भोजपुरी के वे कर्णप्रिय गीत और धुनें ज़रूर आज भी गांधी की कीर्तिगाथा को दुहरा रही हैं। चंपारण का क्षेत्र भोजपुरी भाषी क्षेत्र है, जो अंगिका और वज्जिका के क्षेत्रों से मिला हुआ है। इन बोलियों में 1857 के बिहार के महानायकों मंगल पांडेय और वीर कुँवर सिंह की वीरता के बखान का समृद्ध इतिहास है। चंपारण सत्याग्रह ही नहीं, उसके बाद होने वाले असहयोग आंदोलन, दांडी यात्रा, सविनय अवज्ञा आंदोलन, भगत सिंह की कीर्तिगाथा, नेताजी सुभाष का बेहद ओजस्वी अभियान आदि महत्वपूर्ण घटनाओं पर भी भोजपुरी सहित अन्य बोलियों में बहुत से गीत रचे गए हैं।

1

वरिष्ठ गांधीवादी आदरणीय रामजी भाई हमारे बीच नहीं रहे। यह जानकर बहुत दुख हुआ। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे। करीब आज से 50 साल पहले रामजी भाई से पहली मुलाकात इलाहाबाद में ग्रामदानी गांव बरनपुर में आदरणीय लल्लू दादा और मेवा लाल गोस्वामी के साथ हुई थी। उसके बाद […]

आज भी विश्व के अनेक देश भारत को ‘बापू’ के परिचय से ही पहचानते हैं। भारत से गया व्यक्ति अपना परिचय देते हुए जब यह बताता है कि वह उस देश से आ रहा है, जिस देश में गांधी जी ने जन्म लिया था तो उनमें से बहुतेरे उस व्यक्ति […]

यह गांधी की प्रभावशाली जीत थी सत्तर के दशक की एक मशहूर मूवी थी। एक अमीर मिल मालिक का बेटा अपने दोस्त को, मजदूरों के बीच लीडर बनाकर बैठा देता है। दोस्त मजदूरों की बस्ती में रहता है। जब मजदूरों का दर्द समझता है, तो अपने ही दोस्त, यानी मिल […]

कॉलेज के दौर में गांधी विचार को जाना, कुछ साहित्य पढ़ा और उसके नज़दीक आया फिर कुछ कुछ बातें गांधी की मानने लगा, जिसमें खादी अपनाना भी शामिल रहा। अस्सी के दशक में स्कूल और कॉलेज के जीवन में हिंदी आंदोलन के बाद मैं खादी के उत्पादन से तो नहीं, […]

मैं यह मानता हूं कि गांधीवादी या मार्क्सवादी होना नादानी है और गांधीवाद विरोधी या मार्क्सवाद विरोधी होना भी नादानी है। गांधी और मार्क्स के अनमोल खजानों से सीखने लायक बहुत कुछ है, बशर्ते व्यक्ति और काल विशेष मात्र से संदर्भ और निष्कर्ष न निकाले जाएं।’ डॉ राममनोहर लोहिया को […]

वसुंधरा फाउंडेशन लखनऊ द्वारा आजादी की 75वी वर्षगांठ के महोत्सव पर साल भर होने वाले कार्यक्रमों की श्रंखला मे आज कोरबा मितान मंच के संयुक्त तत्वावधान में”भारत माता के दो महान सपूतों “जेपी और लोहिया” के आर्थिक एवम् सामाजिक विचार ” विषय पर आनलाइन गोष्ठी आयोजित की गई। संगीता श्रीवास्तव […]

जेपी की मृत्यु के समय चरण सिंह प्रधानमंत्री थे। जेपी का शव श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल के बरामदे में दर्शनार्थ रखा गया था। 9 अक्टूबर 1979 को देश के अनेक दिग्गज नेता जेपी के अंतिम दर्शनार्थ पहुंचे, किन्तु मोरारजी देसाई, चौधरी चरण सिंह और जगजीवन राम ने जेपी का अंतिम दर्शन […]

बापू ने सुब्रह्मण्यम भारती में क्या देखा 1919 के मार्च महीने में गांधी जी मद्रास में थे।   चक्रवर्ती राज-गोपालाचारी के घर पर उनका डेरा था। एक सुबह गांधी जी के कमरे में उनके साथ राजाजी, तमिल भाषा में धुआंधार भाषण के लिए ख्यात एस. सत्यमूर्ति, सालेम के प्रतिष्ठित वकील अधिनारायण […]

हिन्दी कथाकार राजेन्द्र यादव ने एक बार लिखा था कि यदि कोई व्यक्ति हावड़ा पुल पर खड़ा होकर जोर-जोर से कहने लगे कि यह पुल उसके दादा ने बनवाया था, तो कुछ लोग ऐसे भी होंगे, जो यह सिद्ध करने में लग जायेंगे कि सच में यह पुल उसके दादा […]

क्या हम आपकी कोई सहायता कर सकते है?