वरिष्ठ सर्वोदयी रामजी भाई का निधन

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वरिष्ठ गांधीवादी आदरणीय रामजी भाई हमारे बीच नहीं रहे। यह जानकर बहुत दुख हुआ। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे।

करीब आज से 50 साल पहले रामजी भाई से पहली मुलाकात इलाहाबाद में ग्रामदानी गांव बरनपुर में आदरणीय लल्लू दादा और मेवा लाल गोस्वामी के साथ हुई थी। उसके बाद मुलाकातों का सिलसिला चलता ही रहा। वे जब इलाहाबाद आते घर पर मिलने के लिए अवश्य आते।

उनका विनम्र और स्नेहिल व्यवहार सबको मोहित करता था।

वे 90 होकर इस दुनिया से गए हैं लेकिन पूरी सक्रियता के साथ लगे हुए थे।

वे मूलतः उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के थे लेकिन बाद में नासिक महाराष्ट्र में बेटी के साथ रहने लगे थे। अभी हाल में ही कानपुर में भाई गणेश बागड़िया के यहां जीवन विद्या के शिविर में बहुत दिनों बाद मुलाकात हुई थी। हम दोनों लोग एक साथ ही कमरे में थे। पुराने दिनों की खूब बातें करते और उन सब लोगों को याद करते थे जो इलाहाबाद, बनारस या उत्तर प्रदेश के दूसरे जिलों में कभी उनके साथ जुड़े हुए थे। एक- एक व्यक्ति के बारे में पूछना और उसके बेटे – बेटियों के बारे में जानना कि वह कहां है? सब ठीक है। सबकी खैर रखने वाले रामजी भाई, आज हमारे बीच नहीं रहे। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे।

-राम धीरज

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भोजपुरी लोकगीतों में गूंजती गांधी कीर्ति की गाथा

Wed Oct 13 , 2021
चम्पारण प्रवास के दौरान गांधी जी को वहां की जनता का को जो प्यार, श्रद्धा एवं सम्मान प्राप्त हुआ, वह वहां की भाषा भोजपुरी में आज भी विद्यमान है। अब न अंग्रेज़ हैं, न शोषक जमींदारी प्रथा, न नील की खेती, न डरे, दबे कुचले लोग, पर भोजपुरी के वे कर्णप्रिय गीत और धुनें ज़रूर आज भी गांधी की कीर्तिगाथा को दुहरा रही हैं। चंपारण का क्षेत्र भोजपुरी भाषी क्षेत्र है, जो अंगिका और वज्जिका के क्षेत्रों से मिला हुआ है। इन बोलियों में 1857 के बिहार के महानायकों मंगल पांडेय और वीर कुँवर सिंह की वीरता के बखान का समृद्ध इतिहास है। चंपारण सत्याग्रह ही नहीं, उसके बाद होने वाले असहयोग आंदोलन, दांडी यात्रा, सविनय अवज्ञा आंदोलन, भगत सिंह की कीर्तिगाथा, नेताजी सुभाष का बेहद ओजस्वी अभियान आदि महत्वपूर्ण घटनाओं पर भी भोजपुरी सहित अन्य बोलियों में बहुत से गीत रचे गए हैं।

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