भारत की समन्वयी संस्कृति, राष्ट्रीय एकता और गाँधी विषय पर आज एक गोष्ठी का आयोजन विनोबा सभागार, सर्व सेवा भवन, वाराणसी मे आज 2 अक्टूबर को सम्पन्न हुई। समाज मे सहिष्णुता, सम्प्रदायिक सौहाद्र और मानवीय मूल्यों की आवश्यकता और गांधी जी विचारो पर वक्ताओ ने प्रकाश डाला। अध्यक्षता श्री विजयनारायण […]
Year: 2021
गांधीजी के जीवन से प्रभावित होकर अपना जीवन, गांधी विचारों में समर्पित होकर जीने वाली राष्ट्रीय कस्तूरबा गांधी ट्रस्ट इ्न्दौर के पूर्व सचिव, विचार संगोष्ठी मेंबतौर मुख्य अतिथि चतुरा बहन ने गांधीजी के कर्मो, विचारों को विस्तार से रखा। उन्होंने कहा गांधीजी का दिया सर्वधर्म समभाव आज के समय में […]
बापू की 152वींजयन्ती पर सर्वोदय मंडल सीतामढी़ के तत्वावधान में खादी भण्डार परिसर में मौजूदा समय में गांधी विचार की प्रासंगिकता “विषय पर एक संगोष्ठी आयोजित की गई।राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी तथा पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री जी के चित्र पर माल्यार्पण के बाद गोष्ठी का शुभारंभ हुआ।अध्यक्षता तथा विषय प्रवेश […]
आज 2 अक्टूबर, गांधी जयंती पर उनकी कर्म भूमि चंपारण, बिहार से लाल बहादुर शास्त्री जी के कर्म भूमि बनारस तक प्रधानमन्त्री से दस सवालों को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा के सामूहिक नेतृत्व में किसान जनजागरण पदयात्रा हजारों किसानों के साथ भारी बारिश के बावजूद गांधी संग्रहालय मोतिहारी में गांधी […]
साठ के दशक की बात है। रूस-अमेरिका शीत युद्ध चरम पर था और दोनों महाशक्तियां एटमी हथियारों की अंधाधुंध दौड़ में शामिल थीं। निकट भविष्य में ही क्यूबा संकट के कारण दुनिया एकदम से महाविनाश के कगार पर पहुंच जाने वाली थी।ऐसे में दो सर्वोदयी मित्रों- सतीश कुमार और प्रभाकर […]
दुनिया के लोगों के मन आज भय से व्याकुल हैं। दुनिया भर की राज काज की व्यवस्थाओं, समाजों और मनुष्यों के मन में जो चिन्ता और भय अपने जीवन की सुरक्षा और जनजीवन की गतिशीलता के बारे व्याप्त हो गया है, उससे आज की दुनिया कैसे उबरे? यह वह सवाल […]
गांधीजी ने उच्चतम आदर्शों को व्यवहार में लाने के लिए जिन अभियानों/आंदोलनों को चलाया, उन्हें लोकस्मृति में एवं लोकजीवन में निरंतर स्थापित करने की जरूरत है। किसी एक दिन गांधी दिवस मनाने की औपचारिकता वे निभाते हैं, जिनका गांधी विचार से कुछ लेना-देना नहीं है। गांधीजी ने योरोप में पैदा […]
राष्ट्रपिता महत्मा गांधी बीसवीं शताब्दी के एक मात्र ऐसे नेता हैं, जिनकी तुलना उनके काल के सभी बड़े नेताओं के साथ करने का प्रयत्न उन नेताओं के अनुयायी करते हुए दिखते हैं। ऐसा वे इसलिए करते हैं क्योंकि भारत के अलग-अलग महापुरुषों की तुलना गांधी जी से किए बिना उनकी […]
महात्मा गांधी 15 अप्रैल 1917 को चंपारण आए थे। सात दिन बाद ही जिले के कलक्टर ने अपने उच्चाधिकारियों को चिट्ठी लिखी। उसमें यह उल्लेख सबसे पहले आता है कि आज गांधी की चर्चा जिले में हर किसी की जुबान पर है। गांधी ने चम्पारण के एक सक्रिय किसान राजकुमार […]
भारत की आजादी के पहले ही नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने मोहनदास करमचंद गांधी को राष्ट्रपिता की संज्ञा दे दी थी। इसका आधार महात्मा गांधी का ‘सत्य और मानवता के प्रति प्रेम’ ही था। दिल्ली में यमुना नदी के तट पर जहां गांधी की अंत्येष्टि की गई, वह स्थान राजघाट […]