हम सभी को हाथ में कुदाली, झाड़ू, खपरा और फावड़ा उठा लेना चाहिए। जब हम इन दिव्य आयुधों से सजेंगे तो हमें अच्छा कार्य करने की प्रेरणा होगी।  बाबा विनोबा का आवाहन था कि हम सभी को हाथ में कुदाली, झाड़ू, खपरा और फावड़ा उठा लेना चाहिए। जब हम इन […]

बाबा समझाते थे कि बारिश का पानी बूंद-बूंद करके ही गिरता है, लेकिन फिर भी हर जगह गिरता है, इसलिए जिस तरह सारे नदी नाले भर-भर के बहते हैं, वैसे ही हर कोई अगर इसमें हाथ लगाएगा तो भूदान गंगा भी भर-भर के बहेगी। पुराने जमाने में कोई मठपति, कोई […]

बाबा ने अपना विश्वास बताते हुए कहा कि मसला कोई भी हो, अहिंसा से ही हल हो सकता है, लेकिन उसके लिए हृदय शुद्धि की आवश्यकता होती है। वैसे तो इस चीज को कल्पना और श्रद्धा से बाबा मानते ही थे, लेकिन इस मर्तबा उसका दर्शन भी हुआ। इसलिए भूदान […]

बाबा तो कहते ही थे कि केवल पुलिस की ताकत से शांति नहीं रह सकती। हां, अशांति उससे दब जरूर सकती है, लेकिन यह फिर से धधक सकती है। जैसे गर्मी में घास सूख जाती है, बिल्कुल दिखाई नहीं देती, लेकिन वर्षा होते ही वह उग आती है। अशांति के […]

बाबा का मांगने का ढंग अद्भुत ही था. वे गरीबों के लिए भूमिदान मांगते थे, लेकिन बताते थे कि इसमें बचत श्रीमानों की भी होती है। मैं श्रीमानों के घर ठहरकर उनके घर ही आग लगाता हूं। यही उनके घर होने वाला उज्ज्वल यज्ञ है। इस यज्ञ से कोई आग […]

बाबा कहने लगे कि मैं तो वामन बन गया हूँ और लोगों से कहता हूं कि हमें तीन कदम ही जमीन दे दो, काफी है। गांव वाले समझते हैं कि जो सौ एकड़ जमीन मिली, वह भी हमारी है और जो चार सौ एकड़ जमीन बची, वह भी हमारी ही […]

गाँव की बैठकी में हरिजन भाइयों ने बाबा से कहा कि हम लोगों को खेती के लिए जमीन चाहिए। बाबा ने पूछा, कितनी? तो जबाब मिला, 80 एकड़। बाबा ने कहा कि अच्छा, एक अर्जी लिख दो, हम जरूर प्रयास करेंगे। बाबा ने सरकार से जमीन का इंतजाम करने के […]

  बाबा ने उन लोगों से कहा कि आज रामनवमी का पावन दिन आप सबके साथ बिताना अत्यंत शुभ रहा है, क्योंकि यह दिन हिंदुस्तान के लिए परम पवित्र दिन है। हां, इतना कष्ट जरूर है कि हमारे कुछ भाई, जो देश की सेवा तो करना चाहते हैं, लेकिन दूसरा ढंग […]

बाबा ने कहा कि पैदल चलने का कोई व्रत नहीं लिया है, क्योंकि व्रत तो सत्य, अहिंसा आदि का लिया जाता है, फिर भी मैं पैदल ही यात्रा पर निकलूंगा। हां, मेरे मन में यह अवश्य था कि पवनार आश्रम में जो साम्ययोग का प्रयोग शुरू हुआ है, उसको कुछ […]

बाबा ने इसे इस बात का ईश्वरीय संकेत माना कि अभी समाज में बहुत भूमिहीन लोग हैं, जिनको जमीन की जरूरत है, इसलिए हमें और जमीन मांगने के लिए आगे बढ़ना चाहिए। बाबा का मानना था कि किसान का जीवन सबसे ज्यादा पवित्र है। वह परमेश्वर के ज्यादा नजदीक रहता […]

क्या हम आपकी कोई सहायता कर सकते है?