जब भूदान की पदयात्रा शुरू की तब बाबा की उम्र 55 वर्ष थी। आखिर में जब बाबा बिहार से पवनार लौटे तब वे 74 वर्ष के हो चुके थे। आरोहण की यह जो तपस्या हुई, वह वयोवृद्ध उम्र में हुई। बाबा विनोबा का भूदान आंदोलन ईश्वरीय प्रेरणा का ही संकेत […]

18 अप्रैल, 1951 का दिन था; जब बाबा को तेलंगाना के पोचमपल्ली गांव में पहला भूदान मिला था। यों कहें कि भूदान गंगोत्री का जन्म हुआ था। भूदान की गंगा जैसे जैसे आगे बढ़ी, जनक्रांति आकार लेती गयी. आज़ादी के बाद किसानों का शोषण करने वाली जमीदारी प्रथा समाप्त कर […]

बा बापू से छह साल बड़ी थीं। उनके जीवन के संस्मरण पढ़कर पता चलता है कि वे अपने विचारों में स्वतंत्र थीं. उन्होंने हमेशा बापू की हां मे हां नहीं मिलायी, वे असहमति होने पर बापू का विरोध भी करती थी। उनमें बापू के प्रति सगुण और निर्गुण भक्ति दोनों […]

कताई और बुनाई की शैलियों तथा प्रक्रियाओं के संदर्भ ऋग्वेद में भी पाए जाते हैं। चौथी शताब्दी ईसा पूर्व, कौटिल्य के अर्थशास्त्र में भी चरखे के अस्तित्व का उल्लेख किया गया है। कौटिल्य ने अपने ग्रंथ में “सूत्राध्यक्ष” नामक राज्य के अधिकारियों का उदाहरण भी दिया है। प्राचीन काल से […]

मैं जीवन भर गांधी का गहन पाठक रहा हूँ। जाति और धर्मनिरपेक्षता पर गांधी का सिद्धांत और उनका निजी और सार्वजनिक व्यवहार मुझे हमेशा हैरान करता रहा है। इसकी वजह स्पष्ट है। गाँधी के अलावा भारत में किसी और ने निजी और सार्वजनिक जीवन में जाति और धर्म पर न […]

30 सितंबर 1933 प्रिय घनश्यामदास,आपको मालूम ही है कि आश्रमवासियों ने गत पहली अगस्त को साबरमती के सत्याग्रह-आश्रम और उसकी भूमि को त्याग दिया था। मुझे आशा थी कि सरकार मेरे पत्र के अनुसार इस त्यक्त संपत्ति पर अधिकार कर लेगी, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। ऐसी अवस्था में मेरे […]

लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के प्रख्यात विद्वान प्रोफेसर हेराल्ड लास्की के प्रिय शिष्यों में रहे पंडित नेहरू ने अपने प्रथम उद्बोधन में ही हर भारतीय को नया सबेरा और नया विहान लाने का भरोसा दिया। नवस्वाधीन भारत में चारों तरफ़ भुखमरी, गरीबी, कुपोषण, अशिक्षा और गंदगी पसरी पड़ी थी, देश […]

सावन कुमार टाक नौनिहाल फ़िल्म बना रहे थे। इसके क्लाइमेक्स वाले गाने में नेहरू जी की अंतिम यात्रा के फुटेज इस्तेमाल हुए थे। गाना था कैफ़ी आज़मी साहब का लिखा हुआ ‘मेरी आवाज़ सुनो’…, जिसमें नेहरू जी की वसीयत नज़्म थी। ये गाना नेहरू जी को खिराजे अक़ीदत था। बक़ौल […]

नेहरू धर्म के वैज्ञानिक और स्वच्छ दृष्टिकोण के समर्थक थे। उनका मानना था कि भारत धर्मनिरपेक्ष राज्य है, न कि धर्महीन। सभी धर्मो का आदर करना और सभी को उनकी धार्मिक आस्था के लिए समान अवसर देना राज्य का कर्तव्य है। नेहरू जिस आजादी के समर्थक थे, जिन लोकतांत्रिक संस्थाओं […]

गांधी और सावरकर के रिश्तों पर तुषार गांधी के साथ सर्वोदय जगत के अतिथि संपादक रामदत्त त्रिपाठी की एक दिलचस्प चर्चा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की बर्बर हत्या बीसवीं सदी की सर्वाधिक लोमहर्षक घटनाओं में से एक है। यह गांधी और बुद्ध के देश भारत में नहीं होना चाहिए था कि […]

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