लोकतंत्र की रक्षा के लिए लगभग तीन सौ यात्राएं सड़क पर : प्रो आनंद कुमार

सद्भाव संवाद यात्रा : 24-30 जनवरी, 2023

साम्प्रदायिक सद्भावना समाज की पहल से आयोजित तथा लोकशक्ति अभियान एवं लोकतांत्रिक राष्ट्रनिर्माण अभियान द्वारा समर्थित सद्भाव संवाद यात्रा का आयोजन 24 से 30 जनवरी के बीच हुआ। यात्रा की शुरुआत में सद्भाव यात्रा के संयोजक प्रो.आनंद कुमार ने आये तमाम सद्भाव यात्रियों परिचय कराया। एआईपीएफ के अखिलेन्द्र प्रताप, लोकतांत्रिक राष्ट्रनिर्माण अभियान के सुरेश खैरनार, मुजफ्फरपुर के विकास उपाध्याय एवं सुरेन्द्र कुमार, उन्नाव के दिनेश प्रियमन, जामिया की आलिया, झारखंड के अम्बिका यादव, लखनऊ के आलोक आदि ने देश की परिस्थिति तथा नफरत और लूट के माहौल को बदलने की जरूरत पर बातें रखीं। शेर सिंह मौर्य ने कविता पाठ किया। यात्रा के प्रबंधन में लगे विकास ने क्षेत्र की चुनौतियों को रखा। आरएलडी के वरिष्ठ नेता ओडी त्यागी ने भी आपनी बातें कहीं। तमाम साथियों की अभिव्यक्ति में समाज में फैलती नफरत और दरार का दर्द और उसे पाटने का संकल्प शामिल था। देश समाज को बाँटकर, राज्य का दमन चलाकर पूरे देश के संसाधनों को अडाणी जैसे चहेते पूँजीपतियों के हवाले करने की साजिश को नाकामयाब बनाने की जरूरत बतायी गयी।


24 जनवरी को मुरादनगर पहुंचने पर जनसंवाद का आयोजन हुआ। प्रो. आनन्द कुमार ने सबके सामने यात्रा के मकसद रखा। उन्होंने बताया कि देश को बचाने के लिए बहुतेरे हिस्सों से सद्भाव के सत्याग्रही 30 जनवरी को दिल्ली पहुँच रहे हैं। सर्व सेवा संघ के रामधीरज ने कहा कि असल में राम, अयोध्या या राम मन्दिर में नहीं, हमारे घर हमारे दिल में रहते हैं। धर्म की राजनीति करने वाले धार्मिक नहीं, पाखंडी हैं। अमित त्यागी ने कहा कि आम लोगों में खाई नहीं बनी है। चुनाव के वक्त ही ज्यादातर नफरत की खाई बनाई जाती है। मंथन ने कहा कि नफरत और लूट साथ साथ बढ़ रही है। जब धर्म और जाति के नाम पर नफरत और लिंचिंग बढ़ रही है, असहमति का सरकारी दमन हो रहा है, तभी पूँजीपति की सम्पत्ति भी बेतहाशा बढ़ रही है। इसके लिए नफरत, लूट और तानाशाही के खिलाफ सबको मिलकर लड़ना होगा।

25 जनवरी की शाम को यात्रा की डासना के दूधीपीपल क्षेत्र में एक सभा हुई । इस संवाद में हिन्दू और मुस्लिम दोनों समाज की अच्छी भागीदारी रही। इस संवाद को अय्यूब अली, उम्मेद अली, सुरेश खैरनार, अजयवीर सिंह, रामधीरज, सत्यकेतु सिंह, अब्दुल कुरेशी और यात्रा संयोजक आनन्द कुमार ने सम्बोधित किया। संवाद का आखिरी वक्तव्य आनन्द कुमार का रहा। उन्होंने कहा कि हम सब तीन सवालों के जवाब की तलाश में निकले हैं। मुल्क के हालात सही हैं या फिक्र पैदा कर रहे हैं? अगर मुल्क चिंताजनक हाल में है तो इसकी क्या वजहें हैं? ये हालात कैसे सुधरेंगे?

26 जनवरी को सद्भाव यात्रियों ने परमहंस पब्लिक स्कूल में गणतंत्र दिवस समारोह में भागीदारी दी । आनन्द कुमार ने आजादी के आंदोलन और आजादी के अर्थ का जिक्र करते हुए उन्होंने अपनी बात रखी। अगले पड़ाव पर अमित पांडेय ने बीबीसी की विवादास्पद डाक्यूमेंट्री के हवाले से बात शुरू की। उन्होंने सद्भावना यात्रा के पर्चे पर तथा सर्वोदय जगत के राम अंक पर सवाल भी उठाया। सुरेश खैरनार ने कहा कि सभी उपलब्धियों और प्रतीकों को पलटने का काम किया जा रहा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को ब्राह्मण संगठन मानने की गलती हमें नहीं करनी चाहिए। भाजपा का सत्ता का खेल ज्यादा दिन चलनेवाला नहीं है। आयोजक समूह खिदमते अवाम युवा समिति की ओर से समाज में काम करने वाले अनेक लोगों को सर्टिफिकेट दिया गया, सर्वोदय जगत का राम अंक और लोहिया की पुस्तिका भेंट की गयी। पूरे कार्यक्रम का संचालन फैसल मार्टिन ने किया ।

27 जनवरी को दोपहर में दिलशाद गार्डन के वाल्मीकि मंदिर के प्रांगण में एक संवाद सभा हुई । पूर्वांचल विचार मंच ने इस संवाद का आयोजन किया। इस सभा की अध्यक्षता राकेश रमण झा ने की। आनन्द कुमार ने प्रशासन के शीर्ष पर बैठे अपने छात्रों की लाचारी बतायी। पूरे देश में चुनाव में पैसा और बाहुबल का बोलबाला है। हमारे परिचित सत्ता में रहे। आज हम उसका प्रायश्चित्त कर रहे हैं। एकता से हमें जनतंत्र मिला, जनतंत्र से एकता मिली। आज साफ साफ बोलने वाले बहुत कम हैं। धर्म की पद्धति तो वही पुरानी है, तब धार्मिक नफरत कहाँ से बढ़ी। नफरत के स्रोत और प्रायोजक को पहचानना होगा। आज राजनीति में झूठ, अनैतिकता और स्वार्थ समा गयी है। दोनों कौमों में शिकायतों की फेहरिश्त है। शिकायतों को समझना होगा। गलतियों पर गर्व नहीं, शर्म करनी होगी। सद्भाव के जरिए आगे बढ़ना होगा। हमारी जैसी 300 यात्राएँ 2 अक्टूबर से अब तक निकली हैं। हम छोटे छोटे संवाद करते आगे बढ़ रहे हैं। आपको यकीन होना चाहिए कि हम अकेले नहीं हैं। आपका जिम्मा होना चाहिए कि आप अकेले न रहें, अपने में सिमटे न रहें। एक धर्म का देश होना एकता, मेल, सद्भाव की गारंटी नहीं है। इसकी बहुत सी मिसालें हैं । डा. रमेश पासी ने कहा कि पहले खुद समझना और विश्वास करना है ,और तब समझाना और विश्वास देना है।

– सर्वोदय जगत डेस्क

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