सर्व सेवा संघ कार्यसमिति की बैठक सम्पन्न

सेवाग्राम (वर्धा) में सर्व सेवा संघ कार्यसमिति की बैठक 27 जुलाई 2021 को सम्पन्न हुई। बैठक में आजादी के 75 साल पूरे होने पर अमृत महोत्सव मनाने के लिए लंबी चर्चा हुई। 15 अगस्त 2021 से लेकर 15 अगस्त 2022 तक पूरे साल देश में विभिन्न कार्यक्रम करने हेतु कार्यसमिति के सदस्यों द्वारा महत्त्वपूर्ण सुझाव आये।


सर्व सेवा संघ के पूर्व अध्यक्ष एवं नई तालीम के वर्तमान अध्यक्ष डॉ. सुगन बरंठ ने कहा कि गांधी को जमीन पर उतारना हमारा फर्ज है। स्वदेशी आंदोलन की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि खादी और ग्रामोद्योगों को पुनर्जीवित करने और पारंपरिक बीजों की रक्षा करने आदि के कार्यक्रमों को चलाना पड़ेगा और जो लोग पहले से इन कार्यों में जुटे हुए हैं, उन्हें इकट्ठा करना चाहिए।


प्रो. सोमनाथ रोड़े (महाराष्ट्र) ने कहा कि स्वूâलों-कॉलेजों में कार्यक्रमों के द्वारा गांधी की विचारधारा पर जन प्रबोधन करना चाहिए। जनाधारित पदयात्राओं का आयोजन हो, जिसके द्वारा गांवों में पानी का व्यवस्थापन, महिला सशक्तीकरण, ग्रामसभा का महत्त्व, युवाशक्ति का संगठन, जैविक खेती, ग्राम सफाई, जन आरोग्य आदि विषयों पर लोगों का शिक्षण किया जाय। आजादी के 75 साल के उपलक्ष्य में हर जिले से पूरे साल या दो सालों में 75 अलग-अलग कार्यक्रम हों। देश भर रचनात्मक कार्यों में जुटे हुए कुछ कार्यकर्ताओं को इकट्ठा करके, आज के सिलसिले में हमारे सामने कौन-सी चुनौतियां हैं, इसका परामर्श करें और उस पर ठोस कार्यक्रम बनाकर कार्य हों।


सर्व सेवा संघ प्रकाशन और वाराणसी परिसर के संयोजक अरविन्द अंजुम ने बताया कि इस अवसर पर हम अपना मूल्यांकन करें। औपचारिक कार्यक्रमों के बजाय कुछ ठोस कार्यक्रम लेने चाहिए। आज हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती ‘यूनिव्हर्सल वैलूज’ की है। स्वतंत्रता और संविधान में वर्णित मूल्यों की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है। वृक्षदान, रक्तदान, देहदान और अंतिम जन की सेवा जैसे कार्यक्रमों को चलाने का संकल्प करना जरूरी है।


राजस्थान सर्वोदय मंडल की आशा बहन बोथरा ने कहा कि हमें साबरमती आश्रम को बचाने का संकल्प लेना चाहिए और इस हेतु एक पदयात्रा सेवाग्राम से साबरमती तक करनी चाहिए। वहां 2 अक्टूबर को पहुंचकर अनिश्चितकालीन सत्याग्रह करना चाहिए।


सर्व सेवा संघ प्रकाशन, वाराणसी के पूर्व संयोजक रामधीरज ने कहा कि दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन का पूरी ताकत से समर्थन करना चाहिए और हर राज्य से लोगों को पहुंचना चाहिए। ग्रामदानी और भूदानी गांवों में फिर से ग्राम स्वराज्य के कार्यक्रम शुरू करना चाहिए। तभी हम गांव की लूट (वैश्वीकरण) और बढ़ रही नशाखोरी को रोक सकते हैं। सभी रचनात्मक व खादी संस्थाओं को जोड़कर खादी और ग्रामोद्योग को बचाने का आंदोलन चलाना चाहिए। खादी और ग्राम स्वराज्य गांधीजी का मौलिक कार्यक्रम है। अभियान चलाकर भूदान की जमीनों को इस अमृत महोत्सव वर्ष में बांट देना चाहिए। वर्तमान विवाद को संवाद चलाकर आपसी विचार-विमर्श से हल करना जरूरी है। अदालतों में अनावश्यक समय जायेगा। एक साल नहीं, पांच साल का कार्यक्रम बनायें।


विश्वजीत घोराई (पश्चिम बंगाल) ने बताया कि हमें नये तरुणों के बीच जाना चाहिए। तभी गांधीजी का विचार आगे बढ़ेगा। तरुणों के जीवन (रोजगार) को बचाने का कार्यक्रम सभी गांधीवादी संगठनों को जोड़कर करना चाहिए। हरियाणा के सुखपाल सिंह ने कहा कि हरियाणा में नशाखोरी प्रमुख समस्या है। हम अपने 75 गांवों में नशामुक्ति और शराबबंदी का कार्यक्रम चलायेंगे।


अविनाश काकड़े (वर्धा) ने कहा कि हमें गांधी विचार के लोगों और संस्थाओं को जोड़ने का प्रयास करना चाहिए। नई पीढ़ी के युवाओं को जोड़कर उन्हें रचनात्मक कार्यक्रम में लगाना चाहिए। साथ ही गांधी विचार को पैâलाने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफार्म का इस्तेमाल करना चाहिए।


संतोष भाई (मध्य प्रदेश) ने कहा कि हमें राजकीय आजादी मिली, लेकिन सामाजिक-आर्थिक आजादी नहीं मिली। जल-जंगल-जमीन की समस्याएं हैं। गांधीजी का आर्थिक समता का सपना पूरा नहीं हुआ। सामाजिक न्याय की लड़ाई को प्राथमिकता मिलनी चाहिए। समाज में अलगाव की भावना बढ़ रही है। ‘गाय की हत्या पाप और दलित की हत्या माफ’ ऐसा वसूल बन गया है। धर्मनिरपेक्ष भारत की कल्पना खो गयी है। विद्यार्थियों, महिलाओं और अन्य वर्गों को सर्व सेवा संघ में जगह देनी चाहिए। आजादी के इस विशेष वर्ष में मध्य प्रदेश में हम 75 कार्यकर्ता बनायेंगे। रवीन्द्र सिंह चौहान (उत्तर प्रदेश) ने कहा कि भूदान की जमीन भूमिहीनों को बांट दें। ग्रामस्वराज्य के विचारों का पैâलाव होना चाहिए। पंचायत को सक्षम करना चाहिए। गांव में पंचायत का निर्णय अंतिम हो।


बजरंग सोनवणे (महाराष्ट्र) ने कहा कि हम मुम्बई के कामगारों को सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद करने के लिए संगठन में जोड़ रहे हैं। परिवर्तन लाने के लिए शांतिमय संघर्ष की एक रास्ता है। गांधीवादी कार्यकर्ताओं का अपनी एक ताकत बननी चाहिए। स्वूâल, कॉलेज और बस्ती में जाकर संवाद करना आवश्यक है। धर्मनिरपेक्षता और सर्वधर्म समभाव को जगाने का प्रयास हो। खमनलाल शांडिल्य (छत्तीसगढ़) ने बताया कि सर्वोदय महात्मा गांधी, आचार्य विनोबा और लोकनायक जयप्रकाश नारायण के विचारों पर आधारित है। इसे लेकर हमें आगे बढ़ना चाहिए। गांव और किसान को जगाना चाहिए। अजमत भाई (ओडिशा) ने कहा कि आजादी के 75 साल मनाने में ज्यादा से ज्यादा युवा सम्मिलित हों। युवा सम्मेलन और पदयात्राओं का आयोजन हो। अध्ययन शिविर चलाये जायें।


डॉ. विश्वजीत (ओडिशा) ने कहा कि हम ग्रामस्वराज्य की संकल्पना 75 गांवों में साकार करेंगे। युवा और आदिवासी लोगों के बीच जायेंगे। युवाओं को जोड़कर इलेक्ट्रॉनिक माध्यम द्वारा गांधीजी के बारे में पैâलायी जा रही गलतफहमियों को दूर करेंगे। अरविन्द कुशवाहा (उत्तर प्रदेश) ने कहा कि आजादी की 75वीं जयंती के अवसर पर हमें इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया का बड़े पैमाने पर उपयोग करना चाहिए। युवा शिविरों का जगह-जगह आयोजन हो। गांवों तक और युवाओं तक पहुंचने का ठोस कार्यक्रम बनाना चाहिए। गांधीवादी साथियों और संस्थाओं को, जो आपसी व्यवहार व मतभेद के कारण भटक गये हैं, उन्हें जोड़ने का प्रयास हो। गांवों के लोगों का आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए खेती और पूâड प्रोसेसिंग जैसे कामों को बढ़ावा देना चाहिए।


एडवोकेट तुषार भाई (ओडिशा) ने बताया कि ओडिशा में गांधीजी चार बार आये थे। उन्होंने सांप्रदायिक सद्भाव बनाने में भारी योगदान दिया था। इसलिए हम आजादी के ७५ साल के उपलक्ष्य में सांप्रदायिक सद्भाव के ज्यादा से ज्यादा कार्यक्रम करेंगे। मगन संग्रहालय (वर्धा) की संचालिका विभा गुप्ता ने कहा कि छोटे किसानों के पास कोई साधन नहीं है। देश में 80 प्रतिशत लोग गरीब हैं, उनके पास कोई साधन-सामग्री नहीं है। वे अत्यंत गरीबी का जीवन जीते हैं। गांधी के चरखे की संख्या घट रही है। स्थानीय कारीगरों की संख्या घट रही है। खादी संस्थाओं के साथ मिलकर खादी को बढ़ाने का कार्यक्रम लेना चाहिए। खादी गांधी के हृदय का काम है। पानी की समस्या गंभीर है, हमें पानी बचाने के लिए प्रयास करना पड़ेगा।


गांधी विचारक डॉ. जीवीएस प्रसाद (तेलंगाना) ने कहा कि अप्रâीका से वापस लौटने के बाद महात्मा गांधी ने देश में तीन आंदोलन चलाये – 1. असहकार आंदोलन, 2. सविनय कायदेभंग आंदोलन, 3. भारत छोड़ो आंदोलन। आज की स्थिति में गांधीवादी विचारों को जिन्दा रखने के लिए हमें शिक्षा, खेती और ग्राम स्वावलंबन के लिए पूरी ताकत के साथ काम करना जरूरी है। ‘महात्मा गांधी मजबूरी का नाम नहीं, मजबूती का नाम है।’ गांधी स्मारक निधि (नई दिल्ली) के सचिव संजय भाई ने कहा कि आज की स्थिति में महिलाओं की उचित भागीदारी नहीं है। धर्म और पवित्रता के कारण कुछ लोग दूर रहते हैं। आजादी के 75 साल के उपलक्ष्य में कार्यकर्ता निर्माण की प्रक्रिया पर सबसे अधिक महत्त्व देने की जरूरत है।


महाराष्ट्र प्रदेश सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष डॉ. शिवचरण ठाकुर और सर्व सेवा संघ के ट्रस्टी शेख हुसेन ने कहा कि आजादी के 75 साल मनाने के लिए ठोस कार्यक्रमों का आयोजन हो। सारांश, सर्व सेवा संघ कार्यसमिति में करीब चार-पांच घंटे लगातार ‘आजादी के 75 साल’ मनाने पर बहस, संवाद, चर्चा हुई, जिसमें कई सुझाव आये। सर्व सेवा संघ के अध्यक्ष चंदन पाल ने कहा कि सर्व सेवा संघ द्वारा देश के हर हिस्से में अलग-अलग उपक्रमों द्वारा गांधी विचारों का पैâलाव करने में हम पूरी ताकत के साथ कार्यरत रहेंगे और नये युवा कार्यकर्ताओं को बड़ी मात्रा में गांधी विचारधारा से जोड़ने का प्रयास करेंगे। घोषित संकल्प को पूरा करने का वायदा निभायेंगे।


अंत में बजरंग सोनवणे एवं प्रशांत गुजर द्वारा ‘फिर धीरे-धीरे यहां का मौसम बदलने लगा है’, दुष्यंत कुमार का अनोखा गीत गाया गया और चर्चा का समापन हुआ।

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