आजादी बचाओ आंदोलन के 11 वें राष्ट्रीय सम्मेलन की रिपोर्ट

आजादी बचाओ आंदोलन का 11 वां राष्ट्रीय सम्मेलन इसके संस्थापक और प्रणेता डॉ बनवारी लाल शर्मा जी की नवी पुण्यतिथि के अवसर पर 25 और 26 सितंबर 2021 को संपन्न हुआ इस सम्मेलन में हरियाणा पंजाब दिल्ली राजस्थान मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ झारखंड एवं उत्तर प्रदेश के आंदोलन के साथियों ने भाग लिया। सम्मेलन के उद्घाटन सत्र की शुरुआत डॉ बनवारी लाल शर्मा को याद करते हुए कृष्ण स्वरूप आनंदी जी के वक्तव्य से हुआ। उन्होंने डॉ शर्मा के जीवन और आदर्शों पर प्रकाश डाला। इस सत्र के मुख्य वक्ता के रूप में प्रख्यात कानूनविद प्रशांत भूषण जी ने देश की वर्तमान परिस्थिति पर विस्तृत चर्चा की कोविड के अंतरराष्ट्रीय साजिश के प्रमाण प्रस्तुत किए। इस साजिश में शिक्षा स्वास्थ्य और रोजगार के बिगड़ते हालात पर गंभीर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि पिछले 7 साल में सरकार के लिए फैसलों ने देश की अर्थव्यवस्था खराब की और सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ दिया। उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा की वैज्ञानिक सोच का विनाश करने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लोगों को विश्वविद्यालयों का कुलपति बनाया जा रहा है। इस सत्र में मनोज त्यागी ने आंदोलन की पिछली गतिविधियों की समीक्षा करते हुए कहा की देश की वर्तमान परिस्थितियों में आंदोलन की भूमिका कमजोर रही इसे फिर से मजबूती के साथ खड़ा होना है और इसी उद्देश्य से यह सम्मेलन रखा गया है। डॉक्टर सूचित गोविंदी ने अपने पत्र के माध्यम से संदेश दिया कि यह सम्मेलन आंदोलन का पुनर्जागरण सम्मेलन है और देश के किसानों के मुद्दे पर तथा बिगड़ते सांप्रदायिक माहौल पर आंदोलन को बड़ी भूमिका निभानी है इस सत्र की अध्यक्षीय वक्तव्य में धर्मपाल त्यागी ने आंदोलन के पुनर्गठन की आवश्यकता पर बल दिया। इस सत्र का संचालन राम प्रकाश सिंह ने किया।

दूसरे सत्र में देश के संसाधनों और सार्वजनिक निगमों को निजी हाथों में सौंपने पर देश को होने वाले नुकसान की विस्तार से चर्चा की गई। इस सत्र में मुख्य वक्तव्य इलाहाबाद विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त अर्थशास्त्री मनमोहन कृष्ण ने रखा
उन्होंने बताया कि जिन सार्वजनिक निगमों का निर्माण सेवा देने के उद्देश्य से हुआ था उनका निजी करण करके केवल लाभ कमाने का उद्देश्य रह गया है आज सेवा का उद्देश्य भटक गया है। इस सत्र की अध्यक्षता प्रोफेसर बद्री विशाल त्रिपाठी ने किया और संचालन भाई अविनाश मिश्रा जी ने किया।

तीसरे सत्र में आजादी बचाओ आंदोलन और स्वराज विद्यापीठ के संबंधों पर चर्चा हुई । सभी ने माना कि आजादी बचाओ आंदोलन और स्वराज विद्यापीठ एक दूसरे के पूरक हैं।

सम्मेलन का दूसरा दिन 26 सितंबर संगठनात्मक चर्चा का रहा। संगठनात्मक चर्चा का प्रथम सत्र विवेकानंद माथने के संचालन और वशिष्ट सिंह की अध्यक्षता में पूरा हुआ। इस सत्र में आंदोलन को गतिशील बनाने और विस्तार के लिए 15 सदस्य संचालन समिति का प्रस्ताव पास हुआ जिसमें एक तिहाई सदस्य स्वराज विद्यापीठ की समिति से होंगे और यह समिति संगठन को मजबूत करने, देश के साथियों को जोड़ने तथा स्वराज विद्यापीठ के संचालन को प्रभावी बनाने हेतु सुझाव तथा अन्य आवश्यक सुझाव देगी। आंदोलन की बैठक वर्ष में तीन बार होगी। इस संचालन समिति में मनोज त्यागी, मिथिलेश डांगी, विवेकानंद माथने, राम धीरज, सिराज केसर, संत समीर, राजीव लोचन साह, जयंत वर्मा, हिमांशु युवा, मनीष सिंहा, रमा चरण त्रिपाठी, कृष्ण स्वरूप आनंदी, सुमन शर्मा, विकास शर्मा, स्वप्निल श्रीवास्तव को रखने पर सहमति बनी।

इस दिन के दूसरे और अंतिम सत्र में देश के विभिन्न मोर्चों में संघर्षरत साथियों ने अपने अपने क्षेत्र की वर्तमान स्थिति पर अपनी रिपोर्ट पेश की।

इस सम्मेलन में भोजन की व्यवस्था मयंक भाई ने संभाली। गद्दे चादर स्टेशनरी जनरेटर पंखे आदि की व्यवस्था शीतांशु भाई ने संभाला। सभी सत्रों की शुरुआत और आखिर में आंदोलनकारी गीतों की प्रस्तुति पंकज, बिहारी जी चंद, शीतांशु ने किया। मनीषभाईऔर दिनेश भाई ने सभी कार्यों के कुशल संचालन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई

इस सम्मेलन में नए और पुराने साथियों का मिलना आशा और ऊर्जा का संचार कर गया।

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