देश के विभिन्न हिस्सों में मनाया गया सम्पूर्ण क्रांति दिवस

निरंकुश सत्ता के खिलाफ जेपी ने जब सम्पूर्ण क्रांति का आह्वान किया, तो देश के युवाओं में एक हिलोर उठी. दुनिया को स्तब्ध कर देने वाले उन दिनों को याद करते हुए देश के विभिन्न हिस्सों में 5 जून को अनेक कार्यक्रमों, गोष्ठियों, जुलूसों आदि का आयोजन किया गया. पेश है एक झलक.

गाँधी शांति प्रतिष्ठान, कानपुर
गांधी शांति प्रतिष्ठान केंद्र के कानपुर मुख्यालय में 5 जून को संपूर्ण क्रांति दिवस की 48 वीं वर्षगांठ मनाई गई, इस अवसर पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया. संगोष्ठी में लोकनायक जयप्रकाश नारायण के उन शब्दों को याद किया गया, जिसमें उन्होंने कहा था कि संपूर्ण क्रांति में राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक, बौद्धिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक व अध्यात्मिक 7 क्रांतियां शामिल हैं।


विषय प्रवेश कराते हुए खादी ग्रामोद्योग संघ के अध्यक्ष सुरेश गुप्ता ने कहा कि पटना के ऐतिहासिक मैदान में पांच लाख की ऐतिहासिक भीड़ के सामने जेपी ने संपूर्ण क्रांति का आह्वान किया था, जिसमें जात पात, भेदभाव, तिलक, दहेज न लेने का संकल्प लिया गया था।
गांधी शांति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष दीपक मालवीय ने कहा कि आज यदि संपूर्ण क्रांति की अवधारणा को जीवंत रखना है, तो हमें बलिदान देना होगा, कष्ट सहना होगा, गोली और लाठियों का सामना करना होगा। यह कठिन काम है, करोड़ों की आबादी वाले इस देश ने हजारों, लाखों की जरूरत पड़ेगी, जो संपूर्ण क्रांति के लिए कुर्बानी दे सकें।

पूर्व पार्षद मदनलाल भाटिया ने कहा कि संपूर्ण क्रांति एक आंदोलन है, एक अभियान है। हमें अपनी शक्ति भर योगदान अर्पित करना है, आज संपूर्ण क्रांति के सपनों के विपरीत समाज बन रहा है। समाज में भाषा, प्रांत, जातीयता और सांप्रदायिकता का बोलबाला है। संगोष्ठी में फारूख भाई, कमल कांत तिवारी, बिंदा भाई, अनिल सोनकर, कुलदीप सक्सेना, कैलाश नारायण त्रिपाठी, जय नारायण गुप्ता आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन बिंदा भाई ने और अध्यक्षता कैलाश नाथ त्रिपाठी ने की।

-बिंदा भाई

 

जयप्रकाश स्मारक संस्थान, आरा


5 जून सुबह को सुबह 7 बजे जयप्रकाश स्मारक संस्थान,आरा (बिहार) के तरफ से आरा में लोकनायक जयप्रकाश नारायण की प्रतिमा पर माल्यार्पण समारोह हुआ. इसके बाद संपूर्ण क्रांति विषय पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। विभिन्न वक्ताओं ने अपने संबोधन में जेपी को याद किया और सम्पूर्ण क्रांति के इतिहास के पन्ने खोले. गोष्ठी की अध्यक्षता लोकतंत्र सेनानी नाथू राम एवं संचालन जसवा के अशोक मानव ने किया. धन्यवाद ज्ञापन जसवा के रवि वारसी ने किया।

आज़ाद ग्राम फतेहपुर, गया


बोधगया में भूमि आन्दोलन के दौरान हुए वर्ग संघर्ष में विस्थापित लगभग 80 परिवारों के पुनर्वास के लिए 5 जून को सम्पूर्ण क्रांति दिवस के अवसर पर एक मार्च निकाला गया. गया दक्षिण से शुरू होकर यह मार्च नवादा, जमुई, बांका और आजाद ग्राम होते हुए संपन्न हुआ. शांतिपूर्ण वर्ग संघर्ष की याद में लोगों ने नारे लगाये और प्रशासन से विस्थापित हुए परिवारों के पुनर्वास की मांग की.

बोकारो (झारखंड) में संगोष्ठी


बोकारो में सम्पूर्ण क्रांति दिवस के मौके पर नगर के संभ्रांत जनों की उपस्थिति में एक विचार गोष्ठी का आयोजन हुआ, जिसमें वक्ताओं ने लोकनायक और उनके नेतृत्व को यद् किया. कार्यक्रम में उपस्थित लोगों ने जेपी की छोड़ी हुई विरासत को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया.

– सर्वोदय जगत डेस्क

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