स्वाध्याय आश्रम में आज महात्मा गांधी एवं लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती बड़ी धूमधाम से मनाई गई।

गांधी स्मारक निधि, पंजाब, हरियाणा तथा हिमाचल प्रदेश, स्वाध्याय आश्रम, पट्टी कल्याणा, जिला पानीपत में आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की 152वीं एवं भारत रत्न स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री जी की 117वीं जयंती बड़ी धूमधाम से मनाई गई। इस अवसर पर प्रातः 6:00 बजे गांव पट्टी कल्याणा में प्रभात फेरी निकालकर लोगों को महात्मा गांधी जी व लाल बहादुर शास्त्री जी के जीवन के बारे में बताया गया। आश्रम परिसर में पहुंचकर प्रातः 7:00 बजे से 8:00 बजे तक श्रमदान किया गया। इसके बाद 10:00 बजे से चर्खा कताई, सूत्र यज्ञ व गांधीजी की आत्मकथा से स्वाध्याय किया गया। श्रद्धांजलि सभा का भी आयोजन किया गया। श्रीआनंद कुमार शरण, डॉक्टर विकास सक्सेना एवं प्रशिक्षार्थी श्री रघुवीर सिंह, श्री जीएस अवाना तथा अधिवक्ता महेंद्र अवाना ने गांधी जी एवं शास्त्री जी के चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की। पुष्पांजलि भी की गई।

इस अवसर पर डॉ विकास सक्सेना ने सभा का संचालन किया तथा अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि गांधीजी का समूचा चिंतन मानवतावाद पर आधारित है। सत्य और अहिंसा उनके प्रमुख सिद्धांत हैं।
श्रीमती हेमलता रावत ने गांधी जी के पूरे जीवन चरित्र को सिलसिलेवार धागे में पिरोई गई माला के अनुसार प्रस्तुत किया। उन्होंने लाल बहादुर शास्त्री के जीवन के संबंध में भी सिलसिलेवार विस्तार से जानकारी दी। श्री जीएस अवाना जी ने गांधी एवं शास्त्री जी को श्रद्धांजलि देते हुए बताया कि जब शास्त्री जी नेहरू सरकार में मंत्री थे तब उन्हें एक बार एक विदेश यात्रा में जाना पड़ा। वहां ठंड बहुत पड़ती थी। नेहरू जी ने उनसे पूछा कि आपके पास वहां के लिए कोट है तो उन्होंने इंकार कर दिया। तब उन्होंने अपना कोट उन्हें यह कहते हुए दे दिया कि वहां सर्दी बहुत पड़ती है। वे उस कोट को पहन कर उस देश के यात्रा में गए। इतने साधारण थे शास्त्री जी। नेहरूजी के पश्चात वे प्रधानमंत्री निर्वाचित हुए। वह कोट आज भी जनपथ के उनके निवास स्थान पर बने संग्रहालय में रखा है जिस पर लिखा है ये कोट दो प्रधानमंत्रियों ने पहना है।

अतिथियों का धन्यवाद करते हुए मंत्री श्री आनंद कुमार शरण ने अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी को हम प्यार से बापू कहते हैं। वे सचमुच में पिता के समान ही देश के प्रत्येक व्यक्ति की चिंता करते थे। उनकी सोच समाज के अंतिम जन तक जाती थी। गांधी जी आज इस वैश्विक महामारी के दौर में होते तो वह राम नाम रूपी परम औषधि व प्राकृतिक चिकित्सा योग द्वारा ही लोगों को ठीक रहने की सलाह देते। वे बहुत ही प्रगतिशील विचारों के थे। उन्होंने देश को स्वतंत्र कराने के लिए मात्र सत्य और अहिंसा नामक हथियार का प्रयोग किया। शास्त्री जी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने जय जवान जय किसान का नारा दिया था तथा देशवासियों को उन्होंने बताया था कि राष्ट्र के लिए किसान और जवान कितने आवश्यक हैं। 1965 में भारत-पाकिस्तान का युद्ध उनके प्रधानमंत्रित्व कॉल में लड़ा गया था जिसमें भारत ने पाकिस्तान के छक्के छुड़ा दिए थे। आज हम रेलवे में आरक्षण करवाकर जो सुविधापूर्ण यात्रा करते हैं, वह लाल बहादुर शास्त्री जी की ही देन है। जब वे नेहरू मंत्रिमंडल में रेल मंत्री थे तब उन्होंनेे ही पहली बार आरक्षण व्यवस्था प्रारंभ की थी।

गांधी स्मारक निधि प्राइमरी स्कूल के बच्चों ने इस अवसर पर गांधी जी एवं शास्त्री जी के जीवन से संबंधित तथा देश भक्ति से परिपूर्ण सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। कार्यक्रम का शुभारंभ गांधी जी के प्रिय भजन वैष्णव जन तो तेने कहिए से किया गया।

कार्यक्रम में डॉ ऋतदर्शनी, श्रीमती किरण शरण, श्री धर्मपाल, श्री विकास ठक्कर, श्री विपिन कुमार, श्री धीरेंद्र रावत, श्री धनराज, श्री गिरिराज, श्री प्रसन्न कुमार कौशिक, श्री योगेंद्र प्रसाद यादव, आसपास के प्रबुद्ध जन, प्राकृतिक उपचार के लिए आए साधक साधिकाएं तथा प्राकृतिक चिकित्सा परिषद नई दिल्ली से आए प्रशिक्षार्थी उपस्थित थे।

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