राष्ट्रीय सद्भावना यात्रा को मिल रहा जबरदस्त जन-समर्थन

यात्रा में एक गांव ऐसा भी मिला, जहां लगभग 32 स्वतंत्रता सेनानियों ने आजादी के आंदोलन में अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया था। ब्रिटिश सरकार के ज़ुल्म से गांव के गांव खाली हो गए थे। इन इलाकों के जननायकों को यात्रा में जगह जगह याद किया गया।

दो सप्ताह से उत्तराखंड में चल रही राष्ट्रीय सद्भावना यात्रा का अपेक्षा से अधिक प्रभाव देखने को मिल रहा है। उत्तराखंड राज्य के कुमाऊं मंडल के प्रमुख शहर हल्द्वानी से आरंभ यह 40 दिवसीय सद्भावना यात्रा कुमाऊं मण्डल में आधा सफर तय कर चुकी है, अब यह यात्रा गढ़वाल मंडल में प्रवेश कर रही है। अभी तक करीब 2500 किलोमीटर से अधिक की यात्रा पूरी हो चुकी है।

इस यात्रा में ऐतिहासिक संस्मरणों, प्रकरणों के परिप्रेक्ष्य में उत्तराखंड की विरासत और उत्तराखंड के जन नायकों के योगदान को केन्द्र में रखकर समाज में सद्भाव, समन्वय, अहिंसा, परस्पर सौहार्द और सामाजिक एकजुटता का संदेश दिया जा रहा है। अभी तक का अनुभव बहुत सकारात्मक रहा है, जगह जगह सांस्कृतिक रैली, पैदल मार्च, एकल और बहुपक्षीय जनसंवाद, गोष्ठी, नुक्कड़ सभा, पोस्टर, बैनर, पुस्तक व साहित्य प्रदर्शनी और पत्रकार गोष्ठियों के माध्यम से जन-जन में राष्ट्रीय सद्भावना का संदेश पहुंचाया जा रहा है।

यात्रा का मार्ग इस तरह निर्धारित किया गया है कि उत्तराखंड के सभी जिलों और अंचलों में सद्भावना का संदेश पहुंचाया जा सके, इस दृष्टि से अभी तक हम नैनीताल, ऊधमसिंहनगर, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, बागेश्वर और चमोली जिलों के विभिन्न अंचलों तक पहुंचे हैं। यात्रा के आरम्भिक चरण में ही स्थानीय जनता में जबरदस्त प्रभाव देखा गया है. स्थानीय नागरिकों और दर्शकों ने न केवल यात्रा का स्वागत किया, बल्कि स्वयं भी यात्रा में शामिल हुए।

इतिहासकार पद्मश्री प्रो शेखर पाठक ने यात्रा के दौरान उत्तराखंड के जननायकों के कार्यों को रेखांकित करते हुए कहा कि उत्तराखंड की सांस्कृतिक विविधता हमें एकता का संदेश देती है, उत्तराखंड में करीब डेढ़ दर्जन भाषा और बोली बोलने वाले आपस में सद्भाव से रहते हैं। सामाजिक, जातिगत और धार्मिक मुद्दों पर जनसामान्य से बातचीत की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि धर्मनिरपेक्षता संवैधानिक व्यवस्था है, जिसको हर हाल में बढ़ाया जाना चाहिए।

रामगढ़ मुक्तेश्वर की फलपट्टी में जलवायु परिवर्तन से फलोत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। खेतों और बगीचों की जमीनों पर बनने वाले होटल, रिजोर्ट और अन्य बड़े निर्माणों से स्थानीय संरचना पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है। यात्रा में एक गांव ऐसा भी मिला, जहां लगभग 32 स्वतंत्रता सेनानियों ने आजादी के आंदोलन में अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया था। ब्रिटिश सरकार के ज़ुल्म से गांव के गांव खाली हो गए थे। इन इलाकों के जननायकों को यात्रा में जगह जगह याद किया गया। जैंती में यात्री दल को वरिष्ठ सर्वोदयी व पर्वतीय ग्राम स्वराज मण्डल की मंत्री कर्मयोगी देवकी देवी का सान्निध्य और आशीर्वाद मिला।

पिथौरागढ़ में स्वतंत्रता सेनानियों के गांव हुड़ैती में यात्रा का जोरदार स्वागत हुआ, स्थानीय निवासियों ने कहा कि जननायकों ने सभी वर्गों और धर्मों के लिए देश की आजादी की लड़ाई लड़ी थी. स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की यादों को अगली पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए हुड़ैती गांव में एक राष्ट्रीय स्मारक और एक पुस्तकालय बनाने की मांग की गयी। यात्रा का दन्या, अस्कोट, जौलजीबी, मुन्यारी, नाचनी, मुवानी, पांखू, हिमदर्शन, धरमधर, कपकोट और बागेश्वर में स्वागत किया गया।

अनासक्ति आश्रम कौसानी में वरिष्ठ सर्वोदयी और राष्ट्रीय सद्भावना यात्रा की संरक्षिका राधा भट्ट के सान्निध्य और अध्यक्षता में हुए कार्यक्रम बहुत प्रभावशाली रहे, जिनमें स्थानीय निवासियों और व्यापार मण्डल के प्रतिनिधियों के अलावा पर्यटकों ने भी भागीदारी की। राधा भट्ट ने यात्रा को समय की ज़रूरत बताते हुए समाज, देश की एकता, सद्भावना और विश्व बंधुत्व की भावना बढ़ाने पर जोर दिया। अल्मोड़ा, कठपुड़िया, रानीखेत, द्वाराहाट और चौखुटिया गनाई में राज्य के आंदोलनकारी व जुझारू नेता पीसी तिवारी ने लोगों से विभाजनकारी साम्प्रदायिक तत्वों के ख़िलाफ़ खड़े होने का आह्वान किया। द्वाराहाट में हुई नुक्कड़ सभा में यात्रा के संयोजक इस्लाम हुसैन ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के महान योगदान को याद करते हुए द्वाराहाट की महान विभूतियों विशेषकर स्व हरिदत्त काण्डपाल द्वारा सार्वजनिक जीवन में स्थापित उच्च मापदंडों की चर्चा की।

गैरसैंण में राष्ट्रीय सद्भावना यात्रा का स्वागत करते हुए जुझारू नेता कामरेड इंद्रेश मैखुरी ने सभी विभाजनकारी और साम्प्रदायिक शक्तियों का मुकाबला करने का आह्वान किया। यात्री दल में सम्मिलित पद्मश्री बसंती बहन ने अपने हर सम्बोधन में लैंगिक सद्भावना को स्वस्थ समाज की निशानी बताते हुए जल, जंगल, जमीन की लूट और नशे के बढ़ते प्रचलन को देश और प्रदेश के लिए घातक बताया और इसे रोकने की अपील की। कोसी नदी घाटी में किए गए उनके कार्यो व अनुभवों को सुना और सराहा गया।

कुमाऊं मंडल की यात्रा के आखिरी हिस्से में सल्ट खुमाड़ में स्थानीय श्रमयोग की टीम और रचनात्मक महिला मंच द्वारा सल्ट के वीर बलिदानियों की स्मृति में बने शहीद स्थल पर यात्रा का स्वागत किया गया, श्रमयोग के अजय जोशी ने सल्ट के स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को याद किया। वहां आयोजित सभा में लोकगायक गोपाल भाई ने यात्रा के उद्देश्य पर प्रकाश डाला।

भुवन पाठक ने अभी तक इस यात्रा को जो जनसहयोग मिला है, उसके लिए सभी सहयोगी सामाजिक कार्यकर्ताओं और जनसंगठनों का आभार व्यक्त किया। इस यात्रा में अभी तक जो लोग सम्मिलित रहे हैं, उनमें उत्तराखंड सर्वोदय मण्डल से रीता इस्लाम, सुरेन्द्र बरोलिया, नरेंद्र कुमार, राजीव गांधी फाउन्डेशन से विजय महाजन, परमानंद भट्ट, हिदायत आज़मी, प्रयाग भट्ट, रजनीश और रेवा आदि शामिल थीं।

-इस्लाम हुसैन

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