बाबा जो बात जोर-जोर से चिल्लाकर कह रहा है कि जमीन तो ईश्वरीय देन है, यह विचार न तो चीन से लिया है, न रूस से, बल्कि ईश्वर से लिया है। बाबा का मकसद जमीन की मालिकी मिटाना है। हमें राग द्वेष से मुक्त होकर सतत सेवा करनी चाहिए,यही सच्ची […]
सभी को देखने में लगता है कि हम पैदल चलते हैं, पर ऐसा नहीं है। हम जनता के सेवक है, जनता के मन पर आरूढ़ होकर चलते हैं। जितनी गति मन की है, उतनी और किस वाहन की हो सकती है? जनशक्ति को जागृत करके समाज में परिवर्तन लाना है। […]
जिस भगवान ने गीता में कहा था कि अर्जुन, वे सब मर चुके हैं, तू सिर्फ निमित्त मात्र बन, वही आज बेजमीनों के पास जमीन पहुंचाने और जमीन वालों को प्रेरणा देने के लिए मुझे भी निमित्त मात्र बनाना चाहता है। बलिदान का मतलब है बलिराजा का दिया हुआ दान, […]
सबै भूमि गोपाल की; यह कहकर बाबा जमीन मांगते समय लोगों को परमेश्वरी न्याय समझाते थे कि जमीन किसी व्यक्ति की नहीं, ईश्वर की देन है। बाबा जमीन मांगते समय लोगों को परमेश्वरी न्याय समझाते थे कि जमीन किसी व्यक्ति की नहीं, ईश्वर की देन है। ईश्वर ने जैसे हवा, […]
यह मेरा प्रजासूय यज्ञ है। इसमें प्रजा का अभिषेक होना है। ऐसा राज जहां मजदूर, किसान, बाल्मीकि आदि सभी समझें कि हमारे लिए भी कुछ हुआ है। ऐसे समाज का ही नाम सर्वोदय है। बाबा जमीन के बंटवारे में गणित वाली समानता भले नहीं चाहते थे, लेकिन भगवान की बनाई […]
समाज के लोगों को लेना तो आता है, लेकिन देना नहीं आता, वही सिखाना है। बाबा ने केवल भूदान नहीं कहा, बल्कि भूदान यज्ञ नाम रखा, क्योंकि भूदान तो कोई धनिक ही करेगा, लेकिन यज्ञ में तो छोटा बड़ा हर कोई भी भाग ले सकेगा। बाबा का कहना था कि हमें […]
बाबा ने कहा कि रास्ते में एक काम प्रमुख रूप से मेरी नजर के सामने रहेगा। मुझे गरीबों को जमीन दिलवानी है। जो लोग जमीन पर मेहनत कर सकते हैं, उनके पास आज जमीन नहीं है, यह अच्छी बात नहीं। बाबा को तेलंगाना में पोचमपल्ली गांव में 100 एकड़ का […]
हम सभी को हाथ में कुदाली, झाड़ू, खपरा और फावड़ा उठा लेना चाहिए। जब हम इन दिव्य आयुधों से सजेंगे तो हमें अच्छा कार्य करने की प्रेरणा होगी। बाबा विनोबा का आवाहन था कि हम सभी को हाथ में कुदाली, झाड़ू, खपरा और फावड़ा उठा लेना चाहिए। जब हम इन […]
बाबा समझाते थे कि बारिश का पानी बूंद-बूंद करके ही गिरता है, लेकिन फिर भी हर जगह गिरता है, इसलिए जिस तरह सारे नदी नाले भर-भर के बहते हैं, वैसे ही हर कोई अगर इसमें हाथ लगाएगा तो भूदान गंगा भी भर-भर के बहेगी। पुराने जमाने में कोई मठपति, कोई […]
बाबा ने अपना विश्वास बताते हुए कहा कि मसला कोई भी हो, अहिंसा से ही हल हो सकता है, लेकिन उसके लिए हृदय शुद्धि की आवश्यकता होती है। वैसे तो इस चीज को कल्पना और श्रद्धा से बाबा मानते ही थे, लेकिन इस मर्तबा उसका दर्शन भी हुआ। इसलिए भूदान […]